Ranchi- वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में कई अनोखी परंपराओं का पालन किया जाता है, लेकिन बात यदि हम राजधानी रांची की करें तो यहां शारदीय नवरात्र का पहला दिन जैप-1 के जवानों के द्वारा बंदूक से फायरिंग कर मां दुर्गा को सलामी देने की अनोखी परंपरा रही है. जिसका निर्वहण सदियों से किया जाता रहा है. दरअसल राजधानी स्थित जैप-1 के जवानों के द्वारा नेपाली परंपरा के अनुसार दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है, खास बात यह है कि यहां मां की प्रतिमा के स्थान पर कलश की पूजा होती है. सदियों से चली आ रही इसी परंपरा के तहत इस वर्ष भी इसका आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत मां की प्रतिमा को बंदूक की फायरिंग के साथ सलामी देकर की गयी.
नेपाली परंपरा के अनुसार पूजा का आयोजन
यहां बता दें कि गोरखा और नेपाली परंपरागत रुप से शक्ति के उपासक रहे है. यही कारण है कि बलि की प्रथा गोरखा परंपरा का अभिन्न हिस्सा है. जवानों के मन में इस बात का अटूट विश्वास है कि मां दुर्गा की अराधना से उनकी जिंदगी के हर दुख-दर्द दूर होंगे, मां दुर्गा उनके जीवन की रक्षा और दुश्मनों का संहार करेगी. इसी नेपाली परंपरा के अनुसार जवानों के द्वारा बड़े ही भक्ति भाव से मां दुर्गा के समक्ष बलि का अर्पण किया जाता है और उनके सम्मान में गोलियों की बौछार की जाती है.
क्या है जैप-1 का इतिहास
ध्यान रहे कि इस बल की स्थापना जनवरी 1880 में अंग्रेजी शासनकाल में न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से की गयी थी, वर्ष 1892 में इसका नामाकरंण बंगाल मिलिट्री पुलिस कर दिया गया, लेकिन बंगाल विभाजन के समय के वक्त 1905 में इसका एक और नामाकंरण करते हुए एक नया नाम गोरखा मिलिट्री (Gurkha Military) रखा गया. लेकिन नाम बदले का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, जब 1947 में भारत को आजादी मिली तो वर्ष 1948 में इसका नाम बदल कर बिहार सैनिक (Bihar Army) पुलिस कर दिया गया, लेकिन जब वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड अस्तित्व में आया तो एक बार फिर से नये नाम की खोज शुरु हुई और इस बार इसका नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन ( JAP-1 ) रखा गया.