दुमका(DUMKA): आम लोगों की जेहन में सरकारी तंत्र का क्या स्वरूप निवास करता है इसकी एक बानगी दुमका में देखने को मिली. समाहरणालय में एसडीओ से मिलने आए एक वृद्ध व्यक्ति ने आवेदन के साथ ₹1500 लपेटकर बतौर रिश्वत एसडीओ के आगे बढ़ाया. आवेदन खोलते ही एसडीओ के होश उड़ गए. फिर क्या हुआ बताते हैं इस रिपोर्ट में. लेकिन उसके पहले क्या आपको भी लगता है कि सरकारी दफ्तर में बगैर रिश्वत दिए आपका काम नहीं हो सकता? हम ऐसा सवाल इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि हाल के दिनों में ईडी की कार्यवाई में अधिकारियों के घर जब दबिश दी गयी तो रिश्वत की काली कमाई का भंडा फोड़ हुआ. उसके बाद आम लोगों की धारना को और बल मिला कि साहेब को चढ़ावा चढ़ाए बगैर काम नहीं हो सकता.
खैर! अब हम आते हैं मुद्दे पर. बुधवार की शाम एसडीओ कौशल कुमार से मिलने सरैयाहाट प्रखंड के बारीडीह निवासी नारद मंडल पहुंचे. एक हाथ पर प्लास्टर चढ़ा हुआ, फटेहाल स्थिति में बुगुर्ज नारद मंडल जब एसडीओ के चैम्बर में पहुचे तो आवेदन एसडीओ की तरफ बढ़ा कर हाथ जोड़े खड़ा रहा. आवेदन खोलते ही एसडीओ का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया क्योंकि आवेदन के साथ ₹1500 भी था. आनन फानन में एसडीओ ने एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी और नगर थाना प्रभारी अरबिंद कुमार को बुलाया. बुगुर्ज पर जम कर बरसे और जेल भेजने की बात करने लगे. बुगुर्ज के पैर तले जमीन खिसकने लगी. लेकिन कहते है ना कि फांसी पर चढ़ाने से पूर्व फांसी पर चढ़ने वाले व्यक्ति से उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है. जब नारद से यह पूछा गया कि किसके कहने पर उसने ऐसा किया और रुपया कहाँ से लाया. वृद्ध व्यक्ति का जबाब सुनकर अधिकारी भी सोचने पर विवश हो गए कि इसे जेल भेजना ठीक रहेगा या नहीं.
यह है मामला
बुगुर्ज नारद ने बताया कि जमीन से संबंधित एक मामले को लेकर वह काफी परेशान है. थाना और अंचल कार्यालय का चक्कर लगा कर वह वह थक चुका है. गांव में लोगों ने बताया कि बगैर रिश्वत दिए सरकारी कार्यालय में काम नहीं होता है. फिर क्या था. नारद ने वृद्धावस्था पेंसन से प्राप्त राशि मे से 2 हजार रुपये निकाला और बस पकड़ कर मंगलवार को दुमका पहुँच गए. मंगलवार को ही कोर्ट पहुंच कर वकील से संपर्क किया. वकील से एक आवेदन लिखवाया, जिसके बदले वकील साहब से 3 सौ रुपए फीस लिया. जमीन से संबंधित कागजात वकील अपने पास रख कर आवेदन नारद को दे दिया. मंगलवार को घर वापस लौटने के बजाय नारद ने बस स्टैंड में रात गुजारी. बुधवार को दफ्तर खुलते ही पहुच गए एसडीओ से मिलने. बुधवार को छात्र संगठनों की बंदी के कारण अधिकारी कार्यालय काफी देर से पहुँचे. तब जाकर नारद की एसडीओ कौशल कुमार से मुलाकात हुई. उसके बाद सामने आया सरकारी दफ्तर में काम कराने को लेकर एक आम आदमी की मानसिकता.
रिश्वत लेना और देना दोनों ही कानून जुर्म: एसडीओ
वृद्ध की बात सुनकर अधिकारी का गुस्सा शांत हुआ और 1500 रुपया बुगुर्ज को वापस करते हुए शुरू हुआ बुगुर्ज को समझाने का सिलसिला. एसडीओ कौशल कुमार ने नारद को समझाया कि रिश्वत लेना और देना दोनों ही कानून जुर्म है. इस जुर्म के लिए आपको जेल भेजा जा सकता है. जिस ग्रामीण ने आपको बताया कि सरकारी दफ्तर में रिश्वत देना पड़ता है उसके साथ पूरे ग्रामीणों को बताएं कि अगर अधिकारी बात ना सुने तो उससे ऊपर के अधिकारी से मिलकर अपनी बातों को रखें. आखिर जनता की समस्या के समाधान के लिए ही तो अधिकारी बैठते है. यह सुनकर वृद्ध नारद के चेहरे पर लज्जा की भाव आ गयी. अपने किए पर शर्मिंदा होकर गलती के लिए माफी मांगी. एसडीओ कौशल कुमार ने सरैयाहाट अंचल के सीओ औऱ थाना प्रभारी को नारद के मामले की जानकारी देते हुए प्राथमिकता के साथ नारद के जमीन संबंधी मामले की जांच करते हुए प्रतिवेन समर्पित करने का निर्देश दिया. साथ ही नगर थाना को वकील से मिलकर कागजात वापस कराने का निर्देश दिया.
कैसे लगेगा भ्रस्टाचार पर अंकुश
अब सवाल उठता है कि आम लोगों की ऐसी मानसिकता क्यों बनी. सरकार जरूरतमंदों के लिए कई योजनाएं चलाती है. सरकार की इन योजनाओं पर बिचौलिया की गिद्ध दृष्टि बनी रहती है. गांव से लेकर शहर तक बिचौलिया का जाल बिछा हुआ है. आम आदमी अपनी समस्या लेकर सीधे अधिकारी के पास पहुँचते नहीं. कुछ अधिकारी बिचौलियों के जाल से फंस जाते है तो कई अधिकारी ऐसे भी है जो निःस्वार्थ भाव से काम करना चाहते तो है लेकिन वे लोगों की समस्या से अंजान रहते हैं. ऐसे अधिकारी के पास जब मामला पहुँचता है तो समस्या का त्वरित समाधान भी होता है. नारद मंडल का प्रकरण इसका उदाहरण है. जरूरत है आम लोगों को जागरूक बनने की. बिचौलिया के बजाय खुद ही अधिकारी से मिलकर अपनी बात रखने की. तभी भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लग सकता है.
रिपोर्ट: पंचम झा