धनबाद(DHANBAD) | लोक क्षेत्रीय प्रतिष्ठान बीसीसीएल में संचालित दो दर्जन से अधिक आउटसोर्सिंग कंपनियों पर पहली बार शिकंजा कसने की तैयारी चल रही है. अभी तक आउटसोर्सिंग कंपनियां बिना किसी नियंत्रण और उत्पादित कोयले को बचाने का उपक्रम किए बिना चांदी काट रही थी. लगता है अब उन पर नकेल कस जाएगी. धनबाद में कोयला चोरी और लोगो के मरने की गूंज कोल इंडिया मुख्यालय होते हुए दिल्ली तक पहुंची है. नतीजा हुआ है कि कोल इंडिया के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार आलोक कुमार पटेरिया धनबाद पहुंचे और कई स्तर पर बैठकें की. शनिवार को डीसी ऑफिस में महत्वपूर्ण और मैराथन बैठक हुई. जिसमें बीसीसीएल, प्रशासनिक एवं पुलिस के अधिकारी मौजूद रहे. अवैध खनन और कोयला तस्करी में आउटसोर्सिंग कंपनियों की भूमिका पर उपायुक्त ने सवाल उठाया, कहा गया कि आउटसोर्सिंग कंपनियों को अपने खनन क्षेत्र में अनाधिकृत प्रवेश रोकने की जिम्मेवारी दी जाए. सिक्योरिटी ऑडिट भी कराया जाए ,हालांकि बीसीसीएल भी अपनी परेशानियों को उठाया.
एफआईआर में कोयला अधिकारियों को नहीं होगी परेशानी
बीसीसीएल के सुरक्षा महाप्रबंधक ने कहा कि f.i.r. करने में कोयला अधिकारियों को परेशानी होती है. कई थानों का चक्कर लगाना पड़ता है. आश्वासन मिला कि अब ऐसा नहीं होगा, बीसीसीएल ने यह भी मुद्दा उठाया कि जिस थाना के समीप कोयला बरामद होता है, थाना वाले सीजर नहीं लेते है. कोयला अधिकारियों को भरोसा मिला कि पुलिस वाले सीजर लेंगे. बैठक में बीसीसीएल की ओर से तकनीकी उपाय की जानकारी दी गई. जिसमें बताया गया कि अवैध खनन क्षेत्र की ड्रोन सर्विलांस ,सीसीटीवी, हाई मास्ट लाइट सहित कई उपाय किए जा रहे है. इस बैठक में उपायुक्त ने बीसीसीएल को सुझाव दिया कि आउटसोर्सिंग के सुरक्षा कार्यों की कंपनी स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग की जाए. यदि जरूरत पड़े तो टेंडर की शर्तों में सुरक्षा के मेन पावर की शर्तो में परिवर्तन कर अधिक से अधिक सुरक्षा की व्यवस्था की जाए. अवैध खनन में संलिप्त लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कराने पर भी जोर दिया गया. जानकारी के अनुसार कोल इंडिया के वरीय सुरक्षा सलाहकार आलोक कुमार पटेरिया ने कहा कि पुलिस प्रशासन उन जगहों पर कार्रवाई करें, जहां तस्करी का कोयला खपाया जाता है, वहीं पुलिस प्रशासन का कहना था कि कोलियरी प्रबंधन कोयला के स्रोत यानी खनन स्थलों पर ही निगरानी करे तो अवैध खनन होगा ही नहीं.
प्रोजेक्ट के अगल-बगल बड़ी संख्या में कब्जे धारी भी है समस्या
बीसीसीएल की ओर से यह भी कहा गया कि हर प्रोजेक्ट के अगल-बगल बड़ी संख्या में कब्जे धारी है. ऐसे लोगों की ही अवैध खनन में संलिप्तता होती है. ऐसे लोग जब तक प्रोजेक्ट के आसपास रहेंगे तो मुश्किल होगी. बता दें कि धनबाद में कोयला चोरी सिर्फ अवैध खनन के कारण ही नहीं होती है, बल्कि आउटसोर्सिंग परियोजनाओं से भी बेधड़क कोयले की चोरी होती है. आउटसोर्सिंग कंपनी चलाने वाले कुछ समय तक निर्धारित कर देते हैं कि उस समय में जितना कोयला ले जाना है, ले जाए. ऐसा किसी भी विवाद से बचने के लिए हो सकता है ,किया जाता हो. इस तरीके को लेकर हमेशा हो हल्ला होता रहता है. परियोजनाओं के चारों बगल फेंसिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. रात में लाइटिंग की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जाती. अब यह सब सारी जिम्मेवारी आउटसोर्सिंग कंपनियों को मिलने जा रही है, तब देखना है कि क्या सुधार हो पाता है. मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा करें तो कई आउटसोर्सिंग कंपनियां है, जहां एक साथ 40 से 50 बाइक पर सवार होकर लोग जाते हैं और कोयला चोरी करते है. हर इलाकों के कोयले के लिए अलग-अलग तरीके है.
कहीं बोरी सिस्टम है तो कहीं बोरा सिस्टम तो कहीं किलो सिस्टम
कहीं बोरी सिस्टम है तो कहीं बोरा सिस्टम तो कहीं किलो सिस्टम, कोयला चुरा कर लोग बाहर डिपो में जमा करते हैं और फिर वहां से कोयला बड़े बहनों से बाहर की मंडियों में भेज दिया जाता है. लोकल उद्योगों में भी चोरी के कोयले की खपत होती है. जीटी रोड पर तो कई कांटा घर खुल गए हैं, जहां केवल चोरी के कोयले की ही वजन होती है. अभी हाल ही में धनबाद के एसडीएम ने छापेमारी कर लगभग 10 ट्रकों को पकड़ा था. कई ट्रक तो छापामार दस्ते को देख कर भाग गए. कुछ के ड्राइवर गाड़ी छोड़कर फरार हो गए. देखना होगा कि कोल इंडिया स्तर पर धनबाद में हुई महत्वपूर्ण बैठक का असर आगे कितना दिखता है. कोयला चोरी में लगे संगठित गिरोहों की कमर टूटती है कि नहीं.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
