Jharkhand Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जमशेदपुर से झारखंड में चुनाव का शंखनाद कर दिया है. 45 मिनट के उनके भाषण में लगभग आधा घंटा आदिवासियों पर फोकस रहा. झारखंड के निर्माण में राजनीतिक पार्टियों के अड़ंगे का भी उन्होंने जिक्र किया. हेमंत सोरेन को उन्होंने आदिवासी विरोधी बताया. चंपाई सोरेन को आदिवासियों के लिए समर्पित नेता कहा. साथ में जोड़ा कि हेमंत सोरेन ने चंपाई सोरेन ही नहीं बल्कि आदिवासियों का भी अपमान किया है. विपक्षियों पर उन्होंने तीखे हमले किए. प्रधानमंत्री का भाषण पूरी तरह से चुनावी था. वह बिरसा मुंडा के त्याग और बलिदान, सीता सोरेन के "बनवास" टाइगर कहे जाने वाले चंपाई सोरेन का अपमान, आदिवासियों का खत्म हो रहा है अस्तित्व आदि कहना भी नहीं भूले.
झारखंड में सत्ता तक पहुंचने में कोल्हान की भूमिका महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री जमशेदपुर की धरती से कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों पर भाजपा की राह कुछ आसान करने का प्रयास किया. बता दें कि झारखंड में सत्ता तक पहुंचने में कोल्हान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी को छोड़ दें तो सभी सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक होते हैं. पिछले एक महीने में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पांच कार्यक्रम कोल्हान में हो चुके हैं. रविवार को कोल्हान पहुंचने के लिए प्रधानमंत्री ने रांची से जमशेदपुर की सड़क यात्रा तय की. उनके भाषण में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस निशाने पर रहे.
भाजपा से ही राज्य का विकास संभव : चंपई सोरेन
चंपाई सोरेन भी काफी मुखर दिखे.उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राज्य के आदिवासी और मूलवासी की भावना को कुचलने का काम किया है. कांग्रेस देशहित में नहीं है. भाजपा से ही राज्य का विकास संभव है. संथाल में घुसपैठियों की संख्या बढ़ रही है. सिर्फ भाजपा ही यह लड़ाई लड़ सकती है. यह अलग बात है कि चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा को सीधे तौर पर निशाने पर लेने से परहेज किया. वजह चाहे जो जो भी हो, लोग बताते हैं कि 5 महीने तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे चंपाई सोरेन को अब सब कुछ गड़बड़ दिख रहा है. वैसे चंपाई सोरेन ने भाजपा का दामन थाम कर झारखंड मुक्ति मोर्चा को झटका तो दिया ही है, अब कोल्हान में भाजपा विधानसभा चुनाव में क्या परफॉर्मेंस करती है, इसी पर उनका राजनीतिक भविष्य निर्भर करेगा.
यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री ने सीता सोरेन की भी चर्चा की. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार पर तीखा हमला बोला. अर्जुन मुंडा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कारण झारखंड राज्य अलग बना. कांग्रेस पर भी उन्होंने हमला बोला. प्रधानमंत्री ने चंपाई सोरेन से गर्मजोशी से मिलकर झारखंड की राजनीति में एक नया संदेश देने की कोशिश की. कोल्हान की 14 सीटें ही प्रधानमंत्री को रांची से जमशेदपुर की सड़क मार्ग से यात्रा करने को मजबूर किया, ऐसा झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है.
प्रधानमंत्री के दौरे और उनके भाषण पर JMM ने किया पलटवार
वैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी प्रधानमंत्री के दौरे और उनके भाषण पर पलटवार किया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव का कहना है कि उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री चुनाव के समय आए हैं, तो निश्चित रूप से राज्य की माइनिंग रॉयल्टी का बकाया, सरना धर्म कोड और ओबीसी आरक्षण पर कुछ बोलेंगे. लेकिन नाम तक नहीं लिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यह भी कहा है कि झारखंड आने पर ही प्रधानमंत्री को शहीदों की याद आती है. जो भी हो लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में आए चंपाई सोरेन को लॉन्च करने के लिए ही जमशेदपुर में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम आयोजित था. यह बात अब लोग कहने लगे हैं .कोल्हान की 14 सीटों में एक भी फिलहाल भाजपा के पास नहीं है. देखना दिलचस्प होगा कि कोल्हान में चम्पाई सोरेन क्या कुछ कर पाते हैं. यह बात भी तय है कि कोल्हान में अगर भाजपा को सीटें नहीं मिली तो चंपाई सोरेन का राजनीतिक भविष्य भी आगे बहुत उज्ज्वल नहीं रहेगा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो