धनबाद (DHANBAD) : एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान दुर्घटना में शहीद हुए 375 श्रमिकों को आज दी जाएगी श्रद्धांजलि. सेल चास नाला कोलियरी डिवीजन के गहरी खदान में 27 दिसंबर 1975 को 375 लोगो की जल समाधि हो गई थी. यह घटना पहली पाली में हुई थी. देखते देखते ही पूरी खदान पानी से भर गई थी और लोगों की जल समाधि हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे देश में कोहराम मच गया था.
घटना पर बनी थी बॉलीवुड फिल्म
बॉलीवुड भी दुर्घटना की ओर आकर्षित हुआ था और इसी दुर्घटना पर आधारित काला पत्थर फिल्म भी बनी थी. यह फिल्म भी काफी मशहूर हुई थी. 27 दिसंबर 1975 की दोपहर लगभग 1:30 बजे दुर्घटना हुई थी. जांच में अधिकारियों के लापरवाही का नतीजा सामने आया था. खदान से निकलने वाले पानी को जमा करके बांध बनाया गया था और हिदायत दी गई थी कि 60 मीटर की परिधि में ब्लास्टिंग नहीं किया जाए. लेकिन अधिक से अधिक कोयला उत्पादन के फेर में यह दुर्घटना हो गई और 375 की जल समाधि हो गई. लगभग 5 करोंड गैलन पानी खदान के अंदर घुस गया था. बचाव कार्य भी तुरंत शुरू नहीं किया जा सका था. विदेशी कंपनियों के सहयोग से एक महीने बाद बचाव कार्य शुरू हुआ था. शव निकलने पर मृतकों की पहचान कपड़े से की गई थी. पानी भरने से कोयला खदान में और भी दुर्घटनाएं हुई हैं. 1996 में गजली टांड़ हादसा हुआ था, जिसमें 60 से अधिक मजदूरों की जल समाधि हो गई थी. इसके बाद बागडिग्गी खदान में पानी भरने से दुर्घटना हुई थी. अमूमन होता है कि अधिक से अधिक कोयला उत्पादन के फेर में सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं किया जाता है और दुर्घटनाएं हो जाती हैं. गजली टांड़ के समय तो बारिश इतनी अधिक हुई थी कि नदी और जोरिया का पानी सीधे खदान में घुस गया था और 60 से अधिक श्रमिकों ने जल समाधि ले ली थी.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद