रांची(RANCHI): झारखंड में चुनाव की घोषणा होने के बाद अब 18 अक्टूबर यानि शुक्रवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. पहले चरण में 43 सीट पर चुनाव होना है. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने उम्मीदवारों के नाम पर मंथन करने में लगा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा उम्मीदवार के नाम की घोषणा शुक्रवार को कर सकती है. इसमें कुछ नाम सूत्रों के हवाले से सामने आए है, जिसपर मुहर लग गई है बस आधिकारिक घोषणा बाकी है.
सबसे पहले संताल परगना से शुरुआत करते है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सूबे के मुखिया है 2019 के चुनाव में बरहेट को चुना था अब फिर यह तीसरा मौका होगा जब हेमंत सोरेन इसी सीट से चुनावी अखाड़े में होंगे. वैसे पिछले चुनाव में हेमंत ने बरहेट के साथ साथ दुमका से भी चुनाव लड़ा था.लेकिन बाद में उन्होंने सीट को छोड़ दिया औरबरहेट से विधायक बने और फिर मुख्यमंत्री.
इसके बाद दुमका विधानसभा सीट पर भी झामुमो का दबदबा है. यहां से सीएम हेमंत चुनाव जीते थे, लेकिन इनके सीट छोड़ने के बाद बसंत सोरेन उपचुनाव में मैदान में उतरे. बसंत सोरेन हेमंत सोरेन के भाई है और दुमका को फतेह किया था. अब फिर दुमका से बसंत चुनाव लड़ते दिखेंगे.
कल्पना सोरेन की बात करें तो गांडेय सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि इस सीट पर सरफराज अहमद लगातार चुनाव जीत रहे थे. लेकिन 2024 के शुरुआत में इस्तीफा दिया, जिसके बाद उपचुनाव में कल्पना सोरेन पहली बार सक्रिय राजनीति में आई. इस चुनाव में कल्पना ने जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा पहुंची. अब फिर से कल्पना इस सीट को ही चुनाव के लिए चुना है.
गिरिडीह विधानसभा सीट से सोनू सुदिव्य उम्मीदवार होंगे. सोनू झामुमो के पुराने सिपाही है और झामुमो के ही टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे.अब फिर इस सीट से झामुमो के उम्मीदवार होंगे. सरायकेला - गणेश महली, मझगांव - निरल पूर्ती, चाईबासा - दीपक बिरुआ, इस सीट पर झामुमो का कब्जा है और दीपक बिरुआ वर्तमान में मंत्री है. ऐसे में फिर से इनको मौका दिया जा रहा है. गुमला - भूषण तिर्की, सिसई - झिगा सुसारण होरो,
मधुपुर - हफीजुल अंसारी संभावित उम्मीदवार होंगे. हाफ़िजूल हसन उप चुनाव में जीत कर पहली बार सदन पहुंचे है. लेकिन उम्मीदवार बनते ही हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बने और फिर उपचुनाव में जीत दर्ज की. इस सीट पर हाफ़िजूल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी लगातार चुनाव जीते है. लेकिन कोरोना में उनके जाने के बाद हाफ़िजूल चुनाव में जीत दर्ज कर मंत्री बने है. वह एक बड़ा चेहरा संथाल में है. सिमरिया - मनोज चंद्रा, नाला - रबिन्द्र नाथ महतो विधानसभा अध्यक्ष है. साथ ही झारखंड आंदोलनकारी रह चुके है. ऐसे में झामुमो के सिपाही से शुरू हुई राजनीतिक अब तक जारी है. अब फिर से इस विधानसभा चुनाव में झामुमो के उम्मीदवार होंगे.
तमाड़ - विकास मुंडा, विकास मुंडा का अपना जनाधार इस सीट पर है, यहां इनके पिता विधायक रह चुके है लेकिन उग्रवादियों ने इनके पिता की हत्या कर दी थी. जिसके बाद पिता की राजनीतिक विरासत को झामुमो के झंडे के साथ लेकर चल रहे है. अब फिर से तमाड़ सीट पर विकास मुंडा झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
टुंडी - मथुरा महतो, महतो कुर्मी के एक बड़े नेता है. इनका प्रभाव सिर्फ टुंडी नहीं बल्कि सभी कुर्मी क्षेत्र में है.लोकसभा चुनाव में गिरीडीह से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन कड़े टक्कर में हार कर सामना करना पड़ा. साथ ही पूर्व में मंत्री रह चुके है और फिलहाल टुंडी से विधायक है. यहां फिर से मथुरा झामुमो के उम्मीदवार होंगे
डुमरी में टाइगर जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी ने उपचुनाव में जीत दर्ज किया है. इसके बाद फिर अब 2024 के रण में झामुमो के टिकट पर चुनावी मैदान में होंगी. इनके पति जगरनाथ महतो का अपना वोट बैंक इस इलाके में है और जनाधार है. जिस विरासत को बेबी देवी अब आगे बढ़ा रही है.
गढ़वा - मिथिलेश ठाकुर, मिथलेश ठाकुर जो हेमंत सोरेन के काफी करीबी में से एक है. फिलहाल गढ़वा से विधायक है और राज्य में मंत्री है. जब गढ़वा पलामू में कोई भी सीट झामुमो नहीं जीत पाई थी, उस समय 2019 के चुनाव में अकेला मिथलेश ठाकुर झण्डा बुलंद कर पाए थे.
भवनाथपुर - अनंत प्रताप देव, लातेहार - बैद्यनाथ राम को फिर से मौका मिलेगा. फिलहाल राज्य में शिक्षा मंत्री है और अपने क्षेत्र में काफी सक्रिय है. एक शिक्षक से अपने राजनीति सफर की शुरुआत की और बड़े मुकाम पर पहुंचे. अब फिर 2024 के अखाड़े में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
फिलहाल सभी नाम सूत्रों के हवाले है. संभावित उम्मीदवार के रूप में हो सकते है. हालांकि देर रात इंडिया गठबंधन की बड़ी बैठक है. जिसके बाद उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जाएगी. बस थोड़ा सा इंतजार है, इसके बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.