धनबाद(DHANBAD) | कोयला खान भविष्य निधि संगठन ( सीएमपीएफओ) के लगभग चार लाख सदस्यों में भारी निराशा है. निराशा होगी क्यों नहीं ,उनकी जमा राशि पर लगातार ब्याज दर घटती जा रही है. सीएमपीएफओ ने वित्तीय वर्ष 20 22- 23 के लिए 7.6% ब्याज का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है. कोयला मंत्रालय सहित वित्त मंत्रालय से अप्रूवल के बाद इसी दर पर कोयलाकर्मियों को भविष्य निधि पर ब्याज मिलेगा. ब्याज दर में लगातार कमी से बूढ़े कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ रही है. पिछले कई वर्षों से इसमें लगातार कटौती जारी है. अधिकारी कहते हैं कि अंशदान से ज्यादा निकासी के कारण फंड कमजोर हो रहा है. इस वजह से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की तरह ब्याज दर में इजाफा संभव नहीं है. लेकिन प्रभावित लोगों का कहना है कि देश के इतिहास में पहली बार सीएमपीएफओ ब्याज दर को 8% से नीचे करने का प्रस्ताव भेजा है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने की है 8 . 1 5 प्रतिशत ब्याज की घोषणा
इधर, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन इसके लिए वित्तीय वर्ष 2022 -23 के लिए 8 . 1 5 प्रतिशत ब्याज दर की घोषणा की है. रिटायर्ड कोयला कर्मियों का कहना है कि उनकी राशि पर ब्याज दर घट रही है और दूसरी ओर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन अधिक की घोषणा कर रहा है. आंकड़े पर भरोसा करें 2018 -19 में सीएमपीएफओ में ब्याज दर 8.6% दी गई थी. इसी तरह 2019-20 एवं 2020-2021 8.5% थी. वही 2022- 2023 में 8% से भी नीचे दर करने का प्रस्ताव है. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई तो इसी दर से लगभग चार लाख सदस्यों को भुगतान मिलेगा. बात सिर्फ इतनी नहीं है, सीएमपीएफओ में फंड की कमी का हाल है कि ब्याज दर में कमी के साथ-साथ अब तक एक बार भी पेंशन में बढ़ोतरी नहीं की गई है. नियम के मुताबिक हर 3 साल में पेंशन की समीक्षा होनी चाहिए, मामला संसद और न्यायालय तक जाने के बाद भी अब तक पेंशन पर कोई पॉजिटिव पहल नहीं हुई है.
फंड कमजोर होने का दिया जा रहा हवाला
अधिकारी दावा ठोक रहे हैं कि अंशदान के मुकाबले ज्यादा निकासी के कारण फंड कमजोर हो रहा है. सवाल यह भी उठ रहा है कि सीएमपीएफओ की राशि का निवेश सही ढंग से नहीं किया गया है. सवाल और भी हैं ,कोयला कर्मचारियों का कहना है कि प्रकृति के खिलाफ जाकर उन लोगों ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर कोयले का उत्पादन किया. अब जब उनकी हड्डियां बूढ़ी हो गई है तो सरकार उनके साथ न्याय नहीं कर रही है. जिस समय देश को कोयले की जरूरत थी, उस समय जान जोखिम में डालकर कोयले का उत्पादन किया. लेकिन उसका फल यहीं मिल रहा है कि लगातार ब्याज दर में कटौती की जा रही है. इसके लिए कोयला कर्मचारी कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है. इधर सूत्रों ने उम्मीद जताई है कि 7.6% का जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसे मंजूर कर लिया जाएगा और इस प्रकार उनके ब्याज दर ने कटौती होने लगेगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो