टीएनपी डेस्क(TNP DESK): साहिबगंज में पहाड़िया जनजाति की महिला रुबिका की निर्मम हत्या ने पूरे मानवता को झकझोर कर रख दिया है. महिला के शव के 18 टुकड़े किये गए और उसे बोरे में बांध कर फेंक दिया गया. शव का सिर अभी भी लापता है. पुलिस को महिला के पति पर ही हत्या करने का शक है. पुलिस ने आरोपी पति दिलदार अंसारी को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ कर रही है. आरोपी पति और मृतिका दोनों अलग-अलग समुदाय से आती हैं. दोनों की शादी के महज सिर्फ 10 दिन ही हुए थे. ये भी बताया गया था कि आरोपी पति दिलदार पहले से शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी है. मगर, फिर भी उसने मृतिका रुबिका को प्रेम जाल में फंसा कर उससे शादी की. महिला के घरवाले इस शादी के विरोध में थे. ऐसे में पूरे मामले को लव जिहाद के एंगल से भी देखा जा रहा है.
लव जिहाद का शक क्यों?
लव जिहाद का शक इसलिए उठ रहा है, क्योंकि आरोपी पति अल्पसंख्यक समुदाय से आता है और इसके पहले भी राजमहल क्षेत्र में लगातार ऐसे मामले उठते रहे हैं. वहां के विधायक भी लगातार इलाके में लव-जिहाद की बात कहते आए हैं. आरोप लगाया जाता रहा है कि दुमका और साहेबगंज के इलाकों में बांग्लादेशी और पीएफआई द्वारा जबरन आदिवासी लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाया जा रहा है. दुमका में पहले भी आदिवासी लड़कियों के खिलाफ ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जहां मुस्लिम युवकों के द्वारा प्रेम जाल में फंसाने का ममाला सामने आता रहा है, जब कई लड़कियों ने उनके प्यार को ठुकराया तो उन्हें मारने के भी मामले सामने आए हैं. दुमका का चर्चित अंकिता हत्याकांड सभी को याद ही होगा, इसमें आरोपी शाहरुख ने अंकिता पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दिया था, क्योंकि अंकिता ने उसके प्यार को ठुकरा दिया था. इस मामले में भी ऐसे ही किसी साजिश होने की बात कही जा रही है.
भाजपा का अराओप बांग्लादेशी मुस्लिम और रोहिंग्यों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी
भाजपा नेताओं की बात मानें तो झारखंड का संथाल परगना (गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़ और साहिबगंज) में बांग्लादेशी मुस्लिम और रोहिंग्यों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. खासकर पाकुड़ और साहिबगंज जिले में बंग्लादेशी मुस्लिमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. आरोप है कि बांग्लादेशी मुस्लिम यहां की आदिवासी लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनसे शादी करते हैं और उनकी जमीन और घर हड़प ले रहे हैं. इतना ही नहीं अगर शादी से पहले या बाद में लड़कियों को उनकी सच्चाई का पता चल जाता है तो वो उनकी हत्या तक कर देते है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर 1994 में साहिबगंज जिले में 17 हजार से अधिक बांग्लादेशियों की पहचान हुई थी. इन बांग्लादेशियों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे, मगर इन्हें वापस नहीं भेजा जा सका था.
लव जिहाद क्या सोची समझी साजिश
साहेबगंज में रुबिका के शव के 18 टुकड़े करने का मामला हो या दुमका अंकिता हत्याकांड, ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं. कहीं चार महीने प्रेग्नेंट नाबालिग लड़की को पेड़ पर फांसी से लटका कर मार दिया जाता है तो कहीं लड़की को जिंदा जला दिया जाता है और कहीं शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते हैं. ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. दुमका पेट्रोल कांड के बाद बीजेपी के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा था कि अंकिता की हत्या करने वाला शाहरुख और उसका दोस्त मो. नईम बांग्लादेश के आतंकी संगठन अंसार-उल-बांग्ला से प्रेरित था. नईम का मोबाइल रिकॉर्ड इस बात की गवाही देता है. मरांडी के मुताबिक अंसार-उल-बांग्ला भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा का एक फ्रंट ग्रुप है, जिसका मकसद गैर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाना और उनका धर्म परिवर्तन कराना है.
अनंत ओझा साल 2018 से उठा रहे ये मुद्दा
वहीं राजमहल से भाजपा विधायक अनंत ओझा ने इस मुद्दे को विधानसभा में लगातार उठाते आ रहे हैं. उन्होंने पिछले बजट सत्र के दौरान कार्यस्थगन सूचना के जरिए संथाल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला उठाया था. उन्होंने अपनी सूचना में कहा था कि साहिबगंज जिलों में पिछले कुछ वर्षों से बांग्लादेशी घुसपैठ से जनसंख्या संतुलन बिगड़ गया है. वो इस बात को हर बार अलग-अलग जगहों पर कहते हुए भी दिखाई देते हैं. साल 2018 में रघुवर दास सरकार ने पूरे राज्य में NRC लागू करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है.
फर्जी प्रमाण पत्र बना कर रह रहे बांग्लादेशी
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठिये फर्जी नाम और प्रमाण पत्र बना कर भारत के नागरिक बनकर रह रहे हैं. सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर रहे हैं, यहां तक कि सरकारी संसाधनों का फायदा ले रहे हैं. इस मुद्दे पर भी गृह विभाग को झारखंड से रिपोर्ट भेजी गयी थी. रिपोर्ट में जिक्र था कि बांग्लादेशी बिहार और बंगाल के रास्ते झारखंड आ रहे. इसमें अवैध प्रवासियों को चिन्हित करने के लिए टास्क फोर्स गठित करने की सिफारिश की गई थी. बात अगर आंकड़े की करे तो बंग्लादेश से सटे इलाको में मुस्लिम आबादी काफी बढ़ी है. पाकुड़ में 2001 में मुस्लिम आबादी 33.11 प्रतिशत थी जो 2011 में 35.87 प्रतिशत हो गई. उसके बाद का रिपोर्ट फिलहाल जारी नहीं किया गया है. मामला काफी गंभीर है ऐसे में इस दिशा में जांच परख जरूरी है देश के अखंडता के लिए इस तरह के घुसपैठ पर रोक लगाना जरूरी है.