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धनबाद लोकसभा में मध्यावधि चुनाव होगा, किसने कह दी यह बड़ी बात, पढ़िए इस रिपोर्ट में 

धनबाद लोकसभा में मध्यावधि चुनाव होगा, किसने कह दी यह बड़ी बात, पढ़िए इस रिपोर्ट में 

धनबाद(DHANBAD) : लोकसभा का चुनाव हो गया है. 4 जून को रिजल्ट भी आ गया है. बाघमारा विधानसभा से विधायक रहते हुए ढुल्लू महतो ने चुनाव जीत भी लिया है. लेकिन चुनाव की गर्माहट अभी भी बनी हुई है. कोयलांचल की जमीन के नीचे आग है तो ऊपर "राजनीतिक की आग " भी सुलग रही है. राजनीतिक आग नेताओं की जुबान पर आती रहती है. धनबाद लोकसभा में 2024 के चुनाव में एक तरफ भाजपा थी तो दूसरी तरफ कांग्रेस थी. भाजपा के ढुल्लू महतो ने भारी मतों से चुनाव जीत लिया, लेकिन चुनाव की तपिस अभी भी बनी हुई है. यह तपिश मंगलवार के बाद और बढ़ गई है. वजह है कि राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन की प्रतिनिधि सभा में यूनियन के अध्यक्ष और बेरमो के विधायक अनूप सिंह ने कह दिया कि धनबाद में लोकसभा का मध्यावधि चुनाव होना बिल्कुल तय है.  

घोषणा-अनुपमा सिंह विधायक का चुनाव नहीं लड़ेंगी 

उन्होंने यह भी घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पत्नी अनुपमा सिंह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी. साथ ही यह भी कहा कि वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 5 साल का इंतजार भी नहीं करेंगी. विधायक ने कहा कि सांसद ढुल्लू महतो के खिलाफ दर्जनों मामले कोर्ट में चल रहे है. कुछ मामलों में जल्द फैसले की उम्मीद है. इसलिए धनबाद में लोकसभा का मध्यावधि चुनाव होकर रहेगा. यह अलग बात है कि चुनाव के बाद सांसद ढुल्लू महतो और विधायक अनूप सिंह के रिश्ते में और अधिक तीखापन आया है. वैसे, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीन बार के सांसद रहे पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर ढुल्लू महतो को टिकट दिया तो कांग्रेस ने विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को धनबाद से उम्मीदवार बनाया. चुनाव में लड़ाई रोचक हुई, लेकिन अंतत बाजी  ढुल्लू महतो के हाथ आई. ढुल्लू महतो ने भारी अंतर से अनुपमा सिंह को शिकस्त दी. वैसे, धनबाद के 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद ढुल्लू महतो का कद और बढ़ गया है, तो धनबाद के लोग अनुपमा सिंह को भी जान गए है. 

विधायक अनूप सिंह की पत्नी हैं अनुपमा सिंह 
 
यह बात अलग है कि अनुपमा सिंह के ससुर राजेंद्र बाबू धनबाद सहित कोयलांचल की राजनीति के एक माहिर खिलाड़ी थे. उनके निधन के बाद बेरमो विधानसभा से उनके पुत्र अनूप सिंह फिलहाल विधायक है. अनुपमा सिंह अनूप सिंह की पत्नी है. घर की चौखट लांघकर वह निकली और धनबाद से लोकसभा का टिकट हासिल कर लिया. अब तो वह कोई परिचय की मोहताज नहीं है. इधर, बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो धनबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर सबको पीछे छोड़ दिया. यह अलग बात है कि 2005 में वह चुनावी राजनीति में प्रवेश किये और 2024 में कोयलांचल में भाजपा की राजनीति करने वाले सभी लोगों को बहुत पीछे धकेल दिया. 2005 में ढुल्लू महतो ने समरेश सिंह की पार्टी से बाघमारा से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2009 में वह झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़े और जीत गए. 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए और बाघमारा से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजई रहे. 
 
2019 में  ढुल्लू महतो बाघमारा से चुनाव जीता जीता था 

2019 में भी वह बीजेपी के टिकट पर बाघमारा से चुनाव लड़े, और कड़े संघर्ष के बाद 800 से कुछ अधिक वोटों से उन्हें जीत मिली. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो उनके प्रतिद्वंद्वी थे. 1975 में जन्मे ढुल्लू  महतो का विवादों से पुराना नाता रहा है. यह बात भी सच है कि ढुल्लू  महतो को राजनीति विरासत में नहीं मिली है. वैसे ढुल्लू महतो को राजनीति में लाने का श्रेय दिवंगत नेता समरेश सिंह को जाता है. समरेश सिंह ने ही उन्हें टाइगर की उपाधि दी थी. उसके बाद ढुल्लू महतो ने टाइगर फोर्स का गठन किया. यह टाइगर फोर्स आज भी चल रहा है. फिर उन्होंने मजदूर राजनीति में भी प्रवेश किया. मजदूर संगठन से जुड़े, लेकिन कोयला लोडिंग में दबंगता के आरोप उन पर लगते रहे. 2024 के चुनाव में भाजपा ने उन पर भरोसा किया और सांसद पशुपतिनाथ सिंह जैसे आजाद शत्रु की छवि वाले नेता  का टिकट काटकर ढुल्लू  महतो को भाजपा ने टिकट दे दिया. वह जीत भी गए.  चिटा हीधाम  रामराज मंदिर का निर्माण उनकी उपलब्धि कही जाती है. सबकुछ के बावजूद 2005 के बाद से वह पार्टी जरूर बदलते रहें, लेकिन लगातार ऊंचाई की सीढ़ियां चढ़ते गए.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:14 Aug 2024 01:18 PM (IST)
Tags:DhanbadLoksabhaChunawMid termPoll
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