धनबाद(DHANBAD) : जिला परिषद सदस्य से सीधे विधायक बनने वाले इंद्रजीत महतो की सदस्यता बरकरार रहेगी. सिंदरी विधानसभा सीट कभी लाल झंडे के कब्जे में था लेकिन कालांतर में लाल झंडे की हनक ख़त्म हो गई. 2005, 2009 और 2014 में यहां से लाल झंडा नहीं जीत पाया. 2005 में झारखंड के पुरोधा स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के पुत्र स्व राजकिशोर महतो भाजपा की टिकट पर विधायक बने थे. 2009 में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर फूलचंद मंडल चुनाव जीते. 2014 में बाबूलाल मरांडी से उनका मोहभंग हो गया था और भाजपा के टिकट पर 2014 में चुनाव जीते. हालांकि 2019 में भाजपा का टिकट इंद्रजीत महतो को मिलाने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए और झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर ही 2019 का चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा सीट की एक विशेषता है कि देश का पहला लोक उपक्रम ,सिंदरी खाद कारखाना इसी विधानसभा क्षेत्र में खुला था.
चार दशक पहले सिंदरी थी कुछ और
यह बात अलग थी कि आज से चार दशक पहले सिंदरी की दशा और दिशा कुछ और थी और आज कुछ और है. 2019 के चुनाव में इंद्रजीत महतो को 80000 से अधिक वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे मासस के आनंद महतो को 72000 से अधिक वोट मिले. जेएमएम के टिकट पर फूलचंद मंडल 33000 से कुछ अधिक वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. यह सीट इस मामले में भी खास है कि पूर्व सांसद एके राय सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे. उसके बाद जब 1977 में जनता पार्टी की लहर चल रही थी, उस वक्त धनबाद जेल में बंद रहते हुए धनबाद से सांसद बने थे. सिंदरी विधानसभा क्षेत्र एके राय का कार्यक्षेत्र रहा था. चुकी बंगाल से पढ़ाई कराने के बाद एके राय सिंदरी में ही केमिकल केमिकल इंजीनियर के पद पर नौकरी ज्वाइन की थी. उसके बाद मजदूरों की दशा देखकर वह विचलित हो गए और उन्हें संगठित कर आंदोलन की शुरुआत कर दी. इस वजह से उन्हें नौकरी गंवानी पड़ी, फिलहाल इंद्रजीत महतो बीमार चल रहे है. गंभीर बीमारी के कारण लगातार हैदराबाद में उनका इलाज चल रहा है.
मार्च 2021 के बाद वह सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके
मार्च 2021 के बाद वह सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके हैं. इंद्रजीत महतो को 23 मार्च 2021 के बाद 23 मार्च 2023 तक की अवधि में सदन की बैठकों में अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान कर दी गई है. इतना ही नहीं ,आगे भी संभावित अनुपस्थिति को मंजूरी दी गई है. विधायक की पत्नी ने स्पीकर को इसके लिए आवेदन दिया था. उस आवेदन पर उन्हें यह अनुमति मिली है. जानकार बताते हैं कि नियम है कि विधान सभा की बैठकों में लगातार अनु पस्थित रहने की अनुमति जो सदस्य चाहेंगे, वह अध्यक्ष को इस संबंध में आवेदन देंगे. आवेदन मिलने के बाद अध्यक्ष यथासंभव जल्द सदन में आवेदन की चर्चा करेंगे. विरोध नहीं होने पर अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान की जाती है. लेकिन अगर कोई विरोध की आवाज सुनाई दे तो अध्यक्ष सभा का अभिप्राय जान लेंगे और उसके बाद निर्णय करेंगे .हालाकी इंद्रजीत महतो के मामले में दलगत भावना से ऊपर उठकर कहीं से कोई विरोध की आवाज नहीं उठी और इंद्रजीत महतो को पिछली अनुपस्थिति और आगे भी अनुपस्थित रहने की मंजूरी मिल गई है. भाजपा के लिए भी यह राहत की बात है और बीमार विधायक इंद्रजीत महतो के लिए भी.