लोहरदगा (LOHARDAGA): देश की आज़ादी और झारखंड राज्य के अलग होने के भले ही वर्षो गुजर गए हो. लेकिन आज भी कुछ इलीकों में ग्रामिण पीने के पानी के लिए तरस रहे है. कुछ ऐसा ही मामला लोहरदगा से सामने आया है.
बता दें कि लोहरदगा जिला का यह पठारी क्षेत्र का पेशरार इलाका है, इस इलाके में आदिमजाति के लोग निवास करते हैं. करीब बीस लोगों का यह गांव वर्षो से प्यासा है, आज भी पेशरार प्रखंड के इस झमटवार गांव के आदिमजाति के ये लोग चुएं से पानी संग्रह कर अपनी प्यास बुझाते हैं. स्थानीय ग्रामिणों का कहना है कि जंगल के एक छोर में उपलब्ध इस चुएं से बरसात में पानी पीना दूभर हो जाता है. बड़ी मुश्किल से यहां लोग अपनी प्यास बुझाते है. लेकिन इस भीषण गर्मी में ग्रामीण इसी चुएं के पानी में बर्तन धोने के साथ-साथ पीने का पानी संग्रह कर घर ले जाते है.
विकास के नाम पे ग्रामिण खुद को ठगा महसूस कर रहे है
वहीं जब ग्रामीणों से जब पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के बारे में पूछ गया तो उनका कहन है कि पेयजन एवं स्वच्छता विभाग इन इलाकों में पहुंचने से पहेल ही दम तोड़ देते है. कई इलाकों में तो कागजी तौर पे चापाकल लगाया गया औऱ हर माह मरम्मत भी किया जाता है. लेकिन यह दृष्य पठारी क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और भविष्य की सच्चाई को साफ तौर पर सामने रखने का कार्य कर रहा है. ये गांव वाले विकास के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
रिपोर्ट. गौतम लेनिन