टीएनपी डेस्क(TNP DESK):झारखंड राज्य की प्राकृतिक सुदंरता पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इसके साथ ही यहां के मूलवासी आदिवासी समुदाय की परंपरा भी बहुत अनोखी होने की वजह से विश्व प्रसिद्ध है. आदिवासी समाज के लोग मॉडर्न युग में भी अपनी पारंपरिक धरोहर और संस्कृति को बड़े प्यार से सहेज कर रखते हैं. और आज भी पूरी श्रद्धा से इसका पालन भी करते हैं. ऐसी हजारों परंपरायें है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जायेंगे. लेकिन आज हम आपको दो गांवों के बीच चली आ रही सदियों से भाई- बहन के रिश्ते के बारे में बतायेंगें. जो आज भी निभाई जाती आ रही है.
दो गांवों के बीच है भाई और बहन का रिश्ता
आपको बताये कि झारखंड के दो जिलों के दो गांव ऐसे है. जिनके बीच भाई और बहन का रिश्ता माना जाता है. इसी वजह से सदियों से इन दोनों गांवों के युवक-युवतियों की शादी भी नहीं कराई जाती है. गुमला का चुंदरी गांव और लोहरदगा का आर्या गांव आपस में भाई और बहन है. इस रिश्ता को दोनों गांव के लोग आज भी जिंदा रखे हुए हैं. इसी वजह से दोनों के बीच शादी-विवाह का रिश्ता नहीं किया जाता है.
12 साल में एक बार मेहमानी परंपरा को निभाया जाता है
इसके साथ ही भाई-बहन गांव के लोग एक दूसरे के गांव बार-बार आना जाना नहीं करते हैं. 12 साल में एक बार मेहमानी परंपरा के दौरान आना-जाना करते हैं. इस साल 2023 में 12 नहीं बल्कि 15 साल पर इस परंपरा को दोहराया जा रहा है. कोरोना काल की वजह से 3 साल देरी से चुंदरी गांव के लोग आर्या गांव गये हुए हैं. शुक्रवार को चुंदरी गांव के हजारों लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर पड़हा के अंतर्गत तीन दिवसीय कार्यक्रम को लेकर आर्या गांव पहुंचे. इस दौरान लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला. लोग आतिशबाजी करते हुए गए.
कार्यक्रम में होता है लाखों रुपयों का खर्च
वहीं गांव के लोगों के अनुसार इस कार्यक्रम में लाखों रुपयों का खर्च आता है. जिसके लिए ग्रामीण अपनी स्वेच्छता से पैसे दान करते हैं. लेकिन लोग अपने पूर्वजों की परंपरा को जीवित रखने के लिए इसको हंसते खेलते सहन कर लेते हैं. इसके ठीक 12 साल बाद आर्या गांव के लोग 2035 में मेहमानी परंपरा के तहत चुंदरी गांव आयेंगे. ये परंपरा अपने में काफी अनोखी और भाई बहन के प्यार को दर्शाने वाली है. जिसको लोग आज तक सहेज कर रखे हैं.
रिपोर्ट: प्रियंका कुमारी