धनबाद(DHANBAD):भास्कर में छपी एक खबर के अनुसार धनबाद के कारोबारियों से रंगदारी वसूलने वालों के नेटवर्क के तार धनबाद जेल से अभी भी टूटे नहीं है. गैंगस्टर प्रिंस खान गैंग से जुड़े 10 लोगों की गिरफ्तारी के बाद उनसे पूछताछ में पुलिस को यह जानकारी मिली है. प्रिंस खान का करीबी सद्दाब अंसारी ने स्वीकार किया है कि रंगदारी का नेटवर्क भगोड़े प्रिंस खान के साथ-साथ धनबाद जेल में बंद उसके भाई गोपी व गोडविन के साथ-साथ फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का अपराधी सैफी खान द्वारा संचालित होता है.
टूटे नहीं है धनबाद जेल से रंगदारी वसूलने के नेटवर्क के तार
यह चारों लोग व्हाट्सएप कॉल के जरिए बताते हैं कि किन किन से रंगदारी लेनी है ,किन-किन सहयोगी को पैसा देना है और किन खातों में पैसे ट्रांसफर करने हैं. पुलिस को बताया है कि उसे प्रिंस व जेल से प्रतिदिन नियत समय पर दिशा निर्देश मिलते थे. निर्देश मिलने के बाद कारोबारियों में भय और दहशत फैलाकर रंगदारी मांगने और पैसा वसूलने का काम वह करता और करता था.
जानिए प्रिंस खान के लोगों ने कौन कौन से राज खोले है
गिरफ्तार अपराधियों ने बताया है कि रंगदारी का पैसा बैंक अकाउंट और यूपीआई के माध्यम से ट्रांजैक्शन किया गया है. इनमें आठ मोबाइल नंबरों यू पी आई के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा के दो, एसबीआई के सात, बैंक ऑफ इंडिया के तीन और केनरा बैंक के एक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया है. यह बात भी सामने आई है कि प्रिंस खान के पैसे को अलग-अलग जगहों पर इन्वेस्ट किया गया है.पुलिस को यह भी पता चला है कि जेल गए आरा मोड़ निवासी खुर्शीद आलम ने दवा की दुकान चलाते-चलाते प्रिंस से दस लाख रुपए लेकर गोविंदपुर में मयूरी अस्पताल खोल लिया.
अर्थतंत्र में सिर्फ लोकल ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अपराधी भी शामिल
प्रिंस खान ने कहा था कि उसके परिवार और गिरोह के सदस्यों को मेडिकल सुविधाएं उसे देनी होगी .जानकारी के अनुसार प्रिंस खान की इस अर्थतंत्र में सिर्फ लोकल ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अपराधी भी शामिल है. पुलिस धनबाद जेल में अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए उन्हें दूसरे दूसरे जेलों में शिफ्ट करने पर काम कर रही है. अब तक आधा दर्जन कुख्यात अपराधियों को दूसरे जेलों में शिफ्ट किया जा चुका है. कई औरों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन अगर धनबाद जेल से अपराधियों का तार अभी तक टूटा नहीं है तो यह व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल तो है ही.
रिपोर्ट-सत्यभूषण सिंह