धनबाद(DHANBAD): झारखंड में अभी गठबंधन की सरकार है और उस सरकार में कांग्रेस की एक बड़ी हिस्सेदारी है. बावजूद धनबाद का कांग्रेस जिला कार्यालय 12 सालों से बंद है. बंद कार्यालय को खुलवाने के लिए कई बार प्रयास हुए लेकिन सफलता नहीं मिली. एक बार तो स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जब धनबाद सर्किट हाउस में पहुंचे तो उनकी ललकार के बाद कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कार्यालय में घुसकर ताला तोड़ दिया था. लेकिन फिर यह ताला लग गया और कार्यालय अभी भी बंद है. अब जैसी की सूचना है कि सत्याग्रह कार्यक्रम के तहत 12 अप्रैल को कांग्रेस के दिग्गज धनबाद में जुटेंगे और बंद कार्यालय के बाहर धरना देंगे.
प्रभारी ही नहीं ,झारखंड के मंत्री भी रहेंगे
उन दिग्गजों में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे, प्रदेश अध्यक्ष एवं कांग्रेस कोटे के सभी मंत्री शामिल रहेंगे. यह सत्याग्रह कार्यक्रम भी उसी बंद कार्यालय के बाहर चलाया जाएगा, मतलब यह कि इससे क्या संदेश जाएगा कि 12 साल में कांग्रेस अपना बंद कार्यालय नहीं खुलवा सकी या कांग्रेस को उस कार्यालय से कोई मतलब नहीं है. क्या धनबाद के पुराने कांग्रेसियों ने जो धरोहर नवोदय कांग्रेसियों को सौंपी थी, उसे बचाकर रखने की ताकत अब धनबाद के कांग्रेसियों में नहीं है. यह बात अलग है कि कोर्ट के आदेश पर ही धनबाद जिला कार्यालय में ताला बंद हुआ था. जिला परिषद का दावा है कि यह जमीन उसकी है, हो सकती है जमीन जिला परिषद की हो हो. हो सकता है कि कोई मुकदमा चल रहा हो लेकिन आखिर इसका कोई न कोई उपाय तो होगा ही. यूनियन क्लब में भी ताला बंद हुआ था , लेकिन यूनियन क्लब के पदाधिकारियों ने कानूनी लड़ाई लड़ कर यूनियन क्लब खुलवा लिया. लेकिन कांग्रेसी इसे नहीं खुलवा सके. 2019 में झारखंड में जो सरकार बनी, उसमें कांग्रेस एक महत्वपूर्ण भूमिका में है बावजूद कॉन्ग्रेस कुछ नहीं कर सकी.
बंद ऑफिस के बहार देंगे धरना
अब 12 अप्रैल को कांग्रेस प्रभारी भी उसी कार्यालय के बाहर सत्याग्रह करेंगे, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी रहेंगे, प्रदेश में कांग्रेस के चार मंत्री भी रहेंगे तो क्या बंद कार्यालय के बाहर धरना देखकर धनबाद के लोग 'कांग्रेसी एकता' पर आश्चर्य व्यक्त नहीं करेंगे तो और क्या करेंगे. धनबाद जिला कांग्रेस कार्यालय हाउसिंग कॉलोनी के एक निजी मकान में चल रहा है. लोग बताते हैं कि ताला बंद धनबाद जिला कांग्रेस में प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी तक आ चुकी है. तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री रहे बिंदेश्वरी दुबे तो एक समय में घंटों- घंटा इस कार्यालय में बैठते थे. झारखंड और बिहार के कद्दावर नेता और स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह भी इसी कार्यालय से ऊपर उठे थे. लेकिन आज यह ऐतिहासिक धरोहर ताला में बंद रह कर सिसकियां ले रहा है और कांग्रेसी कुछ इधर की और कुछ उधर की, बात कह कर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
