धनबाद(DHANBAD): धनबाद के वासेपुर में गैंगवार का इतिहास 50 साल पुराना है. आगे कब तक यह चलेगा, यह कहना कठिन होगा. 1983 में गैंगस्टर फहीम खान के पिता सफी खान की हत्या कर दी गई थी. यह हत्या धनबाद के बरवाअड्डा पेट्रोल पंप पर कर दी गई थी. हमलावर दर्जनभर की संख्या में पहुंचे थे और सफी खान की जान ले ली थी. हालांकि ग्रामीणों ने दो या तीन हमलावर को पीट-पीटकर मार डाला था. उस समय वासेपुर और नया बाजार के बीच गैंगवार चलता था. वासेपुर के लोग अपने को दबंग समझते थे तो नया बाजार वाले भी कुछ कम नहीं थे. लगातार हमले होते थे, नया बाजार के लोगों ने बाद में अपना रास्ता बदल लिया या कहिये कमजोर पड़ गए. उसके बाद गैंगवार फहीम खान और साबिर आलम के बीच शुरू हुआ. कई सालों तक यह गैंगवार चला. इस गैंगवार में फहीम खान को अपनी मां और मौसी को खोना पड़ा. फहीम खान के दो भाइयों की भी हत्या कर दी गई . बुधवार की रात फिर एकबार हमला हुआ है.
साबिर आलम के साथ भी चला था गैंगवार
साबिर आलम और फहीम खान के बीच गैंगवार लंबा चला. इस बीच फहीम खान को आजीवन कारावास की सजा मिल गई. फिलहाल वह जेल में बंद है. उसके बाद फहीम खान की सल्तनत उनके बेटों ने संभाली, फिलहाल फहीम खान को अपने भगिनो से ही कड़ी चुनौती मिल रही है. चुनौती भी आर- पार की मिल रही है. जमीन कारोबारी और फहीम खान के समर्थक नन्हे हत्याकांड के बाद तो प्रिंस खान ने फहीम खान के परिवार को चुनौती दे डाली. वीडियो जारी कर कह दिया कि वह फहीम खान के परिवार को बर्बाद कर ही दम लेगा. नन्हे हत्या कांड के बाद से वह धनबाद छोड़ दिया, लेकिन धनबाद के इतिहास में पहली बार वीडियो जारी कर उसने नन्हे हत्याकांड की जिम्मेवारी ली और कहा कि अब फहीम खान के परिवार को नहीं छोड़ेगा.
फहीम खान के परिजनों और उसके भांजो के बीच चल रही है लड़ाई
जो भी हो, अभी का गैंगवार फहीम खान के परिजनों और उसके भांजो के बीच चल रहा है और ताबड़तोड़ हमले हो रहे है. यह हमला कब तक जारी रहेगा, यह कहना कठिन है. गैंगवार में मारे गए लोगों की बात अगर की जाए तो सफी खान की हत्या 1983 में बरवअड्डा के पेट्रोल पंप में कर दी गई थी. उसके बाद 1984 में अस गर की हत्या नया बाजार में की गई. 1985 में अंजार की हत्या हुई थी. सफी खान के बेटे और फहीम के भाई शमीम खान की हत्या 1989 में धनबाद कोर्ट परिसर में कर दी गई थी. शमीम की हत्या तब हुई, जब पुलिस जेल से पेशी के लिए लेकर आ रही थी. हमला करने वाला अकेला था और उसने ताबड़तोड़ बम चला कर हत्या कर दी थी. उसके बाद फहीम खान के एक और बेटे छोटन की 1989 में नया बाजार के हत्या कर दी गई थी. 1998 में हिल कॉलोनी मजार इलाके में मोहम्मद नजीर और महबूब की दौड़ा-दौड़ा कर हत्या की गई थी. यह दोनों लोग नया बाजार के बताए गए थे. उसके बाद 2000 में घर में घुसकर जफर अली की हत्या कर दी गई. 2001 में डायमंड क्रॉसिंग इलाके में फहीम की मां और मौसी की हत्या की गई थी. 1996 में सुल्तान की हत्या की गई.
गैंगवार में रांची तक में की गई है हत्या
उसके बाद रांची में वाहिद आलम को मौत के घाट उतार दिया गया. यह साल 2009 का था. उसके बाद धनबाद रेल मंडल कार्यालय में रेलवे ठेकेदार इरफान खान की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी. 2021 में लाला खान की हत्या वासेपुर में की गई, उसके बाद 2021 में जमीन कारोबारी नन्हे की हत्या कर दी गई थी. 2023 में ढोलू को गोली मार दी गई. इसके पहले फहीम खान के साला टुन्ना खान को 2014 में गोली मारी गई, फिर 2017 में पप्पू पाचक की हत्या कर दी गई. इस तरह वासेपुर गैंगवार में जान गवाने वालों की सूची लंबी है. वासेपुर गैंगवार पर फिल्म बनी . ऐसी बात नहीं है कि वासेपुर में सिर्फ गैंगस्टर ही रहते है. पढ़ने- लिखने वाले भी रहते है. वासेपुर ने आईएएस और आईआईटीयन भी दिए हैं, बावजूद गैंगवार के चलते यह इलाका हमेशा बदनाम होता रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो