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बिहार में सीटों के लिए हुई चार बैठकों में नहीं बुलाये जाने से नाराज हेमंत सोरेन अब क्या करेंगे, पढ़िए इस रिपोर्ट में

बिहार में सीटों के लिए हुई चार बैठकों में नहीं बुलाये जाने से नाराज हेमंत सोरेन अब क्या करेंगे, पढ़िए इस रिपोर्ट में

TNP DESK- तो क्या झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस के रवैया को लेकर नाराज चल रहे हैं? क्या हेमंत सोरेन बिहार में  अपनी पार्टी  की उपेक्षा से भी आहत हैं? बिहार में चुनाव होने जा रहा है और हेमंत सोरेन की पार्टी  मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है.  क्या ऐसा भी हो सकता है कि अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा को बिहार में 12 सीट  नहीं दी गई, तो वह अकेले चुनाव लड़ सकता है.  बिहार में महागठबंधन की  अब तक हुई  चार बैठकों में झारखंड मुक्ति मोर्चा को आमंत्रित नहीं किया गया है.  जिससे   पार्टी में नाराजगी है.  चौथी बैठक में तय हुआ है कि सभी दल अपने-अपने चाहने वाले सीटों का डिटेल्स  महागठबंधन के कोऑर्डिनेटर तेजस्वी यादव को सौंपेंगे, जिस पर पांचवी बैठक में विचार होगा.  लेकिन चार बैठकों में झारखंड मुक्ति मोर्चा को आमंत्रित ही नहीं किया गया.  इसलिए पार्टी का कोई प्रतिनिधि शामिल भी नहीं हुआ. 

बिहार की बारह सीटों पर पहले से ही बनी हुई है नजर 
 
झारखंड मुक्ति मोर्चा की बिहार की 12 सीटों पर पहले से ही नजर बनी हुई है.  सूत्र बताते हैं कि इन 12 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति पर गंभीरता से विचार कर रहा है.  झारखंड मुक्ति मोर्चा को भरोसा था कि बिहार में महागठबंधन में वह भी हिस्सेदार हो सकता है. इसके लिए उसे बुलावा मिल सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.  झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि झारखंड में उसने सबकी बात सुनी और परिस्थिति के हिसाब से सबको सीट  दी.  लेकिन बिहार में उसे पूछा नहीं जा रहा है.  यहां यह बताना जरूरी है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में गठबंधन ने कुल 56 सीट  जीतकर भाजपा को बहुत पीछे धकेल दिया.  झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले 34 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी.  झारखंड मुक्ति मोर्चा की नाराजगी से गठबंधन में दरार की संभावना अधिक हो गई है.  बिहार में राजद , कांग्रेस और वाम दल  पहले से ही सीट बंटवारे पर मंथन कर रहे है.  लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा की अनदेखी  से गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे है.  

अगर झामुमो अकेले चुनाव लड़ता है क्या हो सकता है ?

अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले बिहार में चुनाव लड़ता है, तो गठबंधन को नुकसान भी हो सकता है.  झारखंड में भी पेसा  और सरना धर्म कोड  को लेकर कांग्रेस के रुख  से भी झारखंड मुक्ति मोर्चा भीतर ही भीतर नाराज चल रहा है.  झारखंड में नेताओं में संवादहीनता  बढ़ती जा रही है.  पत्र लिखे जा रहे हैं, हालांकि पत्र का जवाब कांग्रेस को मिलने की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है और कांग्रेस के नेता भी इस बार सजग और चौकन्ने है.  पत्र गोपनीय रखे  जा रहे  है. 
बता दें कि पेसा कानून, सरना धर्म कोड को लेकर कांग्रेस आगे बढ़ गई है. यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का मुद्दा हो सकता था .लेकिन कांग्रेस इसे लपकने की कोशिश में है. इसलिए झामुमो भी  इसको लेकर आगे अपनी रणनीति तय करेगा, इसमें कोई संदेह नहीं .

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:15 Jun 2025 08:04 AM (IST)
Tags:DhanbadJharkhandBiharJMMCongressHemant Soren Jharkhand politics Political news
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