टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- हेमंत सरकार के बाद झारखंड में चंपई सोरेन सरकार का आगमन हो गया है. लेकिन, राज्य में पहले से ही घोटाले को लेकर चर्चाए भी तेज है. याद कीजिए ईडी ने खनन, शराब , जमीन घोटाले में परत दर परत खंगाल रही है. पड़ताल कर उन किरदारों को ढूंढ रही है. जिसने घपले-घोटाले करके चूना लगाया. आज राज्य में ईडी का खौफ उन लोगों को पर मंडरा रहा है और उनकी सांसे अटकी हुई है. जिसने फरेब से बेशुमार दौलत बनायी, आलिशन महल खड़ा किया, सिस्टम को पंगु बनाया और राज्य के राजस्व को लूटने में तनीक भी संकोच नहीं किया.
झारखंड में घोटाला ही घोटाला
सवाल यहां ये पैदा हो रहा है कि जो ईडी एक घोटाले की जांच करती है, तो फिर उसे नया घोटाला नजर आ जाता है. उसके तार उससे जुड़ जाते हैं , उसकी काले खेल की परते खुलने लगती है. यानि एक घोटाले का धुंआ आगे बढ़ते-बढ़ते आग की लपटो में तब्दील हो जाता है. शराब घोटाले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था . जब ईडी को इसके कुछ दस्तावेज हाथ लगे थे और इसके बाद तो फिर एक के बाद एक खुलासे सामने आए. अब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बड़गाई के भूईहरी जमीन घोटाले के आरोप को झेल रहे हैं, इसके चलते उनके सीएम की कुर्सी चली गई. आज रोजाना अपनी बेगुनाही का इम्तहान दे रहे हैं. रिमांड पर चल रहे हैं, कोर्ट में पेश हो रहें हैं. हेमंत के जो सहयोगी और करीबी थे, उन्हें भी ईडी एक-एक कर बुला रही है. जिसके भी तार घोटाले से जुड़े हैं. दरअसल, यहां सवाल-जवाब में और पूछताछ के क्रम में एक नये घोटाले का जन्म हो जाता है.
जमीन घोटाले के बाद नियुक्ति घोटाला !
जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन के दोस्त औऱ करीबी कहे जा रहे आर्किटेक्ट बिनोद सिंह की व्हाटसप चेट में ट्रांसफर पोस्टिंग की बात तो सामने आयी है. दावा किया जा रहा है कि जेएसएससी एग्जाम से संबंधित छात्रों के एडमिट कार्ड भी मिले हैं.
मालूम हो कि ये जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के पेपर लीक होने से परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. सवाल उठाया जा रहा है कि क्या नियुक्तियों में भी हेमंत सोरेन की सरकार की दखल रही है. खैर अभी इस पर कुछ तब ही बोला जा सकता है. जब इसकी तह तक पड़ताल की जाएगी. लेकिन, प्रश्न तो उठेगा ही , जब किसी छात्रा का एडमिट कार्ड मिला हो. वैसे तत्कालीन हेमंत सरकार के कार्यकाल के दौरान ही पेपर लीक हुआ था औऱ परीक्षा रद्द हुई थी. इसके चलते भी हेमंत सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी, छात्रों का आक्रोश सड़क पर दिखा था. विपक्ष भाजपा ने भी इसे लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर हमलावर रही थी. जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा 28 जनवरी को आयोजित हुई थी. लेकिन, इसे रद्द कर दिया गया था. क्योंकि इसका पेपर पहले ही लीक हो गया था. इसके साथ ही चार फरवरी को होने वाली परीक्षा भी रद्द कर दी गयी थी.
जेएसएससी पेपर लीक
हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन की सरकार सत्ता में आयी. जेएसएससी सीजीएल पेपर लीक मामले को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया था. रांची पुलिस की एसआईटी ने रविवार को झारखंड विधानसभा के अवर सचिव मो. शमीम को गिरफ्तार किया . उनकी गिरफ्तारी के साथ ही उनके दो बेटों को भी पकड़ा गया. जानकारी के मुताबिक एसआईटी को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे कई छात्रों के प्रवेश पत्र, मोबाइल फोन और ब्लैंक चेक मिले.
यहां सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई विधानसभा के अवर सचिव की इसमे भागीदारी रही है. फिलहाल, अभी इसकी जांच आगे जारी है. एसआईटी उन तमाम चिजों को खंगाल रही है. साथ ही पता चला है कि राज्य के बाहर संगठित गिरोह के भी इसमे हाथ है. लिहाजा, इसकी भी जांच बेहद ही तस्सली से की जा रही है. व्हाटसेप के जरिए पेपर लीक करने वाले की तलाश भी शिद्दत से की जा रही है. जिसने छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया.
जेएसएससी सीजीएल पेपर लीक एक बड़ा मामला है. इसे लेकर झारखंड विधानसभा में एक सख्त कानून भी हेमंत सोरेन सरकार के दौरान ही पास हुआ था. इतने सख्त कानून के बाद भी अगर परीक्षा का पर्चा लीक हो जाए, तो लाजमी है कि चिंता का विषय है . उस सरकार के लिए शिकन पैदा करने वाली बात है. जिसके शासनकाल में ये सब हुआ है. अब देखना है कि आखिर इसका असली गुहनगार कौन है, जिसने इतना बड़ा कांड किया. और उन छात्रों के अरमानों पर पानी फेर दिया, जिसके लिए दिन रात मेहनत करके तैयारी की थी. और नौकरी के ख्वाब बुने थे.