धनबाद(DHANBAD) | 25 जून' 1975 को देश में आपातकाल लगा था. आपातकाल के गवाह रहे बहुत सारे लोग अब इस दुनिया में नहीं होंगे और आज का युवा वर्ग तो इसे सिर्फ सुन ही रहा होगा. हो सकता है कि किताबों में पढ़ा होगा या फिर बुजुर्गों से इमरजेंसी के प्रभाव को जाना और सुना होगा. उसके बाद यह भी जाना होगा कि 1977 में जयप्रकाश नारायण का नारा- 'गद्दी छोड़ो कि जनता आ रही है' का क्या असर हुआ. इंदिरा गांधी जैसे कद्दावर नेता को राज नारायण ने चुनाव में हरा दिया था. उसके बाद मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने थे. 25 जून तो अब आने ही वाला है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में रविवार को इसका जिक्र भी कर दिया है और यह भी संकेत दे दिया है कि आपातकाल को लेकर भाजपा आक्रामक होगी. कांग्रेस को घेरने की कोशिश करेगी. इस बीच 23 जून को विपक्षी दलों की पटना में बैठक भी प्रस्तावित है. यह बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में होगी और विपक्षी एकता पर बात होगी.
25 जून' के ठीक दो दिन पहले है विपक्षी दलों की पटना में बैठक
23 जून की बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. भाजपा तो इस पर की नजर गड़ाए हुए है. वह मौका की तलाश कर रही है. वैसे ,इस बैठक में लोगों को भरोसा है कि कांग्रेस का स्टैंड क्लियर हो जाएगा. फिलहाल भाजपा को विपक्षी एकता का तो भरोसा नहीं है, लेकिन वह चाहती है कि कांग्रेस किसी भी तरह लोकसभा चुनाव में 100 सीट के नीचे पर सिमट जाए. ताकि भाजपा को 2024 में भी सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं हो. यह बात सही है कि आपातकाल घोषित रूप से लगा था और इस पर देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. अखबार वालों ने उस समय इसका जबरदस्त विरोध किया था. कई संपादको को जेल जाना पड़ा था. अखबार के संपादकीय स्पेस को खाली छोड़ दिया जा रहा था. व्यवस्था थी कि अखबार छपने के पहले जिले के कलेक्टर या कोई भी, जिनको अधिकार दिया गया हो, इसकी जाँच करेंगे, तभी अखबार में छपेगा. इसका पुरजोर विरोध हुआ. आपातकाल तो नहीं हटा लेकिन इंदिरा गांधी चुनाव हार गई और उसके बाद कांग्रेस को अपनी गलती का एहसास भी हुआ. विपक्षी एकता की अगुवाई करने वाले नीतीश कुमार जयप्रकाश आंदोलन की ही उपज है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी,विधायक सरयू राय सहित हर जिले में कोई न कोई नेता मिल ही जाएंगे, जो अभी भी सक्रिय है.
भाजपा आपातकाल को लेकर आक्रामक होगी
भाजपा आपातकाल को लेकर आक्रामक होगी तो कांग्रेस का क्या स्टैंड होगा, यह तो साफ नहीं है लेकिन कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस ने भी डिफेंसिव राजनीति के बजाय ऑफेंसिव खेलने पर भरोसा कर रही है. 23 जून को क्या होता है और फिर 25 जून को, जिस दिन आपातकाल लगा था, उस दिन भाजपा के क्या-क्या कार्यक्रम हो रहे हैं, यह देखने वाली बात होगी. वैसे, भाजपा ने अपने सभी सांसदों को इसके लिए टास्क को दे दिया है और यह कार्यक्रम 21 जून योगा दिवस के दिन से ही शुरू हो जाएगा. लोगों को मोदी सरकार की उपलब्धियां बताई जाएगी और साथ में यह भी कहा जाएगा कि आज से 4 दिन बाद 1975 में देश में जब आपातकाल लगा था, तो क्या स्थिति बनी थी. आपातकाल के बहाने कांग्रेस को टारगेट में रहेगी.