दुमका (DUMKA) : वर्ष 2024 चुनावी वर्ष है. इस वर्ष लोकसभा एवं झारखंड विधान सभा का चुनाव होना है. सभी राजनीतिक दल अभी से चुनावी बैतरणी पार करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है. राजनीतिक दल कोई भी हो चुनाव जीतने के लिए शाम, दाम, दंड और भेद सभी को अपनाते है. चुनाव नजदीक आते ही तोड़-जोड़ की राजनीति भी शुरू हो जाती है. संथाल परगना को झारखंड में सत्ता प्राप्ति का प्रवेश द्वार माना जाता है. कुल 18 विधान सभा मे से वर्तमान में 14 सीटों पर झामुमो और कांग्रेस का कब्जा है. नतीजा दोनों दल सत्ता के शिखर पर बना हुआ है.
झामुमो से मोह भंग हुआ तो कमल पर सवार
संथाल परगना प्रमंडल की राजनीति का एक चर्चित चेहरा है हेमलाल मुर्मू. शुरू से झामुमो की राजनीति की. सांसद, विधायक और मंत्री बने. 9 वर्ष पूर्व झामुमो से मोह भंग हुआ तो कमल पर सवार हो गए. भाजपा में रहते पद मिला, 2 बार राजमहल लोक सभा एवं लिट्टीपाड़ा विधान सभा उपचुनाव में पार्टी के प्रत्यासी बने लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया. जब समझ गए कि संथाल परगना में कमल के सहारे सत्ता के शिखर तक नहीं पहुच पाएंगे तो एक बार फिर से घर वापसी कर ली. 11 अप्रैल को जब पूरे राज्य से भाजपा नेता और कार्यकर्ता रांची में सचिवालय का घेराव कर रहे थे तो हेमलाल मुर्मू साहेबगंज में सीएम हेमंत सोरेन के समक्ष घर वापसी कर रहे थे. चाचा भतीजा गलबहियां करते जनता को यह संदेश दे रहे थे कि सुबह का भुला जब शाम तक घर लौट जाए तो उसे भुला हुआ नहीं मानते है. जानकर इसे भाजपा के लिए बड़ी क्षति मान रहे है.
खैर! 9 वर्ष बाद जब हेमलाल मुर्मू ने घर वापसी की तो सबके जुबान पर एक ही चर्चा है कि आखिर हेमलाल मुर्मू कहाँ से चुनाव लड़ेंगे? क्या भतीजा चाचा के लिए त्याग करेंगे या फिर चाचा पीछे के दरवाजे से भविष्य में राज्य सभा जाएंगे या एक कुशल रणनीतिकार के रूप में झामुमो को मजबूती प्रदान करेंगे? यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि हेमलाल मुर्मू अभी तक या तो राजमहल के सांसद बने है या बरहेट सीट से विधायक. राजमहल सीट पर युवा नेता बिजय हांसदा 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके है. विरासत में उन्हें राजनीति मिली और अब हैट्रिक लगाने की तैयारी में है. वहीं बरहेट सीट पर सीएम हेमंत सोरेन का कब्जा है.
हेमलाल मुर्मू कहाँ से लड़ेंगे चुनाव?
वर्ष 2014 में जब हेमलाल ने झामुमो छोड़ भाजपा का दामन थामा तो हेमंत सोरेन ने दुमका सीट के साथ बरहेट सीट से चुनाव लड़ा. दुमका की जनता ने हेमंत सोरेन को नकार दिया लेकिन बरहेट की जनता ने हेमंत सोरेन को अपना लिया. 2019 कि चुनाव में हेमंत सोरेन एक बार फिर दुमका और बरहेट सीट पर चुनाव लड़े और दोनों जगह से जीत दर्ज की. आखिरकार हेमंत सोरेन ने दुमका सीट को ठुकरा कर बरहेट सीट को अपनाया. खाली हुए दुमका सीट पर उपचुनाव में हेमंत सोरेन के अनुज बसंत सोरेन ने जीत दर्ज की. इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि आखिर आने वाले चुनाव में हेमलाल मुर्मू कहाँ से चुनाव लड़ेंगे? इस सवाल का जबाब तो अभी समय के गर्त में है लेकिन जानकर बताते है कि राजमहल लोक सभा क्षेत्र अंतर्गत लिट्टीपाड़ा विधान सभा क्षेत्र आता है. इस सीट पर लंबे समय तक झामुमो के कद्दावर नेता साइमन मरांडी ने प्रतिनिधित्व किया. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनका बेटा दिनेश विलियम मरांडी विधायक बने. लेकिन पार्टी की नजर में दिनेश जननेता के रूप में अपनी छवि नहीं बना पाए. हो सकता है आने वाले समय में इस सीट पर हेमंत सोरेन या फिर हेमलाल चुनाव लड़ सकते है. हेमलाल के नाम पर पार्टी में विरोध के स्वर उभर सकता है लेकिन हेमंत सोरेन के नाम पर कोई खुल कर विरोध नहीं कर सकता.
हेमलाल की घर वापसी एक तीर से दो शिकार
कौन कहाँ से चुनाव लड़ेंगे यह तो अभी नहीं कहा जा सकता. लेकिन हेमलाल की घर वापसी से हेमंत ने एक तीर से दो शिकार किया है. बरहेट विधान सभा से सटा है बोरियो विधान सभा क्षेत्र. लोबिन हेम्ब्रम यहां के विधायक हैं जो सड़क से सदन तक अपनी ही सरकार को आइना दिखा रहे है. जानकर बताते है कि हेमंत सोरेन ने लोबिन के विकल्प के तौर पर हेमलाल मुर्मू को पार्टी में लाया है. हो सकता है आने वाले समय मे बोरियो से हेमलाल मुर्मू झामुमो के प्रत्यासी हो सकते है. लेकिन तस्वीर साफ होने के लिए समय का इंतजार सबको करना पड़ेगा.
रिपोर्ट: पंचम झा