जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार विश्वरभर में 1 जनवरी के दिन को नए साल के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लेकिन इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों और समुदाय के लोग अपनी-अपनी संस्कृति व परपंराओं के अनुसार नया साल मनाते हैं. बंगाली समुदाय के लोग पोइला बोइशाख के दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं. इस दिन लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई व शुभकामनाएं देते हैं और परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच इस दिन का जश्न मनाते हैं. घर के सभी लोग इस दिन नए-नए कपड़े पहनकर पूजा-पाठ करते हैं और विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इस साल पोइला बोइशाख या बंगाली नववर्ष शनिवार 15 अप्रैल यानी आज के दिन मनाया जा रहा है.
7वीं शताब्दी में हुई थी बंगाली युग की शुरूआत
बंगाली नववर्ष के इतिहास को लेकर अलग-अलग विचार और मत हैं. मान्यता है कि बंगाली युग की शुरुआत 7वीं शताब्दी में राजा शोशंगको के समय हुई थी. इसके अलावा दूसरी ओर यह भी मत है कि चंद्र इस्लामिक कैलेंडर और सूर्य हिंदू कैलेंडर को मिलाकर ही बंगाली कैलेंडर की स्थापना हुई थी. वहीं इसके अलावा कुछ ग्रामीण हिस्सों में बंगाली हिंदू अपने युग की शुरुआत का श्रेय सम्राट विक्रमादित्य को भी देते हैं. इनका मानना है कि बंगाली कैलेंडर की शुरुआत 594 ई. में हुई थी.
पूजा-पाठ कर लोग एक दूसरे को देते हैं बधाई
बंगाली समुदाय के लोगों के लिए पोइला बोइशाख (पहला बैशाख) बहुत ही खास होता है. इस दिन से बंगाली नववर्ष की शुरुआत होती है. इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं. घर की साफ-सफाई कर अल्पना बनाया जाता है. मंदिर जाकर नए साल के पहले दिन भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद विशेष व्यजंन तैयार किए जाते हैं. इस दिन गौ पूजन, नए कार्य की शुरुआत, अच्छी बारिश के लिए बादल पूजा आदि का भी महत्व होता है. पोइला बोइशाख पर लोग सुख-समृद्धि के लिए सूर्य देव के साथ ही भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. घर पर रिश्तेदार और दोस्तों का आना-जाना होता है और लोग एक दूसरे को "शुभो नोबो बोरसो" (नए साल की शुभकामनाएं) कहकर नए साल की बधाई देते हैं.
रिपोर्ट. रंजीत ओझा