Traffic Rule : धनबाद में पांच मिनट का रास्ता लोग पंद्रह मिनट में तय करते है. धनबाद शहर और शहर के बाहर बहुत ही गंदा ट्रैफिक रहता है. कुछ तो सड़क अतिक्रमण के कारण जाम लगता है , तो कुछ सड़क किनारे जैसे- तैसे वाहन खड़ी कर देने से सड़क जाम हो जाती है. कुछ जाम तो सड़क संकरी होने के कारण होता है. धनबाद ट्रैफिक पुलिस लगातार अभियान चला रही है. ट्रैफिक पुलिस जब भी सड़क पर उतरती है, चालान काटने से उसे फुर्सत नहीं मिलती. लगता है धनबाद के लोग "हम नहीं सुधरेंगे" की कसमें खाकर बैठे हुए है. शनिवार को धनबाद ट्रैफिक पुलिस ने सरायढेला इलाके में अभियान शुरू किया तो दोपहर 2 बजे तक 50 से अधिक गाड़ियों के चालान काटे जा चुके थे. ट्रैफिक डीएसपी जब रणधीर वर्मा चौक से गुजर रहे थे तो उन्हें बिना नंबर की एक नगर निगम की बस जाते दिखाई दी.
बस को रोका गया, बस के आगे नंबर प्लेट था ही नहीं. ट्रैफिक डीएसपी का कहना है कि बस का सारा डिटेल्स ले लिया गया है, बस पर पैसेंजर बैठे थे, इसलिए गाड़ी को जाने दिया गया है. जांच -पड़ताल कर उचित कार्रवाई की जाएगी. जो भी हो लेकिन यह तो दिन के उजाले का जांच अभियान था. रात के अंधेरे में तो स्थिति और भी बिगड़ जाती है. प्रेशर हॉर्न लगाएं "बड़े बाप के बिगड़ैल बेटे" जब सड़क पर चलते हैं, तो अपने आप को शहंशाह से कम नहीं समझते. बात इतनी ही भर नहीं है, लहरिया कट बाइक जब सड़क पर चलती है तो अगल-बगल चलने वाले लोगों पर भी खतरा हो जाता है. रात के अंधेरे में भी जांच अभियान की जरूरत महसूस की जाती है. गाड़ियों में मानक से अलग की लाइट लगी होती है. ऐसे में सामने वाले वाहन चालक को भारी परेशानी होती है. बात इतनी ही नहीं है, जिला प्रशासन ने टोटो और ऑटो के चालकों के लिए ड्रेस कोड का भी निर्धारण किया है. लेकिन चालक कभी ड्रेस कोड में दिखते नहीं है.
धनबाद की ट्रैफिक व्यवस्था का हाल यह है कि कोई भी चौक चौराहा नहीं होता , जहां जाम नहीं लगता है. बहुत पहले नियम बना था कि सड़क पर जहां-तहा वाहन खड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. क्रेन मंगवाये जाएंगे और गाड़ियों को क्रेन से उठाकर थाना ले जाया जाएगा. लेकिन इस पर भी अमल नहीं हुआ. नतीजा है कि गली -मोहल्ले की बात कौन करें, मुख्य सड़कों पर भी दोनों तरफ दुकानें होती है. दुकानों के सामने वाहनों की लंबी कतार लगती है. ऐसे में वाहन चालकों की कौन कहे, पैदल चलने वालों को भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ट्रैफिक पुलिस थोड़ी सचेत हुई है. देखना है इसमें इससे क्या कुछ परिवर्तन होता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो