टीएनपी डेस्क (TNP DESK):- इसे सिस्टम के कछुए की चाल कहेंगे या इच्छाशक्ति की कमी. 206 नई एंबुलेंस उद्घाटन तो बेहद ही शानदार तरीके से किया गया. ऐसा लगा मरीजों की मुश्किल आसान होगी. लेकिन, अब भी सारी गाड़ियां एनएचएम परिसर में ही खड़ी धूल फांक रही है . 9 महीने खड़ी रखने के बाद इन सभी एंबुलेंस का हैंडओवर लिया गया था. आनन-फानन में उद्घाटन कराया गया. लेकिन न तो उन 206 एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन हुआ है और न ही इंश्योरेंस कराया गया है. हाल तो ये है कि इन गाड़ियों को चलाने के लिए ड्राइवर का भी इंतजाम नहीं है. सोचिए क्या सिस्टम हमारा काम कर रहा है.
कार्यशैली पर सवाल
एंपबुलेस के खड़े होने के चलते , एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर ही सवाल खड़ा हो रहें है . सवाल ये है कि आखिर जब एबुलेंस सड़क पर उतारे जाने को तैयार नहीं थे, ऐसे में इनके उद्घाटन की क्या जल्दबाजी थी. मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाई थी, तो 10 एंबुलेंस ने कतारबद्ध होकर एनएचएम परिसर के चक्कर लगाए. इसके बाद वापस खड़ी कर दी गईं. बताते चलें कि 5 जुलाई को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों 206 नई एंबुलेंस का उद्घाटन कराया गया था.
मरीजों को हुई मुश्किल
एंबुलेस का के सड़कों पर नहीं दौड़ने से मरीज सुविधा से वंचित हो जायेंगे . राज्य में पहले से 108 सेवा के तहत 337 एंबुलेंस संचालित थे. इसकी संख्या पूरी नहीं थी, इसलिए 206 नई एंबुलेंस खरीदी गईं. उद्घाटन के दिन से ही यदि इन सभी का परिचालन शुरू हो जाता, तो कई मरीजों की मुश्किल आसान होती और वो अस्पताल में पहुंचते .