रांची (RANCHI) : अक्सर गरीब पैसों की कमी के कारण अपने परिजनों का ईलाज प्रइवेट अस्पताल में नहीं करा पाते. कारण प्राइवेट अस्पताल में इलाज काफी महंगा होता है. इस लिए गरीब परिवार के लोग अपने परिजनों का इलाज सरकारी अस्पताल में करवाते है. वहीं इसे देखते हुए सरकार ने भी आम लोगो के लिए कम किमतों में दवाईया मिले इसलिए जनऔषधि केन्द्र की सुविधा लाई है. बात अगर झारखंड के सबसे बडे़ अस्पताल रिम्स की करे तो रिम्स में भी जनऔषधि केंद्र की सुविधा का लाभ दिया गया है. लेकिन मरिज उसका लाभ नहीं ले पा रहे है.
मरिजों को नहीं मिल रही पूरी दवाई
दरअसल जनऔषधि केन्द्र में दवाई लेने के लिए परिजन घंटो लाइन में खड़े होकर दवाई का इतंजार करते है. लेकिन उन्हें आधी दवाईया और आधी निराशा मिलती है. और मरिज दवाइ के लिए ईधर-उधर भटकते है. और डॉ. द्वारा लिखी गई दवाईया अधिक किमतों में बाहर से लेनी पड़ती है. वही सारी दवाईया इस लिए नहीं मिल पा रही है. क्योकी डॉ. द्वारा लिखी गई दवाईया जनऔषधि केन्द्र में होती ही नहीं है. रिम्स अस्पताल के डॉ. अकसर महंगी दवाईया पर्ची में लिखते है जिस कारण सारी दवाईया जनऔषधि केन्द्र में नहीं मिल पाते है.
महंगे दर पर बाहर से दवा खरीद रहे मरीज
इस मामले में मरिज के परिजनों का कहना है कि हम गरीब है. इसलिए काफी दुर से इलाज के लिए रिम्स आते है, रिम्स में इलाज तो फ्री होती है लेकिन दवाइयों मे पैसा अधिक लग जाता है. जितनी भी महंगी दवाइया होती है वो जनऔषधि केन्द्र में नहीं मिलती है. जिस कारण से हमें MRP के दामों में महंगी दवाईया बाहर की दुकानों से लेनी पड़ रही है. जिस कारण हमें कई परेशानियों का सामना करना पडता है.
रिम्स का विवादों से पुराना नाता
आपकों बता दें कि झारखंड में रिम्स सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. लेकिन रिम्स का विवादो से काफी पुराना नाता है. विवाद रिम्स अस्पताल के साथ और रिम्स विवादो के साथ हमेशा धिरा रहता है. इस अस्पताल में काभी दूर-दूर से गरिब परिवार के लोग अपना इलाज करना आते है. लेकिन जब दवा लेने की बात आती है तो अस्पताल के जनऔषधि केंद्र में वह उपलब्ध नहीं होता. ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि उन गरिब परिवर के लोगों का क्या होगा जो रिम्स यह सोच कर आते है, कि उनके परिवार के लोग का इलाज रिम्स में हो जाएगा और वह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे. लेकिन असल जिंदगी में देखे तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. यह कहीं ना कहीं रिम्स प्रबंधक और सरकार पर सवाल खड़ा करता है.
रिपोर्ट. मेहक मिश्रा