धनबाद(DHANBAD) : बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार धनबाद के बगल में पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल पर घूमते नजर आएंगे. इस मोटरसाइकिल को स्टार्ट करने के लिए चाबी सिस्टम हुआ करता था. कोयला उद्योग के रेस्क्यूर जसवंत गिल इसी मोटरसाइकिल से चला करते थे. जी हां, बॉलीवुड को कोयला क्षेत्र बहुत अधिक पसंद आ रहा है. केवल कोयला माफिया ही नहीं, माइन्स रेस्क्यू के तौर तरीके की ओर भी बॉलीवुड आकर्षित है. धनबाद के चासनाला खान हादसे पर बनी काला पत्थर फिल्म के बाद माइंस रेस्क्यू ऑपरेशन पर बनने वाली दूसरी बड़ी कमर्शियल फिल्म 'कैप्सूल गिल' होगी. धनबाद के पड़ोस में स्थित ईसीएल की महावीर कोलियरी के खान हादसे पर कैप्सूल गिल फिल्म बेस्ड है. इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई है. कलाकार पहुंच गए हैं, अक्षय कुमार फिल्म में लीड रोल में रहेंगे.
चासनाला हादसे पर 1979 में काला पत्थर फिल्म बनी थी
चासनाला हादसे पर 1979 में काला पत्थर फिल्म बनी थी. इस फिल्म में महानायक अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर आदि कलाकारों ने काम किया है. अब उसी तर्ज पर 2023 में कैप्सूल गिल फिल्म बन रही है. हालांकि दोनों फिल्मों की कहानी कुछ अलग-अलग है. काला पत्थर में धनबाद की चासनाला खदान में पानी भरने से 300 से अधिक कोयला कर्मियों ने जल समाधि ले ली थी. वही, महावीर खान हादसे में 65 मजदूर फस गए थे. मजदूरों को निकालना बहुत बड़ी समस्या थी. यह घटना 1989 में हुई थी. फसे मजदूरों को खदान से बाहर निकालने के लिए माइनिंग इंजीनियर जसवंत गिल ने लोहे के आदमी के आकार का कैप्सूल बनाया. फिर फंसे कर्मियों को एक-एक कर बाहर निकला. यह रेस्क्यू ऑपरेशन देस नहीं, दुनिया भर में चर्चित हुआ था. इस फिल्म की शूटिंग विभिन्न लोकेशन पर की जा रही है.
फिल्म को वास्तविकता के बिल्कुल करीब दिखाने की हो रही कोशिश
फिल्म को वास्तविकता के बिल्कुल करीब दिखाने के लिए उन जगहों को चुना गया है, जो महावीर खान रेस्क्यू ऑपरेशन से किसी न किसी ढग जुड़े है. हादसे पर आधारित फिल्म के लिए माहौल और सीन तैयार किये गए है. उस समय कोयला खदान मैनुअल हुआ करती थी. जिस वर्कशॉप में कैप्सूल का निर्माण किया गया था, वहां भी शूटिंग की गई है. उस समय कोलियरी में चलने वाली वैन नुमा एंबुलेंस से लेकर जसवंत गिल की पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल सहित बहुत सारी पुरानी चीजों की शूटिंग चल रही है. इस फिल्म के जरिए लोगों को यह पता चलेगा कि खदान में फंसे 65 को कैसे सफलतापूर्वक निकाल लिया गया था. छह कोयलाकर्मियों का कोई सुराग नहीं मिला था. कोयलाकर्मियों को निकालने के लिए जसवंत गिल ने किस तरह की तरकीब अपनाई थी और सफलता हासिल की थी, यह तरीका कोल इंडिया में तो सुनहरे अक्षरों में अंकित है, साथ ही साथ गाहे-बेगाहे विदेशों में भी इसकी खूब चर्चा होती है.
रिपोर्ट: शांभवी, धनबाद