देवघर(DEOGHAR): झारखंड का एक मात्र एम्स देवघर के देवीपुर में संचालित होता है. यहां सिर्फ देवघर के ही नही बल्कि झारखंड, बिहार और बंगाल के लोग भी अपना जांच और इलाज करवाने यहां आते हैं. लेकिन शुरू से ही एम्स के हालात कुछ ठीक नहीं रहे है. कभी ऐम्स परिसर में काम कर रहे कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही सामने आती है. तो कभी सुरक्षा गार्ड कंपनी की मनमानी. इससे हरहाल में यहां अपना इलाज और जांच कराने आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
सुरक्षा गार्ड के हड़ताल से एक भी मरीज की नहीं हुई जांच
देवघर एम्स की सुरक्षा उत्तरप्रदेश की सिक्युरिटी कंपनी SSS के जिम्मा सौंपा गया है. लगभग 246 एकड़ में फैले एम्स की सुरक्षा में करीब 6 दर्जन सुरक्षा गार्ड तैनात है. लेकिन यहां पर कार्यरत सुरक्षा गार्ड को कंपनी की ओर से पिछले साढ़े तीन साल से अधिक का एरियर नहीं दिया जा रहा है. और न ही इस ओर कोई ठोस पहल कंपनी प्रबंधन ने किया है. इससे नाराज सुरक्षा गार्ड आज से हड़ताल पर चले गए हैं. गार्ड के हड़ताल पर चले जाने से अहले सुबह से जांच कराने आयें, लोगों को एम्स परिसर में दाखिल नहीं किया गया है. क्योंकि गार्ड ही लोगो को टोकन देते है.
बकाये एरियर की मांग पर अड़े हैं सुरक्षा गार्ड
इस टोकन से ही उन्हें ओपीडी में प्रवेश और जांच की अनुमति होती है. सुरक्षा गार्ड की माने तो जब तक उनका एरियर बकाया नहीं मिल जाता, तब तक वो हड़ताल पर रहेंगे. इस मांग को लेकर कंपनी हमेशा से गुमराह करते आ रही है. इनकी ओर से बताया जा रहा है कि सुरक्षा गार्डों की फ़ाइल को कंपनी के अधिकारी ने गायब कर दिया गया है. इस संबंध में कंपनी की GM को किसी बात की जानकारी तक नहीं है. इससे पहले भी अपनी मांगों के समर्थन में सुरक्षा गार्डों ने कुछ महीना पहले अनशन भी किया था. गार्डो ने बताया कि 30 जून तक सभी कर्मियों का एरियर नहीं दिया गया तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.
एम्स में कार्यरत कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही लगातार आती है सामने
एम्स परिसर में कई भवन अभी भी निर्माणाधीन है. NKG कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से भवन का निर्माण कार्य किया जा रहा है. लेकिन इस कंपनी की मजदूरों के प्रति लापरवाही लगातार सामने आती रहती है. कुछ दिन पहले ही निर्माणाधीन बॉयज होस्टल के 9वीं तल्ला से गिरकर एक राजमिस्त्री की मौत हो गई थी. जबकि एक मजदूर घायल हो गया था. ये लोग प्लास्टर का काम कर रहे थे तभी अचानक ट्रॉली टूटकर नीचे गिर गई थी.
कंस्ट्रक्शन कंपनी मजदूरों को सेफ्टी उपकरण उपलब्ध नहीं कराती
इतने ऊंचे बिल्डिंग में काम करते वक्त कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से कोई सेफ्टी मजदूरों को उपलब्ध नहीं कराई गई थी. वहीं दूसरी ओर कुछ महीने पहले इसी कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही से निर्माणाधीन भवन के बाहर आग लग गयी थी. उस समय भी कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास आग पर काबू पाने के लिए कोई साधन मौजूद नहीं था. वहीं जब काम के समय कोई मजदूर घायल हो जाता है, तो उसका इलाज भी कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से नहीं कराया जाता है.
प्रबंधन की गलती का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है
एम्स में कार्यरत सुरक्षा गार्ड की मांग जायज है. इनकी मांग को सिक्युरिटी कंपनी की ओर से अविलंब पूरी करनी चाहिए. ताकि दूर-दराज में जिस आस के साथ इलाज कराने लोग यहां आते है. उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो और वे लोग निराश होकर वापस नहीं जाएं.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा