रांची(RANCHI): सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता किया. प्रेस वार्ता में उन्होंने सरकार के तीन वर्षों की उपलब्धियों को बताया. इसके अलावा आने वाले दो वर्षों में सरकार क्या करने वाली है, इसकी भी जानकारी दी.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि तीन वर्षों में कई आपदा आई. मगर, हमने सभी से निपटते हुए राज्य की जनता को सुरक्षित रखा. दो वर्ष हमने कोरोना में गंवा दिया. मगर, फिर भी इन तीन वर्षों में हमने कई अहम कार्य किए हैं, जो झारखंड गठन के बाद तुरंत हो जाना चाहिए था, वह यहां की जनता को अब मिला. उन्होंने कहा कि हमने दो सौ से अधिक निर्णय लिया है. अब राज्य को आगे बढ़ने से नहीं रोका जा सकता है. सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि राज्य सभी क्षेत्रों में अव्वल बने. इसके लिए सभी क्षेत्रों को मजबूत करने में लगे हैं. झारखंड के लोग पिछले 20 वर्षों से खुद को ठगा महसूस कर रहे थे. अब जाकर उनके चेहरे पर खुशी लौट रही है.
"पहले लोगो को लाठी-डंडे मिलते थे"
यहां की जनता ने वह भी मंजर देखा है जब मुख्यमंत्री के कार्यालय और आवास को लोग घेरते थे. इस दौरान उनकी मांग तो पूरी नहीं हुई लेकिन लाठी डंडे जरूर मिलते थे. विपक्ष की सरकार में लोगों को लठियां मिलती थी. हमारी सरकार में विधायक और मुख्यमंत्री के आवास पर लोग रंग-गुलाल और मिठाई खिलाते हुए दिख रहे हैं. सरकार बनने के बाद हमने ठीक से काम शुरू भी नहीं किया था कि कोरोना ने दस्तक दे दिया था. इसके अलावा राज्य में सुखाड़ की भी स्थिति हुई है. इस बीच में भी हमने जो निर्णय लिया है वह राज्य अलग होने के बाद नहीं था. मान के चले तो सिर्फ हमने अपने एक वर्ष का लेखा जोखा दिया है. दो वर्ष तो सभी लोग घर में बंद रहे. हमने सभी आपदा को अवसर में बदला है.
"जनता में उत्साह देख कर हमें और ताकत मिलती है"
उन्होंने कहा कि जनता में उत्साह देख कर हमें और ताकत मिलती है. यही उत्साह हमें और ताकत देती है, मजबूती से निर्णय लेने के लिए. राज्य आंदोलन के जरीए मिला था. कई वीर शहीद सपूत का सपना था कि अलग राज्य मिले. राज्य तो आलग मिल गया लेकिन सरकार नहीं थी. अब झारखंडियों की सरकार है तो यहां के लोगों को सम्मान मिल रहा है. अल्पसंख्यक, दलित आदिवासी और पिछड़े का सपना था कि उनके जीवन में सुधार होगा. लेकिन इन वर्गों को उसी हाल में योजना बना कर रखा गया. उन्होंने कहा कि हमारी विपक्षी पार्टी देश की सत्ता में बैठी है और आप जानते हैं कि देश के सबसे ग्रामीण क्षेत्र के नौजवान रोजगार के लिए सेना में जाते हैं. रेलवे में काम करने जाते थे, रेल और सेना में अभी रोजगार को लेकर जो हाल है. वह किसी से छुपा नहीं है. देश में बेरोजगार का पहाड़ लगा हुआ है. लेकिन रोजगार बंद है, छोटे कारखानों को बंद करने पर केंद्र सरकार ने मजबूर कर दिया. चाहे वह नोट बंदी हो या फिर GST सभी की मार छोटे कारखानों वाले झेल चुके है. देश के लोग चाँद पर चले गए लेकिन आज भी बेरोजगारों की फौज खड़ी हुई है.