धनबाद(DHANBAD): धनबाद में एक कोयला चोरी और इससे सैकड़ों परेशानियां, सड़क पर कोयला लोड दो पहिया वाहन दुर्घटना को आमंत्रित करते हैं, अवैध कोयला लोड हाईवा जब सड़क पर चलते हैं तो उनकी गति सातवें आसमान पर होती है, नतीजा दुर्घटनाएं, अवैध खनन में चाल धसती है और लोग मरते है. कोयला चोरी में वर्चस्व की जंग में गोलीबारी और बम बाजी होती है, फिर तो कानून- व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाती है. सुरक्षा के लिए तैनात सीआईएसएफ से कोयला चोरी करने वाले उलझ जाते है. आउटसोर्सिंग कंपनियों के उत्पादित कोयले को उठाकर कोयला चोर ले जाते है. उपरोक्त तो हुई एक तरह की परेशानी, दूसरी तरफ धनबाद जिला के थाना और ओपी भी कोयला चोरी से परेशान है. परेशान इस मायने में कि चोरी का कोयला रखने की अब उनके पास जगह तक नहीं है. प्रायः सभी थाना और ओपी में कोयले का ढेर जमा हुआ है.
कोयले के ढेर पर उग आये हैं गाछ
इस ढेर पर गाछ - वृक्ष उग आए है. कोयला लोड जब्त वाहनों की संख्या भी कम नहीं है. थाना परिसर में जगह नहीं होने के कारण सड़क पर गाड़ियां किसी भी थाने के बहार देखी जा सकती है. इतना ही नहीं, थाना परिसर में कोयला ढोने वाली साइकिल , बाइक भी आपको दिख जाएंगे. पुलिस ने इन्हें जब्त कर थाना परिसर में रखा है. हालत तो अब यह हो गई है कि कहीं भी जब्त कोयले को अब थाना में नहीं लाया जाता. इलाके के लोगों के जिम्मेनामा पर कोयला छोड़ दिया जाता है. अभी हाल ही में टास्क फोर्स की बैठक में बीसीसीएल के अधिकारियों का आरोप था कि जब्त कोयले की जब्ती सूची थाना वाले नहीं देते. इस पर एसएसपी ने कहा था कि हर हाल में सभी थाना वाले जब्ती की सूची देंगे. आप बेफिक्र होकर कार्रवाई करिए, नामजद प्राथमिकी करिए, पुलिस और कानून अपना काम करेगा. फिलहाल अगर आप किसी थाने में जाएंगे तो पहले आपको कोयले के डंपिंग यार्ड का ही दर्शन होगा. आप सोचने को मजबूर हो सकते हैं कि थाना में आए हैं कि कोलियरी के डंपिंग यार्ड में. थानों में जब्त कोयले की नीलामी बहुत दिनों से नहीं हुई है.
स्पेशल ड्राइव से भी जब्ती की मात्रा अधिक हुई है
इधर, हाल के दिनों में पुलिस और प्रशासन ने अभियान चलाया था. इस अभियान की वजह से भी अधिक मात्रा में कोयले की जब्ती हुई है. यह बात अलग है कि कोयला चोरी कभी थमी नहीं. पुलिस जितनी छापेमारी करती है, उसके कई गुना तेज गति से अवैध उत्खनन और कोयला चोरी होती है. जानकार बताते हैं कि थानों में कोयले की नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है. नीलाम की प्रक्रिया मुख्यालय के आदेश से शुरू होती है ,उसके बाद सभी थाना को अपने यहां जब्त कोयले की मात्रा का आकलन कर जिला मुख्यालय को भेजना होता है. उसके बाद नीलामी की तिथि घोषित होती है और खरीदार इसकी अधिक से अधिक बोली लगाकर खरीदारी करते है. रेलवे में तो कोयला नीलामी की प्रक्रिया चलती है, यह बात अलग है कि इसी पेपर पर स्थानीय उद्योगपति चोरी का कोयला उद्योग में खपाते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो