रांची (RANCHI): अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा और ईडी की पकड़म पकड़ाई को तो देश देख ही रहा है. साथ ही 1000 करोड़ अवैध खनन घोटाले की कहानी में आ रहे नित्य नए नए मोड़ ने भी पब्लिक को अचंभे में रखा है. कभी साहबगंज के डीआईजी पंकज को रातोंरात क्लीन चिट दे देते हैं , तो कभी ईडी की रडार पर साहेबगंज के एसपी ही आ जाते हैं . एक बार फिर पंकज मिश्रा मामला एक नए मोड़ से होकर गुजर रहा है. बीते 3 दिसंबर को अचानक रिम्स के डॉक्टरों ने ईडी को बताया कि पंकज मिश्रा नशेड़ी है. अवैध खनन मामले का दोषी पंकज रोज रात को लेता है प्रतिबंधित दवा "फोर्टविन". जी हां डाक्टरों के पाँच महीने तक पंकज मिश्रा को अस्पताल में रखने बाद अचानक 3 दिसंबर को ईडी के सामने ये बयान दिया की पंकज एक बहुत बड़ा नशेड़ी है जिसे बिना नशा लिए नींद नहीं आती. तो क्या रिम्स के चिकित्सक ये कहना चाहते है कि अभियुक्त पंकज मिश्रा पिछले जुलाई से सोया नहीं है. या फिर पंकज मिश्रा पिछले पाँच महीने से रिम्स में भी प्रतिबंधित “फोर्टविन” दवा का इंजेक्शन लेकर सो रहा है. और सबसे बड़ी बात क्या इतने महीनों तक डॉक्टरों ने ये बात ईडी को बताना जरूरी नहीं समझा. सवाल कई है और जवाब कुछ नहीं . घूम फिर कर ये सवालों की जलेबी अपने अनसुलझे जवाबों की चाशनी में डूबती ही जा रही. आईए जानते है क्यों पंकज मिश्रा लेता था नशीला इंजेक्शन. इससे पहले ये जानते है की ये प्रतिबंधित नशीला इंजेक्शन “फोर्टविन” आखिर है क्या?
जानिए क्या है नशीला इंजेक्श फोर्टविन
यह सिंथेटिक नार्कोटिक दवा है, जिसका प्रयोग ऑपरेशन से पहले हल्की बेहोशी के लिए किया जाता है. पंकज मिश्रा इसे रोज रात सोने से पहले लेते हैं. पंकज मिश्रा छह साल से इस दवा का सेवन कर रहे हैं. बता दें प्रतिबंधित दवा फोर्टविन इंजेक्शन का यहां के युवा वर्ग भी आज कल खूब प्रयोग कर नशा का मजा उठा रहे हैं. जानकारों की माने तो फोर्टविन इंजेक्शन का उपयोग रोगी को बेहोश, बेचैनी हालत या फिर वैसे व्यक्ति इसका उपयोग करते हैं जिनको शराब पीने के बाद भी नींद नहीं आती है. ऐसे लोग नस में इस दवा को लेते हैं. मेडिकल स्टोर वाले पांच का इंजेक्शन 20 रुपये में बेचते है. आसानी से उपलब्ध इस नशे का आदि पंकज मिश्रा भी था . उसे नींद लाने के लिए इंजेक्शन की जरूरत पड़ती थी. बता दें फोर्टविन इंजेक्शन प्रतिबंधित है जो चिकित्सकों के लिखे जाने पर ही मेडिकल दुकानों में दिया जाता है. लेकिन यहां सभी नियम-कानून को ताक पर रखकर मेडिकलों में पांच रुपये का इंजेक्शन 15 से 20 रुपये में बेचा जा रहा है. इस इंजेक्शन के लगातार उपयोग करने से किडनी खराब होने की संभावना रहती है. जो मौत का भी कारण बन जाता है.
जेल से रिम्स कैसे आए पंकज
बता दें कि पंकज मिश्रा को, साहिबगंज जिले के बरहेट विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने, अपना प्रतिनिधि मनोनीत कर रखा था. ईडी ने अवैध खनन के जरिए अर्जित राशि की मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में विगत आठ जुलाई को पंकज मिश्रा के साहिबगंज स्थित आवास और उनके सहयोगियों के बरहेट, राजमहल, मिर्जा चौकी और बड़हरवा पर 19 ठिकानों पर छापामारी की थी. इस दौरान 5.34 करोड़ रुपये नकद और कई दस्तावेज बरामद किये गये थे. बाद में जांच के दौरान ईडी ने पंकज मिश्र और उनके प्रमुख सहयोगी दाहू यादव सहित अन्य के 37 बैंक खातों में जमा 11.87 करोड़ रुपये जब्त कर लिये थे. इस मामले में पूछताछ के बाद बीते 19 जुलाई को पंकज मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया था. ईडी ने उसे विगत 19 जुलाई को गिरफ्तार किया था. 10 दिन रांची के बिरसा मुंडा जेल में रहने के बाद ही तबीयत बिगड़ने के बाद 30 जुलाई को उसे रिम्स में दाखिल कराया गया था. महीनों इलाज चला लेकिन कोई खास बीमारी डाक्टर नहीं ढूंढ पाए. अचानक 5 महीने बाद रिम्स के मेडिकल बोर्ड ने पाया कि वह नशे के लिए हर रोज फोर्टविन नामक इंजेक्शन लेता था. उसे बीते 30 नवंबर पहले ही रिम्स ने डिस्चार्ज कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद वह रिम्स के पेइंग वार्ड में ही टिका था. रिम्स के डॉक्टरों ने उसे सीआईपी, रिनपास या किसी नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी थी. 30 नवम्बर को ही पुलिस की टीम पंकज मिश्रा को लेने गई थी, पर उसने वहां से जाने से इनकार कर दिया था. रिम्स की ओर से कहा गया कि पंकज मिश्रा को पेंक्रियाज की जो शिकायत थी उसकी दवाएं चल रही हैं. जो नियमित तौर पर चलती रहेंगी. उन्हें रिम्स में रखकर इलाज करने की जरूरत नहीं है. उन्हें नशामुक्ति केंद्र की आवश्यकता है. रिम्स ने पंकज मिश्रा को रिम्स से डिस्चार्ज कर दिया. इसकी सूचना रिम्स ने जेल प्रबंधन को दे दी. उन्हें रिनपास, सीआईपी में इलाज कराने की आश्यककता है.
जानिए रिम्स में रहकर भी 300 बार पंकज ने किसे कॉल किया और क्यों
एक ओर गंभीर बीमारी की आड़ में पंकज रिम्स में भर्ती थे तो वहीं दूसरी ओर वो लगातार अपने लोगों से फोन पर संपर्क में भी थे. ईडी को छानबीन में पता चला है कि रिम्स में इलाजरत रहने के दौरान पंकज मिश्रा ने जेल मैनुअल की खुलकर धज्जियां उड़ाई और 27 जुलाई के बाद उसने विभिन्न व्यक्तियों से 300 बार बातचीत की. नौकरशाह से लेकर नेताओं तक को उसने फोन किया. काम कराने के लिए, धमकाने से लेकर केस मैनेज कराने तक के लिए भी उसने काल किया था. धीरे-धीरे इससे जुड़े एक-एक तह खुलते जा रहे हैं. बता दें पंकज मिश्रा अवैध खनन मामले के दोषी है और मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है. इस वक्त ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया हुआ है. पंकज झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खासे करीबी माने जाते हैं. पंकज मिश्रा को साहिबगंज जिले के बरहेट विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना प्रतिनिधि मनोनीत कर रखा था. इसी साहबगंज से शुरू हुई पंकज की रसुखदारी जहां टोल टेंडर को लेकर एक कारोबारी शंभू से टकराव हुआ और फिर मारपीट के साथ धमकी साथ ही दे दी टेंडर में न शामिल होने की हिदायत. पंकज के कर्मों ने आज पंकज को न सिर्फ जेल की हवा न खिलाई बल्कि धीरे धीरे उसके सभी काले कारनामों की सजा भी दे रही.
जबरन पहुंचाए गए सीआईपी, जानिए क्या होगा पंकज का इलाज
इधर रिम्स के डॉक्टरों के डिस्चार्ज करने के बाद भी पंकज अपने पेइंग वार्ड से जाने को तैयार नहीं हो रहे थे. बीते सोमवार जबरन पुलिस ने उन्हें कांके स्थित सीआईपी पहुंचाया. जहां कई तरह के जांच के बाद डॉक्टर यह तय करेंगे कि उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती किया जाये या फिर ओपीडी से इलाज किया जाए.