टीएनपी डेस्क(TNP DESK):झारखंड का कोल्हान क्षेत्र अपने अंदर कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए हैं. इसका काफी गौरवशाली इतिहास रहा है. चाहे टाटा स्टील की शुरुआत हो या एशिया की सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र की, लेकिन आज हम कोल्हान क्षेत्र में स्थित ऐसे ही 6 रेलवे स्टेशनों के बारे में बात करेंगे, जो केवल रेलवे स्टेशन ही नहीं है बल्कि झारखंड के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और परंपरा को अपने अंदर जीवंत रूप से समेटे हुए हैं. इन स्टेशनों के नामकरण के पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां और दिलचस्प किस्से जुड़े हुए हैं.
1907 में रखी गई थी टाटा स्टेशन की नींव
जमशेदपुर का टाटानगर रेलवे स्टेशन झारखंड के सबसे बड़े स्टेशन के रूप में जाना जाता है. लेकिन इसके इतिहास और इसके नामकरण के पीछे काफी बड़ी और लंबी कहानी है. 1907 में टाटा स्टेशन की नींव रखी गई थी.शुरुआत में इसका नाम काली माटी रेलवे स्टेशन था, लेकिन टाटा स्टील की स्थापना के बाद 1919 में जब बंगाल के गवर्नर लॉर्ड चेम्सफोर्ड जमशेदपुर आयें तो काली माटी का नाम बदल कर इस स्टेशन का नाम टाटानगर रख दिया,और साक्ची गांव का नाम दबलकर जमशेदपुर रख दिया.
चक्रधारी सिंह देव के नाम पर रखा गया शहर का नाम
कोल्हान के चक्रधरपुर जिले में स्थित रेलवे स्टेशन की भी अपनी एक अलग कहानी और इतिहास है. पहले चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन का नाम पोड़ाहाट था, जो राजा घनश्याम सिंह देव से मिली प्रेरणा पर रखा गया था, लेकिन साल 1820 में राजा घनश्याम सिंह देव ने अपने पिता चक्रधारी सिंह देव के नाम पर इस शहर की स्थापना कर दी, जिससे चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन का नाम इस शहर के नाम पर पड़ गया.
पढ़ें चाईबासा के नाम के पीछे का इतिहास
वहीं चाईबासा जिले का भी अपना एक अलग इतिहास है. चाईबासा का नामकरण चोयों देवगन से हुआ है इसके नामकरण के पीछे चोयों देवगम नाम के एक व्यक्ति है जो यहां पर निवास करता था, बाद में जब अंग्रेज़ों ने इस जगह का विस्तार किया, तो उसके नाम पर ही शहर का नाम चोयों बासा रख दिया. जिसके बाद इसका नाम चाईबासा हो गया.वहीं आज भी यहां चोयों देवगम की समाधि भी है.जब 1970 के दशक में चाईबासा रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ, तो इसका नाम चाईबासा रखा गया.
झारखंड का फेमस स्टेशन है चांडिल
वहीं चांडिल रेलवे स्टेशन भी झारखंड में काफी ज्यादा मशहूर है. चांडिल स्टेशन का नाम पहले चांदडीह था, लेकिन यह नाम अपभ्रंश की वजह से चांडिल हो गया. इस बात की पुष्टी यहां के साथानीय लोग करते है.
आदित्यपुर टाटानगर का उपनगर के नाम से भी जाना जाता है
वहीं आदित्यपुर रेलवे स्टेशन वैसे तो क्षेत्रफल के हिसाब से ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन इसके नाम के पीछे गौरवशाली इतिहास है. सरायकेला के राजा आदित्य प्रताप सिंह देव के नाम पर इस शहर का नाम रखा गया है .इतिहासकार बताते हैं कि आदित्यपुर सरायकेला राजघराने के अधीन आता था, जिसको टाटानगर के उपनगर के रुप से भी जाना जाता है.
काफी रोचक है गम्हरिया नाम के पीछे का अर्थ
वहीं गम्हरिया रेलवे स्टेशन के नाम के पीछे भी काफी बड़ा अर्थ है. जिसको हो भाषा से लिया गया है.जिसको गामे रेया से लिया गया है, जहां गामे का मतलब बारिश और रेया का मतलब बारिश के बाद की ठंडक से है, कोल्हान के जिस क्षेत्र में हाट बाजार लगता था, वहां बारिश और ठंडक का अनुभव होता था.वहीं बाद में गामे रेया को बदलकर गम्हरिया रख दिया गया