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1995 की याद दिला रही है अगस्त '2024 की बारिश, पढ़िए क्या हुआ था 26 सितंबर 1995 को 

1995 की याद दिला रही है अगस्त '2024 की बारिश, पढ़िए क्या हुआ था 26 सितंबर 1995 को 

धनबाद(DHANBAD) कोयलांचल में गुरुवार की रात से शुरू हुई लगातार बारिश केवल शहर की ही सूरत नहीं बिगाड़  रही है ,बल्कि कोलियरी इलाकों में खतरा भी बढ़ा दिया है. पहली अगस्त की रात से शुरू हुई बारिश 26 सितंबर 1995 की याद दिला दी है. 26 सितंबर 1995 के उस काले   दिन को  याद कर लोग  आज भी सिहर उठते है. उस दिन  65 कोयला श्रमिक  जल समाधि ले लिए थे.  दरअसल, 1995 में भी इसी तरह से बारिश हो रही थी.  चारों ओर पानी का बेग बढ़ रहा था. बीसीसीएल की गजलीटांड़ कोलियरी  के बगल में बहने वाली कतरी  नदी बेकाबू हो गई थी.  तटबंध को तोड़ते हुए गाजलीटांड़ खदान की ओर पानी का रुख हो गया था. 64 श्रमिक इस खदान में जल समाधि ले लिए थे. उस समय देश के कोयला मंत्री जगदीश टाइटलर थे. धनबाद से पटना ,पटना से कोलकाता होते हुए दिल्ली तक कोहराम मच गया था.  वैसे भी बारिश का दिन कोयलांचल के लिए खतरा लेकर आता है. जल जमाव, धसान ,गैस रिसाव  की घटनाएं बढ़ जाती है. 

घर- मुहल्लों  में  भर रहा पानी ,बढ़ रही बेचैनी 

अभी  कोयलांचल में लगातार बारिश से जहां घर- मुहल्लों  में पानी भर रहा है, वही कोलियरी  इलाकों में प्रदूषण के कारण लोगों का रहना मुश्किल हो रहा  है. सड़कें दिखाई नहीं दे रही है. जिन इलाकों में भूमिगत आग  है, वहां पानी के प्रवेश से गैस निकल रही है.  लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है.  यह  स्थिति आगे कब तक बनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है.  यह अलग बात है कि भारत कोकिंग कोल् लिमिटेड खदानों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोयल का उत्पादन कर रहा है.  लेकिन जहां-जहां भूमिगत आग  का जोर है, वहां की स्थिति कुछ अलग हो गई है.  यह  अलग बात है कि कोयलांचल में गोफ बनने  और लोगों का उसी में समा जाने   की घटनाएं होती रही है.  लगातार बारिश से वैसे इलाकों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है. बिना बारिश की  भी घटनाएं होती है.  क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि  राह चलते किसी भी महिला- पुरुष जमीन  में समा जाए. धनबाद के कुसुंडा के गोंदूडीह  में यही हुआ था .  तीन महिलाओं की लाश भी सुरक्षित नहीं निकाली जा सकी थी . 
 
झरिया कोयलांचल की भूमिगत आग 1995 से ही खतरे की  संकेत दे रही 

 झरिया कोयलांचल की  यह भूमिगत आग 1995 से ही संकेत दे रही है कि अब उसकी अनदेखी खतरनाक होगी. 1995 में झरिया चौथाई कुल्ही में पानी भरने जाने के दौरान युवती जमींदोज हो गई थी. 24 मई 2017 को इंदिरा चौक के पास बबलू खान और उसका बेटा रहीम जमीन में समा गए थे. इस घटना ने भी रांची से लेकर दिल्ली तक शोर मचाया ,लेकिन परिणाम निकला शून्य बटा सन्नाटा. 2006 में शिमलाबहाल में खाना खा रही  महिला जमीन में समा गई थी. 2020 में इंडस्ट्रीज कोलियरी में शौच के लिए जा रही महिला जमींदोज हो गई थी. फिर इधर  28 जुलाई 2023 को घनुड़ीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान गोफ में चला गया .पहले तो बीसीसीएल प्रबंधन घटना से इंकार करता रहा लेकिन जब मांस जलने की दुर्गंध बाहर आने लगी तो झरिया सीओ की पहल पर NDRF की टीम को बुलाया गया.  टीम ने कड़ी मेहनत कर 210 डिग्री तापमान के बीच से परमेश्वर चौहान के शव का अवशेष निकाला था. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:02 Aug 2024 04:54 PM (IST)
Tags:DhanbadKoyalanchalBarishKoliyariRain in Dhanbad Continuous rain in Koyalanchal
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