धनबाद (DHANBAD) : हम आपकी जिंदगी के हर सवाल का हल कर दें, इसकी गारंटी नहीं दे सकते लेकिन आपकी लड़ाईयों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकते. पार्टियां बदल कर आपको शर्मिंदा नहीं कर सकते. आपके सवालों के लिए हम जेल जा सकते हैं, मारे जा सकते हैं पर आप का भरोसा नहीं तोड़ सकतें. यह बातें झारखंड के कद्दावर विधायक रहे महेंद्र सिंह ने अपनी हत्या से कुछ दिन पहले ही एक जनसभा में कहा था.
उग्रवादियों ने किया था हमला
महेंद्र सिंह को 16 जनवरी 2005 को उग्रवादियों ने गोली मार उनकी हत्या कर दी थी. महेंद्र सिंह सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गा धवईया गांव में सभा करने गए थे. सभा पूरी हो गई थी, वह मंच से उतरकर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ रहे थे कि कुछ लोग वृद्धावस्था पेंशन की बात को लेकर सामने आए. अभी महेंद्र सिंह उन लोगों से बात कर ही रहे थे कि बाइक पर सवार उग्रवादी पहुंचे और कड़क आवाज में पूछा कौन है महेंद्र सिंह. महेंद्र सिंह भी डरने वाले नहीं थे. उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि मैं ही हूं महेंद्र सिंह. उसके बाद उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी गई. घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई. उसके बाद तो इलाके में भगदड़ मच गई. इस खबर से पूरा प्रदेश हिल उठा था. महेंद्र सिंह आज ही के दिन मारे गए थे. लेकिन उनका व्यक्तित्व और कृतित्व अभी भी जिंदा है. महेंद्र सिंह जब अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जा रहे थे तो क्या बच्चे क्या बूढ़े सारे लोगों की आंखें आंसू बहा रही थी. उनकी अंतिम क्रिया का यह संवादाता गवाह भी बना था. महेंद्र सिंह का गांव बगोदर के खंभरा में है. यह गांव बगोदर प्रखंड से 8 किलोमीटर के लगभग दूर है. यह आदर्श गांव की श्रेणी में गिना जाता है.
सही मायने में आदर्श है महेंद्र सिंह का गांव
आश्चर्य करने वाली बात यह है कि 43 सालों में इस गांव का एक भी मामला बगोदर थाना नहीं पहुंचा है. आज के दिन जहां सास, बहू के झगड़े भी थाना पहुंच जाते हैं, वहीं इस गांव के सभी मामले ग्रामसभा के जरिए सुलझा लिए जाते हैं. महेंद्र सिंह का गांव कागज में नहीं बल्कि जमीन पर आदर्श गांव है. महेंद्र सिंह ने महाजनी प्रथा की लड़ाई को धारदार बनाते हुए इस प्रथा को खत्म करवाया. उन्होंने 1978 में गांव में ग्राम सभा का गठन किया. इसी ग्राम सभा के माध्यम से गांव के झगड़े को सामाजिक स्तर पर खत्म कर लिया जाता है .गांव वालों की विशेषता है कि आज भी वह महेंद्र सिंह के बताए रास्ते पर चल रहे हैं. लड़ाई झगड़ा, जमीन विवाद समेत अन्य मामलों को गांव में ही सुलझा लेते हैं. ग्राम सभा में आरोप सिद्ध होने पर आर्थिक व सामाजिक दंड भी दिए जाते हैं. दंड नहीं मानने पर आरोपी पर सामाजिक दबाव भी बनाया जाता है. ग्रामीणों ने अपनी अपनी जमीन दान देकर चेक डैम का निर्माण करवाया है. यह डैम लगभग 5 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. आज महेंद्र सिंह की पुण्यतिथि मनाई जाएगी. कार्यक्रम में माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य मुख्य वक्ता होंगे. इस कार्यक्रम में बगोदर के अलावे हजारीबाग तथा झारखंड के अन्य जिलों से लोग श्रद्धांजलि देने पहुचेंगे. 2005 से लेकर 2023 हो गया, सी बी आई अब तक पता नहीं लगा पाई कि महेंद्र सिंह को किसने गोली मारी थी. यह अभी भी पहेली बना हुआ है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद