''उठो जागो और तब तक नहीं रुकों, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए ''
टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- यह संदेश उस योगी और संत का है, जिसने भारत का नाम पुरी दुनिया में ऊंचा कर दिया. उनके विचार, भाषण और सोच ने कईयों की जिंदगी बदल दी और एक क्रांति पैदा कर दी. जी हां बात स्वामी विवेकानंद की ही हो रही है, जिनका जान्म दिन यानि 12 जनवरी को देश युवा दिवस के तौर पर मनाता है. 12 जनवरी 1863 के दिन ही इस महान शख्सियत का जन्म कोलकाता में हुआ था.
स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रसांगिक है और अमर है. इनके संपर्क आने वालों की जिंदगी बदली ही, साथ ही इनके विचार आज भी कईयों के लिए प्रेरणास्रोत बनें हुए हैं. स्वामी जी का झारखंड से भी गहरा कनेक्शन रहा है. जेएन टाटा से जब शिकागों जाने के दौरान पानी जहाज में मुलाकात हुई थी. तो टाटा कंपनी स्थापित करने की सलाह स्वामी विवेकानंद ही उन्हे दिया था. आज जमशेदपुर में ये कंपनी स्थापित है और एक बड़ा संस्थान है. जो लोगों को रोजगार और देश की स्मृद्धि में योगदान दे रहा है.
जब स्वामी जी के कायल बन गये थे जमशेद जी टाटा
स्वामी विवेकानंद की कोशिश हमेशा से यही रही कि वे हमेशा देश को आत्मनिर्भर बनाने के पक्ष में थे. उन्होंने देश के सबसे बड़े औधोगिक घराने टाटा को भी इस विषय पर सलाह दी थी . तब टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा स्वामी विवेकानंद के विज्ञान, तकनीक, अर्थशास्त्र, उद्योग और खनिजों के संबंध में गहरी जानकारी से दंग रह गये थे. उनकी सलाह से ही जमशेद जी ने टाट स्टील कंपनी की बुनियाद झारखंड के जमशेदपुर शहर में रखी थी. कंपनी के संग्राहालय में मौजूद दस्तावेज में स्वामी जी और जेमशेदजी के बीच हुई बातचीत का ब्योरा भी है.
शिकागों धर्म सम्मेलन में जाने के दौरान मुलाकात
दस्तावेजों के मुताबिक 1893 में स्वामी विवेकानंद शिकागो के धार्मिक सम्मेलन में शामिल होने पानी जहाज से जा रहे थे. उसी शिप में जमशेदजी नसरवानजी टाटा भी सवार थे. यात्रा के दौरान लंबी बातचीत हुई थी. वार्तालाप के दौरान विवेकानंद ने पानी के जहाज में ही जमशेदजी को लोह खनिज संपदा और संसाधनों की जानकारी दी थी. इसके लिए उन्होंने सिहंभूम में ही फैक्ट्री लगाने की सलाह दी थी. बताया जाता है कि जमशेद जी ने भारत में लोहे का कारखाना लगाने की ख्वाहिश जाहिर की थी. तब स्वामी जी ने उन्हें सुझाव दिया कि टेक्नॉलिजी ट्रांसफर करने से भारत किसी पर निर्भर नहीं रहेगा. इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और देश भी समृद्ध बनेगा.
शिकागो धर्म सम्मेलन में जा रहे थे स्वामी जी
स्वामी जी पानी के जहाज से शिकागो धर्म सम्मेलन में भाग लेने जा रहे थे. इस विश्व सम्मेलन के बाद ही पूरी दुनिया ने विवेकानंद के ज्ञान का लोहा माना. इसी शिप में ही जेएनएन टाटा भारत में लोहा-इस्पात का कारखाना लगाने के लिए विशेषज्ञों से मिलने शिकागो जा रहे थे. दोनों के अपने- अपने इरादे थे. एक आध्यात्मिक चेतना तो दूसरा औधोगिक क्रांति की चेतना जगाने निकले थे. जमशेदजी टाटा अपने सपने को साकार करने के लिए जर्मनी, इंग्लैंड होते हुए अमेरिका जा रहे थे . इस दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी और बातचीत आरंभ हुई तो सिलसिला काफी लंबा चला . विवेकनंद ने ही जेएन टाटा को छोटानागपुर इलाके में न केवल लोहा-इस्पात उद्योग के लिए जरुरी खनिज संपदा के भंडार होने की जानकारी दी थी. इतना ही नहीं ओडिशा के मयूरभंज राजघराने में कार्यरत भूगर्भशास्त्री प्रमथनाथ बोस से मिलने की सलाह दी थी. इसके बाद ही जमशेद जी के सपने को साकार करने के लिए उनके बेटे दोराबजी टाटा भूगर्भ शास्त्रियों पीएन बोस व सीएम वेल्ड के साथ निकल पड़े. इस दौरान उनके दोस्त श्रीनिवास राव भी साथ रहे. खनिज की पड़ाताल पूरी होने के बाद दोराबजी ने टाटा कंपनी की स्थापना की , जो जमशेदपुर था.
इस प्रसंग से साफ हो जाता है कि किस तरह स्वामी जी की सलाह से जमशेदपुर में टाटा कंपनी स्थापित हुई. अगर पानी जहाज में जमशेद जी टाटा से उनकी मुलाकात नहीं होती, तो शायद ही ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता .