टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम प्रकृति से सम्पन्न क्षेत्र है. साल के लंबे-लंबे पेड़ों से घिरा सारंडा का ये इलाका जितना अपने वनस्पति और वनधन के लिए विख्यात है, उतना ही नक्सलियों के लिए कुख्यात भी है. काफी घना जंगल होने के कारण ये इलाका नक्सलियों के लिए काफी सुरक्षित है. इस कारण सुरक्षाबलों के लिए नक्सलियों के लिए कोई भी अभियान चलाना हमेशा से ही मुश्किल रहा है. यही कारण है कि किसी भी अभियान में नक्सलियों से ज्यादा नुकसान सुरक्षाबलों को उठाना पड़ता है. पिछले करीब एक महीने का आंकड़ा भी यही बता रहा है.
पिछले करीब एक महीने में इस इलाके में नक्सलियों ने लगातार IED ब्लास्ट किए हैं, इस ब्लास्ट में सुरक्षाबलों के करीब 17 से अधिक जवान घायल हुए हैं. तो आखिर पिछले एक महीने में ऐसा क्या हुआ कि अचानक नक्सली इतने आक्रामक हो गए हैं....
नक्सलियों के खिलाफ लगातार चल रहा अभियान
दरअसल, झारखंड के ज्यादातर जिले अतिनक्सलग्रस्त थे, लेकिन धीरे-धीरे लगभग जिले नक्सलमुक्त हो गए. इसके लिए झारखंड पुलिस, CRPF और अन्य सुरक्षाबलों की टीम ने अथक प्रयास किए. कई जवान शहीद भी हुए. लेकिन इसका अंत सुखद रहा. इलाके से नक्सलियों का खात्मा कर दिया गया. मगर, इसके बावजूद भी राज्य के कई जिले आज भी अतिनक्सल ग्रस्त हैं. इसी में से कोल्हान के भी कई जिले शामिल हैं.
नए साल की शुरुआत होते ही सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर दिया. कोल्हान के घने जंगलों में सुरक्षाबलों की टीम ने दिन-रात छापेमारी शुरू कर दी, नतीजा हुआ कि नक्सलियों के बीच घबराहट पैदा हो गई. कोल्हान के जंगलों में कभी भी सुरक्षाबल नक्सलियों के इतने नजदीक नहीं पहुंचे थे, जितने कि वो आज हैं. इससे नक्सली पीछे हटते जा रहे हैं.
IED ब्लास्ट में इजाफा क्यों?
सरकार की आत्म-समपर्ण नीति के तहत कई बड़े-बड़े खूंखार नक्सलियों ने आत्मसमपर्ण किया है. इसके साथ ही कृष्णा हांसदा जैसे 15 लाख के इनामी माओवादी को सुरक्षाबलों ने धर-दबोचा. इस दौरान सुरक्षाबलों को नक्सलियों के कई ठिकानों की जानकारी मिली. इस जानकारी पर सुरक्षाबलों ने छापेमारी अभियान शुरू किया. इस बार सुरक्षाबल पूरी ताकत के साथ आगे बढ़े. सुरक्षाबलों की ताकत ज्यादा थी, जिसके कारण नक्सली आमने-सामने की लड़ाई को तैयार नहीं थे, लिहाजा उन्होंने पीछे हटना स्वीकार किया. लेकिन पीछे हटना भी उनके लिए आसान नहीं था, इससे वे सुरक्षाबलों के सीधे निशाने पर आ जा रहे हैं, इस कारण उन्होंने एक रणनीति अपनाई.
नक्सलियों की रणनीति
नक्सलियों ने पूरे जंगल के इलाके में IED बिछा दिए. इस बारे में नक्सलियों ने कई बार पोस्टर जारी कर आम ग्रामीणों को सचेत भी किया, कि वे जंगलों में ना जाए, नहीं तो किसी भी नुकसान की जिम्मेवारी उनकी नहीं होगी. जंगलों में बिछे इन्हीं IED की चपेट में सुरक्षाबलों के जवान आ जा रहे हैं. इससे सुरक्षाबलों का अभियान थोड़ा धीमा हो रहा है, इससे नक्सलियों को भागने में समय मिल जा रहा है.
हालांकि, नक्सलियों की इस रणनीति से सुरक्षाबल पूरी तरह वाकिफ हैं, अब वे भी पूरी तरह फूंक-फूंक कर अपने कदम आगे रख रहे हैं. हालांकि, जंगलों में IED को खोजना एक बहुत ही मुश्किल काम है, इस कारण सुरक्षाबल एहतियात बरतने के बावजूद भी इसकी चपेट में आ जा रहे हैं.