रांची(RANCHI): झारखंड मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होने की संभावना है. झामुमो और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार में खराब प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों पर तलवार लटक रही है. सबसे ज्यादा मुसीबत में कांग्रेस के मंत्री हैं. क्योंकि पार्टी आलाकमान कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने तीन मंत्रियों की कुर्सी छीन सकती है.
सरकार के होने वाले हैं तीन साल पूरे
दरअसल, झारखंड सरकार के तीन साल पूरा होने को हैं. ऐसे में सरकार अपनी उपलब्धि गिनाएगी. मगर, साथ ही सरकार में शामिल पार्टियों को ये भी याद है कि अब चुनाव में सिर्फ दो ही साल बचे हैं. ऐसे में जिन क्षेत्रों में सरकार काम नहीं कर पाई है, उसमें उसे काम करने की जरूरत है. ऐसे में कांग्रेस ने अपने सभी मंत्रियों के प्रदर्शन का आकलन किया है. इसमें से बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान तीन मंत्रियों के काम से खुश नहीं है, इसलिए पार्टी इन तीनों मंत्रियों की जगह पर अन्य विधायकों को मंत्री पद सौंप सकती है.
झारखंड की गठबंधन सरकार में अभी कांग्रेस के 4 मंत्री हैं. इनमें बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख, आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव शामिल हैं. अभी कांग्रेस कोटे से मंत्रिमंडल में एक सीट खाली है. सत्ता के गलियारे में नए मंत्री बनने वालों में कांग्रेस की ओर से जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह, दीपिका पांडे सिंह, अम्बा प्रसाद, पूर्णिमा नीरज सिंह और प्रदीप यादव के नामों की चर्चा चल रही है. इनमें से किसी को भी मंत्रीपद सौंपा जा सकता है.
महिला विधायक को मंत्री बनाने पर पार्टी का होगा ज्यादा ध्यान
झारखंड मंत्रीमण्डल की बात करें तो सिर्फ एक महिला विधायक को मंत्री बनाया गया है. वो भी झामुमो ने जोबा मांझी को बनाया है. कांग्रेस की ओर से अभी चार महिला विधायक हैं. मगर, कांग्रेस ने किसी को भी मंत्री नहीं बनाया है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश होगी कि किसी महिला विधायक को मंत्री पद सौंपा जाए. कांग्रेस अगर महिला विधायकों पर दांव खेलती है तो इसमें दीपिका पांडे सिंह और अम्बा प्रसाद का नाम सबसे आगे होगा. इसके साथ पूर्णिमा नीरज सिंह पर भी पार्टी दांव खेल सकती है. पूर्णिमा नीरज सिंह को एक प्रखर वक्ता के रूप में जाना जाता है. हाल में वे कई बार दिल्ली का चक्कर भी लगा चुकी है. ऐसे में उनके नाम पर भी पार्टी विचार कर सकती है.
संगठन को मजबूत करने पर पार्टी का ध्यान
कांग्रेस अभी इस पर मंथन कर रही है. मगर, साथ ही पार्टी इस फैसले को लेकर जल्दबाजी से बचना चाहती है. पार्टी का इस बात पर फोकस है कि पार्टी के फैसले से संगठन में फुट ना हो, बल्कि संगठन और मजबूत हो. बताया जा रहा है कि अंतिम फैसले पर पहुंचने से पहले पार्टी विधायकों के साथ बैठक करना चाहेगी. साथ ही स्तर पर मिली शिकायतों पर भी चर्चा की जा रही है. वहीं बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान को कई शिकायतें मिली है कि पार्टी नेताओं की बात मंत्री नहीं सुनते हैं. इन सब पर पार्टी काम कर रही है. सभी चीजों पर विचार कर पार्टी जल्द ही ये बड़ा फैसला ले सकती है.