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बोकारो में लड़ाई अभी बाकी है: सीआईएसएफ के 23 अधिकारी हटाए गए, विधायक श्वेता सिंह पर एफआईआर के बाद आगे क्या ?

बोकारो में लड़ाई अभी बाकी है: सीआईएसएफ के 23 अधिकारी हटाए गए, विधायक श्वेता सिंह पर एफआईआर के बाद आगे क्या ?

धनबाद (DHANBAD) : बोकारो में 3 अप्रैल को सीआईएसएफ की लाठीचार्ज में एक विस्थापित युवक प्रेम महतो की मौत के बाद एक नए तरह की लड़ाई छिड़ गई है.  झारखंड के दो विधायक आमने-सामने हो गए हैं, तो बोकारो स्टील प्लांट भी चौकस और चौकन्ना है. सूचना के मुताबिक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने अपनी बोकारो इकाई के कुल 23 अधिकारियों को बदल दिया है. उप कमांडेंट को भी स्थानांतरित कर दिया गया है. सीआईएसएफ मुख्यालय ने सभी अधिकारियों को जल्द से जल्द अपने नए कार्य स्थल पर योगदान देने का निर्देश दिया है. दूसरी इकाई के अधिकारियों को बोकारो भेजा गया है. बता दें कि बोकारो विवाद के बाद डुमरी विधायक जयराम महतो और कांग्रेस की विधायक श्वेता सिंह आमने-सामने हो गए है. डुमरी विधायक जयराम महतो ने श्वेता सिंह सहित अन्य के खिलाफ सिटी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. 

तीन अप्रैल को रांची में था तो मिली थी सूचना 
 
इस मुकदमे में उन्होंने कहा है कि दिनांक 3 अप्रैल को झारखंड विधानसभा की पुस्तकालय समिति व खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले की समिति की बैठक में भाग लेने के लिए वह रांची गए थे. रांची में ही सूचना मिली कि बोकारो में प्रदर्शन कर रहे विस्थापित युवकों पर सीआईएसएफ ने लाठीचार्ज कर दिया है. जिसमें कई विस्थापित युवा घायल है और एक प्रेम प्रसाद की मौत हो गई है. सूचना मिलने के बाद बोकारो पंहुचा. बोकारो पहुंचकर मृतक के परिजनों से बीजीएच में मिला. उसके बाद एडीएम बिल्डिंग के समीप सड़क पर धरने पर बैठे विस्थापित लोगों से मिलने लगभग शाम 6:45 बजे गया.  वहां बोकारो विधायक अपने समर्थकों के साथ पहले से मौजूद थी. मेरे पहुंचते ही बोकारो विधायक श्वेता सिंह तथा उनके समर्थकों ने यह  बोलते हुए हमला कर दिया कि मैं बोकारो का विधायक नहीं हूं, हमला करते हुए वह बोल रहे थे कि यहां से निकले, नहीं तो जान से मार देंगे. मेरी गाड़ी पर भी हमला किया गया तथा  विधायक डुमरी लिखा हुआ नेम प्लेट भी तोड़ दिया गया. एक जनप्रतिनिधि का यह आचरण निंदनीय है. 

मैं विधायक बाद में, पहले पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष हूं 
 
प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि मैं विधायक बाद में हूं, पहले पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष हूं, मैं चाहता तो घटनास्थल पर इसका जवाब दे सकता था. झारखंड में किसी की ताकत नहीं है कि मुझे कहीं जाने से रोक सके. लेकिन मैं स्वयं मामले को बढ़ने नहीं दिया. आवेदन मेंअनुरोध किया गया है कि मेरी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करते हुए दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए. बता दे कि बोकारो में लड़ाई अभी बाकी है. आगे-आगे होता है क्या, इस पर सबकी निगाह टिकी है. बोकारो लाठीचार्ज में एक विस्थापित की मौत के बाद उठा विवाद अब थम गया है. यह अलग बात है कि शनिवार को मृतक के परिजनों को मुआवजा और आदमकद प्रतिमा लगाने का निर्णय होने के बाद आंदोलन खत्म हो गया है. लेकिन विस्थापितों के आंदोलन के बाद झारखंड के दो विधायक आमने-सामने हो गए है. इनकी लड़ाई अब कहां जाकर थमती है, यह देखने वाली बात होगी. सेल के अधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की थी. गुरुवार को विस्थापितों  पर सीआईएसएफ की लाठीचार्ज में एक विस्थापित की मौत हो गई थी. उसके बाद बोकारो में हंगामा मच गया था.

शुक्रवार को बोकारो में खूब हुआ था हंगामा 
 
शुक्रवार को बोकारो में खूब बवाल हुआ. बोकारो स्टील प्लांट का उत्पादन ठप हो गया. 5000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी प्लांट में फंस गए थे.  शुक्रवार को डीसी की मौजूदगी में वार्ता हुई, लेकिन यह वार्ता विफल हो गई. वार्ता विफल होने के बाद बोकारो की विधायक श्वेता सिंह ने चेतावनी दी कि बोकारो स्टील प्लांट को वह चलने नहीं देगी. फिर शुक्रवार की देर रात को वह धरना पर बैठ गई. लेकिन शुक्रवार की देर रात को ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. फिर शनिवार की दोपहर उन्हें हिरासत से मुक्त किया गया. शनिवार देर शाम सांसद ढुल्लू महतो  भी पहुंचे और बातचीत के बाद मृतक के परिजन को 50 लाख रुपए मुआवजा का भुगतान हुआ. आदमकद प्रतिमा लगाने की बात तय हुई.अप्रेंटिसो को नौकरी देने की बात हुई. तब जाकर मामला शांत हुआ. वैसे शुक्रवार की देर रात को विधायक श्वेता सिंह को हिरासत में लेने के बाद बोकारो स्टील प्लांट का गेट खोल दिया गया था. सांसद ढुल्लू महतो ने भी  शनिवार को कहा था  कि बाहरी-भीतरी की राजनीति करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 

विस्थापित कहते-राजनीति रोटी सेंकने नहीं देंगे 

इधर, विस्थापितों का भी कहना है कि राजनीतिक दलों को विस्थापन के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने नहीं दी जाएगी. इसके पहले की अगर बात की जाए तो गुरुवार को विवाद के बाद जब डुमरी के विधायक जयराम महतो पहुंचे तो विधायक श्वेता सिंह ने इसका विरोध किया था. कहा जाता है कि विधायक जयराम महतो के गाड़ी का नंबर प्लेट उखाड़ दिया गया. दोनों के समर्थकों में विवाद भी हुआ. इसके खिलाफ विधायक जयराम महतो ने कहा कि हम डुमरी के विधायक की हैसियत से बोकारो नहीं पहुंचे है. बल्कि पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष के नाते पहुंचे है. बोकारो विधानसभा से उनकी पार्टी को सम्मानजनक वोट मिले है. कहा तो यह भी जाता है कि शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय में वार्ता  के दौरान भी जयराम महतो और श्वेता सिंह के समर्थक आमने-सामने हुए. श्वेता सिंह भी नहीं चाहती थी कि जयराम महतो वार्ता में शामिल हो. लेकिन स्थिति को बिगड़ते देख वह खुद बाहर आई और विधायक जयराम महतो से बातचीत कर उन्हें अंदर ले गई. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो 

Published at:10 Apr 2025 12:07 PM (IST)
Tags:DhanbadBokaroWiwadWidhayakMukadama
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