धनबाद(DHANBAD):
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
नवरात्र में पुष्पांजलि का विशेष महत्व होता है. भक्त पुष्पांजलि मंत्र के साथ मां दुर्गा को फूल अर्पित करते है. माता रानी से क्षमा याचना करते है. इस पुष्पांजलि का बहुत ही खास महत्व होता है. भक्त मां के दर्शन के बाद पुष्पांजलि की प्रतीक्षा करते है. पुष्पांजलि मंत्र से भक्त मां दुर्गा से अपनी गलतियों की क्षमा याचना करते है.
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्. पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी !
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरी . यत्पूजितं मया देवी परिपूर्ण तदस्तु मेव !!
अर्थात हे देवी मैं आपका “आवाह्न” अर्थात् आपको बुलाना नहीं जानता हूं, न विसर्जनम् अर्थात् न ही आपको विदा करना जानता हूं, मुझे आपकी पूजा भी करनी नहीं आती है. कृपा करके मुझे क्षमा करें. न मुझे मंत्र का ज्ञान है न ही क्रिया का, मैं तो आपकी भक्ति करना भी नहीं जानता. यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपा करके मेरी भूल को क्षमा कर दें और पूजा को पूर्णता प्रदान करें. मैं भक्त हूं, मुझसे गलती हो सकती है, हे देवी मुझे क्षमा कर दें. मेरे अहंकार को दूर कर दें. मैं आपकी शरण में हूं.
मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा भक्तो की पूजा से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है. पुष्पांजलि देने वालों पर माता की कृपा बनी रहती है और घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. आज महानवमी है, धनबाद के विभिन्न पंडालों में पुष्पांजलि देने के लिए भक्तों की भीड़ जुटी हुई थी. या यो कहिए भक्तों का रैला लगा हुआ था. क्या बच्चे ,क्या बुजुर्ग ,क्या बूढ़े, क्या महिलाएं, सारे लोग पुष्पांजलि के समय की प्रतीक्षा कर रहे थे. पुष्पांजलि तो सभी पंडालों में होती है लेकिन जहां परंपरागत पूजा अभी भी होती है, वहां भक्त उमड़ते है. भक्तों को फुल , बिल्वपत्र दिए जाते है. उसके बाद पंडित मंत्र उच्चारण करते है. भक्त भी साथ-साथ मंत्र बोलते है. उसके बाद मां के चरणों में उसे अर्पित कर क्षमा मांगते है. धनबाद के हरि मंदिर में सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ जुटी थी. सभी पुष्पांजलि देने को आतुर थे. सबको जल्दीबाजी थी कि जल्द से जल्द उन्हें फुल मिल जाए कि मां के चरणों में पुष्प अर्पित कर क्षमा याचना वह कर सके.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो