टीआरपी डेस्क(Trp desk):-इंटरनेट के जमाने में साइबर क्राइम एक ऐसा जंजाल बन चुका है, जिसकी सूरत बदलते रहती है. इसके चक्कर में अच्छे-खासे पढ़े लिखे नौजवान भी फंसकर लाखों करोड़ों रुपए गंवा देते हैं. ऐसा ही कुछ झारखंड के जयनगर में पुलिस ने कॉल गर्ल्स की सर्विस देने के नाम पर ठगी करने वाले दो लोगों गो गिरफ्तार किया. जयनगर पुलिस ने एक नाबालिग सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार कर एक फेक कॉल गर्ल सर्विस गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इन शातिर अपराधियों ने कॉल गर्ल सर्विस देने के नाम पर देशभर के लोगों से ठगी की और उनसे लाखों रुपए ऐंठ लिए. पुलिस ने इनकी पहचान जितेन्द्र साव औऱ दिलीप साव के नाम के तौर पर की . हालांकि, पुलिस इस नेटवर्क की जांच कर इसके परत दर परत खंगाल रही है.
कोडरमा में बढ़ता साइबर क्राइम
जामताड़ा साइब क्राइम के लिए पूरे देश में बदनाम है. इसकी तर्ज पर कोडरमा में भी साइबर क्राइम गिरोह अड्डा बनता रहा है . दरअसल, जयनगर थाना क्षेत्र के परसाबाद के दो अपराधियों द्वारा कालगर्ल सर्विस के नाम पर देश भर के लोगों को लड़कियों का झांस देकर ठगी की जा रही थी. एसपी को मिली सूचना के बाद जयनगर पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से तीन मोबाइल, कई सिम कार्ड, बैंक पासबुक आदि बरामद किए गए हैं. एसपी अनुदीप सिंह ने इस जालसाजी का भांडाफोड़ करते हुए बताया कि दोनों ठग जयनगर थाना क्षेत्र के परसाबाद गड़गी में घर से साइबर ठगी का धंधा चला रहे थे. ये शातिर शिमला नंदनी कॉल गर्ल एस्कॉर्ट सर्विस के नाम से फर्जी साइट बना रखी थी. इस साइट पर इंटरनेट से डाउनलोड की गई युवतियों की फोटो व संपर्क नंबर देकर रखा गया था. इसके बाद संपर्क करने वाले लोगों को झांसे में लेकर उनसे पैसे मंगवाते थे.
एक साल से चल रहा था ठगी का धंधा
पुलिस अधिक्षक ने बताया कि पिछले एक वर्ष से ठगी का धंधा इन लोगों द्वारा चलाया जा रहा था. इसमें दूसरे राज्य के कई लोगों से लाखों रुपये की ठगी की गई है. हालांकि, इस पूरे मामले की तफ्तीश अभी की जा रही है कि आखिर और कौन-कौन से किरदार इस जालसाजी में शामिल रहे थे. आरोपियों की बैंक डिटेल्स भी खंगाला जा रहा है. हालांकि, अब तक इस मामले में एक भी शिकायतकर्ता सामने नहीं आया है. साइबर ठगी के साथ-साथ गिरफ्तार आरोपितों के खिलाफ पहचान चोरी का भी मामला दर्ज किया गया है. इनके द्वारा इंटरनेट से युवतियों की फोटो डाउनलोड कर फ्रांड किया जा रहा था और पैसा यूपीआई सर्विस व बार कोड के जरिए मंगवाया जाता था.