दुमका: सावन का पावन महीना शिव उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है और सोमवार का दिन बाबा भोले नाथ का दिन माना जाता है. ऐसे में जब सावन की शुरुवात ही सोमवार से हो तो शिव उपासना का इससे बेहतर दिन शिव भक्तों के लिए भला क्या हो सकता है.और इसकी बानगी देखने को मिली दुमका के बासुकीनाथ धाम में जहाँ सावन की पहली सोमवारी के मौके पर फौजदारी बाबा पर जलार्पण के लिए शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी.
अरघा के माध्यम से हो रहा है जलार्पण
बासुकीनाथ धाम में जलार्पण के लिए शिव भक्त देर रात्री से ही कतारबद्ध हो गए. सरकारी पूजा के बाद बाबा के पट आम श्रद्धालुओं के दर्शन और जलार्पण के लिए खोल दिया गया. जलार्पण के लिए गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर अरघा लगाया गया है. अरघा के माध्यम से श्रद्धालु फौजदारी बाबा पर जलार्पण कर रहे है. बासुकीनाथ धाम ओम नमः शिवाय और बोल बम के नारों से गूंज रहा है. हर तरफ गेरुवा वस्त्र धारी शिव भक्त नजर आ रहे हैं.
बासुकीनाथ में नागेश रूप में विद्यमान महादेव को कहा जाता है फौजदारी बाबा
बासुकीनाथ में भगवान शिव का स्वरूप नागेश का है. इसलिए इसे नागेश नाथ भी कहते है. मान्यता है कि यहां फौजदारी सुनवाई होती है, इसलिए इन्हें फौजदारी बाबा भी कहा जाता है. सावन के महीने में बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा से जल भरकर कांवरिया पहले देवघर के बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करते हैं उसके बाद बासुकीनाथ पहुच कर फौजदारी बाबा पर जल अर्पित करते हैं. इसके अलावे बहुत से श्रद्धालु भागलपुर के बरारी घाट से जल भरकर सीधे बासुकीनाथ पहुँचते हैं जिनमें डाक बम की संख्या अधिक होती है.
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए की गई है मुकम्मल व्यवस्था
बासुकीनाथ धाम आने वाले शिव भक्तों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा मुकम्मल व्यवस्था की गई है. डीसी, एसपी, एसडीओ सहित तमाम वरीय अधिकारी मेला क्षेत्र का भ्रमण कर व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। मेला क्षेत्र को ओपी में बांटा गया है. जिला प्रशासन का प्रयास है कि यहां आने वाले श्रद्धालु सुलभ जलार्पण कर सकें और सुखद अनुभूति के साथ वापस अपने घर लौटे.
आने वाले समय में बढ़ेगी शिव भक्तों की भीड़
बासुकीनाथ धाम में सावन के प्रथम दिन ही शिव भक्तों का जोश और उमंग देख कर ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में शिव भक्तों का तांता यहाँ लगेगा.खासकर सोमवार और मंगलवार को उमड़ने वाली शिव भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करना प्रशासन के समक्ष एक चुनौती से कम नहीं होगा.