देवघर(DEOGHAR):लोकसभा चुनाव में एक भी सामान्य सीट पर कब्जा नही जमाने के कारण झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर गाज गिरना लगभग तय हो गया है.पार्टी आलाकमान द्वारा 24 जून को किये गए समीक्षा बैठक में प्रदेश अध्यक्ष के परफॉर्मेंस पर काफी नाराज़गी जाहिर की गई है.सूत्रों के अनुसार संसद सत्र के बाद झारखंड कॉंग्रेस कमिटी में बदलाव की जाएगी.
आदिवासी औऱ गैर आदिवासी में ये नेता है प्रबल दावेदार
झारखंड कॉंग्रेस में बदलाव संसद सत्र यानी 3 जुलाई के बाद होना तय है.वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर गैर आदिवासी समाज से आते है,लेकिन हाल ही सम्पन्न लोकसभा चुनाव में इनका नेतृत्व सामान्य सीटों पर कुछ असर नही करा पाया है.पार्टी 14 में से 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.इनमें आरक्षित लोहरदग्गा और खूंटी को छोड़कर अनारक्षित सीट गोड्डा,रांची,धनबाद, चतरा और हजारीबाग से चुनाव हार गयी है.प्रदेश अध्यक्ष के परफॉर्मेंस से नाराज़ आलाकमान नया प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है.सूत्र बताते है कि झारखंड में आदिवासी चेहरो में बंधु तिर्की, सुखदेव भगत,प्रदीप बालमुचू और कालीचरण मुंडा पर आलाकमान की विशेष नज़र है.
चूंकि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है तो यहाँ आदिवासी समाज झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन औऱ कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन पर जी जान लगा देते हैं झारखंड में झामुमो के साथ गठबंधन कर सरकार में काबिज है कॉंग्रेस.सूत्र बताते हैं कि इस बार भी झारखंड मे प्रदेश अध्यक्ष गैर आदिवासी को ही बनाने पर आलाकमान सोच रही है सूत्र के अनुसार गैर आदिवासी में सुबोधकांत सहाय और डॉ अजय कुमार में से किसी को प्रदेश नेतृत्व का जिम्मा सौंपा जा सकता है.आदिवासी या गैर आदिवासी में से जिसको प्रदेश बनाना है आलाकमान इस पर 3 जुलाई के बाद कभी भी घोषणा कर सकती है.
आलमगीर आलम की जगह इरफान को मंत्री बनाने पर आलाकमान सहमत-सूत्र
टेंडर कमीशन के आरोप में ईडी ने मंत्री रहते आलमगीर आलम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.इसके बाद आलमगीर आलम ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.कॉंग्रेस कोटे से मंत्री बने आलमगीर आलम के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद यह पद कॉंग्रेस के लिए खाली हो गया है.सूत्रों के अनुसार 24 जून को दिल्ली में हुए झारखंड के नेताओं के साथ आलमगीर आलम की जगह जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी को मंत्री बनाने पर सहमति आलाकमान ने दे दी है.इसके लिए भी 3 जुलाई के बाद कॉंग्रेस आलाकमान निर्णय से अवगत राज्य के चम्पई सोरेन सरकार को कर सकती है.अगर प्रदेश अध्यक्ष बदले जाते हैं तो नया प्रदेश अध्यक्ष का प्रभाव आगामी विधानसभा चुनाव में कितना होगा वह समय आने पर पता चल ही जायेगा,लेकिन एक बात तो तय है कि झारखंड में कॉंग्रेस अपनी मजबूत स्थिति बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं बाकी रखेगी.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा