लोहरदगा(LOHARDAGA):जिले के सदर प्रखंड क्षेत्र के ईटा भुजनिया नदी पर कई गावों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला पुल वर्षो से क्षतिग्रस्त है. ग्रामीण जान जोखिम में डालकर टूटे हुए पुल से आवागमन करते हैं, इस तरह के सफर में बड़ी घटना कभी भी घट सकती है.
जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर जिला प्रशासन की लापरवाही देखने को मिल रही है. हजारों ग्रामीण और स्कूली बच्चों के साथ कई गाड़ियां जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन टूटे हुए पुल से जिला मुख्यालय की ओर आवागमन करते हैं. कई वर्षों से लगातार ग्रामीण पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं यहां तक की वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने भी ग्रामीणों को पुल निर्माण कराने की आश्वाशन दे चुके हैं. लेकिन पुल निर्माण अब तक नहीं हुआ है. ऐसे में एकमात्र यह रास्ता होने की वजह से ग्रामीण टूटे हुए पुल से आवागमन करने को मजबूर हैं. कई सवारी गाडियां ग्रामीणों को भरकर इसी टूटे हुए पुल से प्रतिदिन पार करते हैं. पुल आधी टूट चुकी है और लोग मजबूरी में इसी पुल से आवागमन करने को बाध्य हैं. जिला प्रशासन को भी इस पुल के बारे में जानकारी है, लेकिन इस पुल से आवागमन रोका नहीं जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से न तो पुल पर कोई बैरिकेटिंग लगाई गई है न ही ग्रामीणों को रोका जा रहा है. जिला प्रशासन लापरवाह बना हुआ है ऐसा लगता है कि किसी बड़ी घटना घटने की इंतजार जिला प्रशासन कर रहा है.
विभाग नहीं ले रहा संज्ञान
हालांकि ग्रामीणों की मांग पर पुल निर्माण करने की कागजी प्रक्रिया ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग की ओर से की जा रही है. पुल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है और इसे तोड़कर नए पुल का निर्माण किया जायेगा. विभाग भी पुल पर खतरे होने की बात से अवगत है लेकिन पुल पर आवागमन रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. पुल के निर्माण और आवागमन रोकने पर जब ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सूरज प्रकाश चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा विभाग की ओर से स्थल निरीक्षण कर लिया गया है और रिपोर्ट तैयार कर आगे भेज दिया गया है. जैसे ही यह पास होगी पुल निर्माण का कार्य शुरू किया जायेगा. वहीं टूटे हुए पुल होने के कारण आवागमन करने से कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है.
रिपोर्ट: गौतम लेनिन, लोहरदगा