Dumka:- दुमका जिला के शिकारीपाड़ा में ईसीएल सहित कई कोल कंपनियों को कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है. लेकिन ग्रामीणों के गुस्से और विरोध के कारण कोल ब्लॉक चालू नहीं हो पाया है. कंपनी की तरफ से जब कभी इसे चालू कराने की कोशिश की जाती है, तो मामला तूल पकड़ लेता है. हालात तो ऐसी हो गयी है कि गांव के लोग अफसरों को संदेह की नजर देखने लगे है. यहां अब तो ये देखा जा रहा है कि, जब कभी भी सरकारी कामकाज के लिए अधिकारी आते हैं, तो गांव वाले घंटों उनको बैठा देते हैं. ये सिलसिला लगातार देखने को मिल रहा है.
प्रशिक्षु आईएएस को घंटों बैठाया
दो दिनों के अंदर इस तरह के दो मामले शिकारीपड़ा थाना इलाके में देखी गयी. सोमवार को गन्धर्वपुर और पंचवाहिनी के ग्रामीणों ने ईसीएल के लिए सर्वे करने गई टीम को 5 घंटे तक अपने कब्जे में रखा.
लिखित लेने के बाद उन्हें छोड़ा गया. सोमवार को तो हालत उतनी खराब नहीं थी. लेकिन, मंगलवार को तो स्थिति ही बदतर देखी गई. जब प्रशिक्षु आईएएस प्रांजल ढांढा को ही ग्रामीणों ने घंटों रोके रखा. सूचना मिलने के बाद जिले से एसपी पीतांबर सिंह खरवार और एसडीओ कौशल कुमार गांव पहुंचे. इस दौरान ग्रामीणों से वार्ता हुई , अधिकारियों की तरफ से लिखित दिया गया, तब छोड़ा गया.
बताया जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा जो लिखित दिया गया है उसमें कहा गया है कि डिंबादाहा, लताकांदर, भिलाईटाड सहित 19 गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक हुई. जिसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि प्रशासन और पुलिस के पदाधिकारी अपने सरकारी काम के अलावा अगर किसी अन्य काम से गांव आते हैं तो सबसे पहले इसकी सूचना संबंधित गांव के ग्राम प्रधान और मुखिया को देनी पड़ेगी. इसके अलावा कोयला खदान और कॉल डंपिंग रैक के संबंध में पुलिस और प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार का कोई बात नहीं किया जाएगा. ग्राम प्रधान और ग्रामीण पर दबाव नहीं बनाया जाएगा. इस क्षेत्र में अगर कहीं भी चुड़का लगाया जाता है तो प्रशासन द्वारा जनता के साथ बैठकर इसका समाधान किया जाएगा.
कुछ भी बोलने से कतरा रहे अधिकारी
इसके साथ ही गांव के ग्रामीण और ग्राम प्रधान के साथ ग्राम सभा के निर्णय को ही माना जाएगा. किस तरह का कोई मामला होता है तो अनावश्यक रूप से किसी को परेशान नहीं किया जाएगा. इस आवेदन पर प्रशिक्षु आईएएस, डीएसपी, शिकारीपाड़ा थाना प्रभारी सहित वहां मौजूद अन्य अधिकारियों के द्वारा भी हस्ताक्षर किया गया है.हालांकि, इसे लेकर जिले के कोई भी अधिकारी मीडिया को ऑन द रिकॉर्ड कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं है. ऑफ द रिकॉर्ड इतना जरूर बताया गया कि प्रशिक्षु आईएएस और शिकारीपाड़ा सीओ आंगनबाड़ी से संबंधित कुछ मामलों और राज्य सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन के लिए घटाए गए आयु सीमा के अनुरूप जिला प्रशासन द्वारा पंचायत स्तर पर मंगलवार से शुरू किए गए सर्वे कार्य का निरीक्षण करने गए थे.
क्या हैं अंदर की कहानी
लेकिन, सूत्रों की माने तो मामला कुछ और ही है.दरअसल, बात ये बतायी जा रही है कि जमरूपनी, भलाईटांड होते हुए काजलदाहा तक सड़क निर्माण को स्वीकृति मिली है. ग्रामीणों ने पिछले शुक्रवार को इस प्रस्तावित सड़क का जोरदार विरोध किया था. गांव वालों का कहना है कि यह सड़क बीजीआर नामक कंपनी जो हरिनसिंघा स्टेशन पर कोयला रैक पॉइंट बनना चाहती है. इसके लिए इस सड़क को बनाया जा रहा है, ताकि पाकुड़ से सड़क के रास्ते से कोयला हरिनसिंघा तक पहुंचाया जा सके. सूत्रों का यहां तक कहना है कि प्रस्तावित सड़क का ग्रामीणों की और से विरोध किए जाने के बाद सड़क का निरीक्षण करने ही अधिकारी पहुंचे थे.
रिपोर्ट- पंचम झा