धनबाद(DHANBAD): धनबाद की सिंदरी फिर अशांति की ओर बढ़ गई है. सिंदरी का "डॉन" कौन होगा ,इसको लेकर विवाद छिड़ गया है. 25 अगस्त" 2022 को भी सिंदरी में जो हमला, तोड़फोड़ और हंगामा हुआ था, उसके पीछे भी मनसा शयद ऐसा ही कुछ था. ग्रामीण तो मोहरा बन गए लेकिन लड़ाई के पीछे दो दबंग लोग थे. यह दबंग ता पहले एफसीआई में ट्रांसपोर्टिंग के लिए की जाती थी ,लेकिन अब HURL कंपनी पर दबाव बनाने के लिए यह सब किया जा रहा है. गुरुवार को सिंदरी चेंबर ऑफ कॉमर्स की आपात बैठक में जनता श्रमिक संघ के संयुक्त महामंत्री लक्की सिंह और फर्टिलाइजर फैक्ट्री वर्कर्स यूनियन के महासचिव संतोष चौधरी के समर्थकों में जमकर मारपीट हुई. कुर्सियां चली, प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि फायरिंग भी हुई और उसके बाद भगदड़ मच गई. सभा स्थल पूरी तरह से खाली हो गया. सूचना पाकर पुलिस भागी -भागी पहुंची. स्थिति पर नियंत्रण पाया. गुरुवार को चेंबर के कुछ पदाधिकारियों इस्तीफा देने के बाद आपात बैठक बुलाई गई थी.
दोनों गुट के समर्थक पहुंचे और होने लगी मारपीट
इस बैठक में व्यवसाई होने के नाते फर्टिलाइजर फैक्ट्री वर्कर्स यूनियन के महासचिव संतोष चौधरी भी अपने समर्थको के साथ पहुंचे थे. इसी दौरान लक्की सिंह के समर्थक भी पहुंच गए और हंगामा शुरू हो गया. दोनों पक्ष एक दूसरे पर फायरिंग करने का आरोप लगाया है. संतोष चौधरी और लक्की सिंह के बीच 25 अगस्त" 2022 को हुए हंगामे के बाद विवाद काफी गहरा हो गया है. उस दिन ग्रामीणों ने लक्की सिंह के ऑफिस पर हमला बोल दिया था. इस घटना में कई थानेदार चोटिल हो गए थे. भौरा के तत्कालीन थानेदार हिमांशु कुमार सहित कई लोग घायल हुए थे. कहा जाता है कि हमले के बाद संतोष चौधरी ने ग्रामीणों का पक्ष लिया था, क्योंकि वह लक्की सिंह के प्रतिद्वंदी है. हालांकि गुरुवार के मामले में लक्की सिंह का कहना है कि उन्हें चेंबर ऑफ कॉमर्स से कोई लेना देना नहीं है. हम तो गरीब फुटपाथ दुकानदारो की लड़ाई लड़ रहे है. जिसे विफल करने की साजिश रची जा रही है. गुरुवार को हुई मारपीट से उनका कोई लेना देना नहीं है.
25 अगस्त 2022 की घटना के बाद हुई थी भरी भरकम एफआईआर
हालांकि 25 अगस्त 2022 को हुए हंगामा के बाद सिंदरी पुलिस ने 39 नेम्ड सहित 2000 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया था. बलियापुर पुलिस ने भी 20 नामजद सहित 700 लोगों पर केस किया था. लक्की सिंह के रिश्तेदार ने भी सिंदरी थाना में केस दर्ज किया था. इस घटना के बाद पुलिस पर ढिलाई बरतने के आरोप लगते रहे. इस मामले में कुछ लोग जमानत पर हैं, जबकि कई सरकारी नौकरी करने वाले वीआरएस लेने की फिराक में है. वह जानते हैं कि आज नहीं तो कल, यह मामला तूल पकड़ेगा और उन्हें जेल जाना पड़ सकता है. ऐसे में उनकी बर्खास्तगी भी संभव है. बहर हाल जो भी हो ,लेकिन सिंदरी में अगर इन दोनों गुट को तत्काल प्रभाव से नियंत्रित नहीं किया गया तो हर छोटे -बड़े मुद्दे पर कानून- व्यवस्था की स्थिति पैदा होती रहेगी. दोनों की लड़ाई सिंदरी का "डॉन" बनने की है, इसलिए भी गाहे-बेगाहे दोनों गट टकराते रहते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो