धनबाद(DHANBAD): धनबाद में कोयला चोरों के हिम्मत की पराकाष्ठा देखिये. सोमवार की रात करकेंद पानी टंकी के समीप गोपालीचक कोलियरी के मैनेजर एल. एल. बर्णवाल को कोयला चोर पीटकर बुरी तरह घायल कर दिए. मैनेजर को जीप के नीचे खींच कर लात घूंसे से पिटाई कर दी गई. पुटकी पुलिस सूचना पर भागी-भागी पहुंची तो हमलावर भाग निकले. पिटाई करने वाले एक दर्जन की संख्या में थे. पूरी प्लानिंग के तहत घटना को अंजाम दिया गया. हमले में मैनेजर की बाई आंख के ऊपर व शरीर के कई हिस्से में चोट आई है. घायल अधिकारी को पुटकी के नर्सिंग होम में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. आंख के ऊपर 6 टांके लगे है. इतना ही नहीं, हमला करने के बाद भी कोयला चोर गिरोह के कुछ लोग निडर होकर नर्सिंग होम के अगल-बगल देखे गए. हमले की खबर जंगल की आग की तरह इलाके में फैल गई. कोयला अधिकारी भी पहुंच गए, मैनेजर की माने तो रात साढ़े सात बजे काम निपटा कर जीप से प्रोजेक्ट से घर जा रहे थे. बाहर निकलते ही एक कार पीछा करने लगी. पानी टंकी के निकट जीप के आगे कार खड़ी कर दी. चालक को गाली देते हुए चाबी छीन ली गई.
बाइक से भी पहुंचे हमलावर, पुलिस के आने पर भागे
उसके बाद उनकी पिटाई की जाने लगी. तब तक मोटरसाइकिल पर सवार कई लोग पहुंचे. घेर कर उन्हें नीचे गिरा दिया और लात घूसों से उनकी पिटाई की. लोग बताते हैं कि गोपालीचक आउटसोर्सिंग कोयला चोरों के लिए चारागाह बना हुआ है. यहां कोयला चोरों के कई गुट सक्रिय है. अधिकारी ने चोरी पर अंकुश लगाने की कोशिश की तो उन पर हमला बोल दिया गया. यह तो कोयला चोरों के बढ़ते मनोबल का एक उदाहरण है. कोयला चोर पुलिस को भी नहीं लगाते. उनसे भी पंगा ले लेते है. दरअसल यह घटना कोयला अधिकारियों के लिए भी कम बड़ी चुनौती नहीं है. पुलिस के लिए तो है ही. कोयलांचल में कोयले के काले धंधे को रोकने की तीन स्तरीय व्यवस्था है. पहली जिम्मेवारी तो बीसीसीएल की बनती है, दूसरी जिम्मेवारी सीआईएसएफ पर है तो तीसरी जिम्मेवारी पुलिस की है. कोयला चोर इस धंधे से इतनी कमाई कर लिए हैं कि वह अब किसी को भी अपने आगे कुछ नहीं समझते.
बंद और खुली खदानों का गणित समझिये
जानकारों के अनुसार कोयले का सबसे अधिक अवैध खनन कोयला कंपनियों की बंद और खुली खदानों से होता है. इसके अलावा बंद मुहानों को फिर से खोलकर कोयले का अवैध खनन किया जाता है. अवैध खनन में कोयला तस्कर मजदूरों को हाज़री पर बहाल कर यह काम करवाते है. बीसीसीएल की जिम्मेवारी है कि अवैध खनन को रोके. लोग बताते हैं कि अवैध खनन का कोयला सीआईएसएफ की आंखों के सामने से निकलता है. कई चेक पोस्टों से गुजरता है. सीआईएसएफ को भी पता है कि कोयला ढुलाई गलत ढंग से की जा रही है. बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती. कोयले के काले धंधे की सारी एजेंसियों को पूरी जानकारी है. बावजूद कुछ नहीं होता. अवैध ढंग से खनित कोयला सड़कों पर धड़ल्ले से ढोया जाता है. यह ढुलाई साइकिल, बाइक, स्कूटर, ट्रक और हाईवा से किया जाता है. सड़कों पर पुलिस जवान रहते हैं बावजूद धरपकड़ नहीं होती. नतीजा है कि कोयला चोरी बेधड़क जारी है. क्षेत्र में तो हाल के दिनों में खुलासा हुआ है कि अवैध कोयला वहां को रोककर गुटों में बटे लोग कोयला उतारते हैं और फिर उसे एक जगह जमा करते है. बाद में कोयला तस्कर खरीद कर ले जाते है. इसको लेकर मारपीट, गोली -बम चलते रहते है.
खनन प्रभारी ऐप पर शिकायतों का हाल देखिये
खनन प्रभारी ऐप पर भी झारखंड सहित धनबाद में कोयला चोरी की रिपोर्ट दर्ज होती है लेकिन सब कुछ पहले की तरह चलता रहता है. कोयला मंत्रालय के आंकडे पर भरोसा करें तो जनवरी 2023 तक खनन प्रहरी एप पर कुल 462 शिकायतें दर्ज की गई है. इसमें दूसरे नंबर पर झारखंड है जबकि पहले नंबर पर पश्चिम बंगाल है. छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में से कम शिकायतें दर्ज की गई है. झारखंड में बीसीसीएल, सीसीएल, ईसीएल तीनों कोल कंपनियों के लीज होल्ड एरिया से यह शिकायतें मिली है. तो क्या धनबाद के कोयला चोर इतने ताकतवर हो गए हैं कि कोयला चोरी रोकने की त्रिस्तरीय व्यवस्था पर भी भारी पड़ रहे हैं या उन्हें जानबूझकर निजी स्वार्थ के लिए ऐसा करने की छूट दी गई है. यह सब तब हो रहा है जब झारखंड के साहिबगंज जिले अवैध खनन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह