धनबाद(DHANBAD):झारखंड में राज्यसभा की दो सीट खाली हो रही है. एक सीट कांग्रेस के धीरज साहू और दूसरी सीट भाजपा के समीर उरांव के सेवानिवृत होने की वजह से खाली हो रही है. अब यहीं से सवाल उठता है कि क्या गांडेय विधानसभा सीट से पिछले साल के अंतिम दिन इस्तीफा देने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज अहमद को क्या राज्यसभा भेजा जा सकता है? हालांकि इसमें कई पेंच भी है. कहा जाता है कि कांग्रेस के धीरज साहू सेवानिवृत हो रहे हैं इसलिए कांग्रेस का स्वाभाविक दावा बनता है. लेकिन अभी झारखंड में गठबंधन की सरकार चल रही है. फैसला तो गठबंधन को मिलजुल कर ही लेना होगा.9 दिसंबर 2019 को झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी थी. इसके बाद राज्यसभा के दो चुनाव हुए और दोनों बार सीट झामुमो के खाते में गई. 2020 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन राज्यसभा भेजे गए तो दूसरी बार 2022 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की ही महुआ माजी राज्यसभा भेजी गई. लेकिन इस बार कांग्रेस की सीट खाली हो रही है तो कांग्रेस इस सीट के लिए दावा कर सकती है.
महागठबंधन से एक उम्मीदवार तो एनडीए से एक उम्मीदवार राज्यसभा में जा सकता है
31 दिसंबर 2023 को जब गांडेय सीट से सरफराज अहमद ने इस्तीफा दिया तो उसके कई माने मतलब निकाले जा रहे थे .पहला मतलब तो यही था कि सरफराज अहमद को भरोसा दिया गया है कि उन्हें राज्यसभा में भेजा जाएगा. दूसरा कयास यह था कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कस रहा है. ऐसे में वह अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को गांडेय विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर विधायक बना सकते हैं. और झारखंड की बागडोर कल्पना सोरेन को सौंपा जा सकता है. प्रयास तो इसके हुए लेकिन अंतिम समय पर यह गोटी फिट नहीं बैठी. चंपई सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए. झारखंड में अभी जो गणित है, उसके अनुसार अंदाजा लगाया जा सकता है कि महागठबंधन से एक उम्मीदवार तो एनडीए से एक उम्मीदवार राज्यसभा में जा सकता है.एनडीए भी इस बार उम्मीदवार बदल दे तो कोई अचरज नहीं है.झारखंड के लोकसभा चुनाव में एनडीए को भी कई उम्मीदवार बदलने है.समीर उराव पर भी खतरा है.वैसे भी चंपई सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार में कांग्रेस के मंत्रियों को लेकर काफी खींचतान चली. नाराज विधायक दिल्ली तक गए, लेकिन उन्हें बहुत साफ सुथरा कोई भरोसा नहीं मिला. लौटकर झारखंड आ गए, लेकिन इस बार राज्यसभा की सीट को लेकर आलाकमान भी बहुत जल्दीबाजी नहीं करेगा. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है. यह बात अलग है कि अभी कांग्रेस की ओर से किसी के नाम की चर्चा नहीं चल रही है.
दो से अधिक उम्मीदवार होने पर 21 मार्च को चुनाव कराया जा सकता है
धीरज साहू के ठिकानों से अभी हाल ही में बरामद राशि को लेकर कई तरह की चर्चाएं थी. हालांकि सूत्र बताते हैं कि धीरज साहू के ठिकानों से जो भी राशि बरामद हुई थी, उसका हिसाब उन्होंने दे दिया है. झारखंड की राजनीति में यह देखना दिलचस्प होगा कि धीरज साहू को ही फिर से कांग्रेस उम्मीदवार बनाती है या फिर किसी और नाम पर मुहर लगती है. या फिर इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा फिर एक बार दावा कर सकता है और सरफराज अहमद का प्रस्ताव कर सकता है. लेकिन यह अभी भविष्य के गर्भ में है .इस बीच चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सियासी पारा चढ़ने लगा है. गठबंधन की ओर से प्रत्याशी देने के लिए फार्मूला पर काम शुरू हो गया है. दूसरी ओर एनडीए भी काम कर रहा है. हालांकि राज्यसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा दावा करेगा या फिर चुपचाप कांग्रेस को समर्पित कर देगा, यह कहना भी जल्दीबाजी होगी. झारखंड में कांग्रेस के विधायक नाराज चल रहे हैं .उनकी मांग थी कि चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार में जो कांग्रेस के मंत्री हैं, उनको बदला जाए ,लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसकी टीस कांग्रेस विधायकों में बनी हुई है. चुनाव आयोग की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार दोनों सीटों के लिए 4 मार्च को अधिसूचना जारी की जाएगी. नामांकन पत्रों की जांच 12 मार्च को होगी. दो से अधिक उम्मीदवार होने पर 21 मार्च को चुनाव कराया जा सकता है. उसी दिन मतगणना भी पूरी कर ली जाएगी. चुनाव की प्रक्रिया 23 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी. कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व बिल्कुल नहीं चाहेगा कि राज्यसभा चुनाव को लेकर फिर से विधायक नाराज हो.वैसे भी कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि सरकार में मजबूत दखल होने के बावजूद उन्हें तरजीह नहीं मिलती है. हेमंत सोरेन फिलहाल जेल में है .ऐसे में सब कुछ अपने अनुकूल करने में झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी परेशानी हो सकती है.
कांग्रेस लोकसभा की 6 सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा 6 और एक राजद के खाते में जा सकता है
वैसे, सरफराज अहमद कांग्रेस को छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा में गए थे और गांडेय विधानसभा से विधायक चुने गए थे .लेकिन 31 मार्च 2023 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया. सूत्र बताते हैं कि उन्हें भरोसा दिया गया था कि उन्हें राज्यसभा में भेजा जाएगा. लेकिन इस बीच जो झारखंड की राजनीति में डेवलपमेंट हुआ, उससे इस रास्ते में कई कील कांटे गड़ गए हैं. वैसे झारखंड में अभी सीट शेयरिंग की बात फाइनल नहीं हुई है. चर्चा है कि बात अंतिम चरण में है. कांग्रेस लोकसभा की 6 सीट पर लड़ सकती है तो छह पर झारखंड मुक्ति मोर्चा, एक सीट राजद के खाते में जा सकता है तो एक सीट वाम मोर्चे को मिल सकती है. कांग्रेस की ओर से धनबाद, रांची, हजारीबाग ,खूंटी ,लोहरदगा सहित अन्य सीटों पर दावा किया जा रहा है .यह भी चर्चा है कि रांची और जमशेदपुर सीट को लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा अदला-बदली कर सकते हैं. लेकिन यह सब अभी कयास ही हैं .अंतिम रूप से फैसला होना बाकी है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो