रांची(RANCHI): झारखंड का नाम पहला तो मिनरल्स और दूसरा उग्रवादियों के वजह से सुर्खियों में रहता है. 23 साल के झारखंड में कई बड़े अभियान नक्सलियों के खात्मे के लिए चलाए गए. कई बड़ी सफलता भी सुरक्षाबलों को मिली.लेकिन हाल में फिर एक बार माओवादी अपना पैर जमाने की कोशिश कर रहे है. कोल्हान में एक सालों से नक्सली और सुरक्षाबलों के बीच जंग जारी है. वहीं पलामू,चतरा और गिरिडीह में नक्सलियों के कमजोर होने के बाद CRPF बटालियन को हटाने की कार्रवाई शुरू की गई. इसकी जानकारी जैसे ही माओवादियों को मिली फिर से अपना वर्चस्व कायम करने की तैयारी में लग गए है.
माओवादी दे रहे कई वारदात को अंजाम
लंबे समय से शांत पड़े भाकपा माओवादी कई वारदात को अंजाम दे चुके है. साथ ही पोस्टर बाजी कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराया है. हाल में पिछले महिने पारसनाथ इलाके में नक्सलियों ने मधुबन चौक हरलादी,पालगंज मोड पर पोस्टरबाजी कर शहीद सप्ताह बनाने की अपील की है. साथ ही संगठन से जुडने के लिए भी पोस्टर में लिखा था. इस इलाके को भी माओवादियों का गढ़ माना जाता था लेकिन पिछले वर्ष हुई कार्रवाई में पुलिस ने दावा किया कि पारसनाथ अब नक्सलमुक्त हो चुका है.लेकिन पुलिस के दावे के बाद बीच बीच में इस तरह से पोस्टरबाजी कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है.
पोस्टर बाजी कर शहीद सप्ताह का किया गया जिक्र
गिरीडीह अकेला जिला नहीं है कोल्हान के सोनुआ में भी पोस्टर बाजी कर शहीद सप्ताह मनाने का जिक्र किया गया है. साथ ही संगठन को धार देने के लिए नए युवक युवती को जोड़ कर फिर संगठन को मजबूत करने की बात लिखी गई है. वहीं कोल्हान में चल रही CRPF और झारखंड पुलिस की कार्रवाई पर भी प्रहार किया है. यह पोस्टर बाजी पीपुल्स लिब्रेसन गुरीला आर्मी (PLGA) की 23 वीं वर्ष गाठ के मौके पर फिर से एक क्रांति लाने का जिक्र माओवादी कर रहे है. एक दिन पहले यननी सात दिसंबर की बात करें तो कोल्हान के सरंडा इलाके में माओवादी और सुरक्षाबालों के बीच मुठभेड़ हुई है.
पुराने साथियों को जोड़ने की कर रहे कोशिश
इसके अलावा पलामू में भी माओवादी संगठन में अपने पुराने साथी को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. हुसैनाबाद और छतरपुर क्षेत्र के खास इलाकों को अपना ठिकाना बना रखा है. माओवादियों का यह दस्ता पुराने कैडर को एक्टिवेट करने में भी जुटा है. माओवादियों का दस्ता पलामू के हुसैनाबाद, छतरपुर, पांडु, मोहम्मदगंज, हैदरनगर सीमा को अपना ठिकाना बनाए हुए है. जंगलों पहाड़ों से घिरे क्षेत्र में कभी-कभी चहलकदमी लोग देखते हैं. माओवादियों का टॉप कमांडर नितेश यादव समेत अन्य पुराने कैडर को सक्रिय करने में जुटा हैं. हाल के दिनों में माओवादियों ने हुसैनाबाद-छतरपुर इलाके के सड़क निर्माण में आगजनी की थी.
विकास कार्यों पर पड़ने लगा असर
कुछ ही दिनों बाद महुदंड पंचायत में निर्माणाधीन मोबाइल टावर के कार्य को भी रुकवा दिया था. इसमें नक्सलियों को सहयोग करने वाले एक व्यक्ति नसों जमालपुर के राजेश भुइयां को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार माओवादी ने पलामू पुलिस को कई जानकारी दी थी. जिसके बाद कई खुलासे हुए हैं. राजेश ने पुलिस को बताया है कि नितेश यादव अपने लोगों को सक्रिय कर रहा है, वह खुद भी घटना में शामिल रहता है. वह झारखंड-बिहार के सीमावर्ती इलाके को ठिकाना बनाना चाहता है. दरअसल पलामू से सीआरपीएफ की बटालियन को हटा दिया गया है. जिस कारण माओवादी खुद को मजबूत करने के फिराक में है. सीआरपीएफ के हटने के बाद नक्सल विरोधी अभियान भी कमजोर हुआ है. नितेश यादव का दस्ता एक इलाके को लगातार अपना ठिकाना बनाए हुए है. सीआरपीएफ क्लोज होने के बाद उसके खिलाफ सुरक्षाबलों को सफलता नहीं मिली है. सीआरपीएफ के क्लोज होने के बाद नक्सली खुद को मजबूत करने के फिराक में हैं. जिस इलाके को दस्ता ने अपना ठिकाना बनाया है, वह इलाका माओवादियों का पुराना गढ़ रहा है. विगत कुछ वर्षों से इलाका पूरी तरह शांत था. किसी को कहीं आने जाने में कोई दिक्कत नहीं थी. एक बार फिर लोग जंगली व पहाड़ी इलाकों में जाने से कतराने लगे हैं. माओवादियों के प्रभाव बढ़ने से विकास कार्यों पर असर पड़ने की संभावना प्रबल दिखाई दे रही है
रिपोर्ट. समीर हुसैन