धनबाद(DHANBAD): तैयार रहिये ! टमाटर तो लाल है ही ,दूध भी अपनी "मूल्यबृद्धि" ताकत को दिखाने के लिए मचल रहा है. एक जमाना था, जब शहर में भी हर तीसरे- चौथे घर में एक गाय बंधी दिख जाती थी. गांव -देहात में खेती- किसानी के लिए कृषक बैल रखते थे, अब तो कृषि कार्य मशीनों से होने लगे है. शहर में घरों में गाय दिखती नहीं है. कुछ खटाल वाले रोजगार के रूप में अभी भी इसे स्वीकार किए हुए हैं लेकिन इस धंधे को नुकसान का काम बता रहे है. कहते हैं कि किसी तरह चल रहा है, कोई फायदा नहीं होता. इस बीच दूध के लिए लोग पैकेट बंद पर ही निर्भर लगभग हो चुके है. पैकेट बंद दूध का हाल यह है कि 2013 में एक लीटर फुल क्रीम दूध की कीमत ₹42 प्रति लीटर थी, जो फिलहाल ₹66 के आसपास है.
मानसून असर डालेगा दूध की कीमत पर
यदि अगस्त -सितंबर में खराब मानसून से उत्पादन प्रभावित हुआ तो चारे के दाम बढ़ेंगे और ऐसे में दूध की कीमत 4 से 5 फ़ीसदी बढ़ सकती है. यानी दूध भी अब पॉकेट पर बोझ डालने को तैयार है. इसके लिए लोगों को तैयार रहना चाहिए, एक रेटिंग एजेंसी के अनुसार डेयरी उद्योग दूध उत्पादन में आने वाली लागत की भरपाई करने में पिछड़ रहा है. कोरोना के बाद से ही संतुलन बिगड़ रहा है. पशु चारे के दामों में बढ़ोतरी के चलते दूध उत्पादक दाम बढ़ाने पर मजबूर हो रहे है. डेयरी कंपनियां भी पहले के मुकाबले अधिक दाम पर दूध खरीद रही है.
10 सालों में दूध की कीमत में 55 से 57% तक की बढ़ोतरी हुई
देश में पिछले 10 सालों में दूध की कीमत में 55 से 57% तक की बढ़ोतरी हुई है. पिछले एक साल में तो प्रति लीटर दाम में ₹10 तक की बढ़ोतरी हो गई है और अगर जो हालात हैं, कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि के कारण संतुलन लगातार बिगड़ रहा है. ऐसे में दूध की कीमत बढ़ना अब लगभग तय दिखने लगा है. धनबाद में आम दिनों में 80 से लेकर एक लाख लीटर दूध की खपत प्रतिदिन होती है. पर्व -त्योहारों के मौके पर यह खपत लगभग दोगुनी हो जाती है. धनबाद जिला पैकेट बंद दूध के लिए बिहार -बंगाल पर निर्भर रहता है. धनबाद में एकमात्र सरकारी डेयरी प्लांट पर ताला लटका हुआ है. यहां सिर्फ दूध का कलेक्शन होता है और फिर उसे पैकिंग के लिए रांची भेज दिया जाता है. फिर यही दूध धनबाद आता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो