साहिबगंज(SAHIBGANJ):झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार गठन के बाद राज्य में भ्रष्टाचार की होड़ लग गई है.ताजा मामला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में आनेवाले साहिबगंज जिले का है. जहां अधिकारियों की मनमानी चौथे आसमान पर है.इस जिले में भ्रष्टाचार को रोकने का सरकार चाहे लाख दावे कर लें,लेकिन अधिकारियों की भ्रष्ट नीति और मनमानी की वजह से भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है.एक ओर जहां केंद्र सरकार देश के प्रत्येक गरीब नागरिकों को अनेकों योजनाओं से जोड़ रही है तो दूसरी तरफ उनके अधिकारी योजनाओं में वृहद पैमाने में पलीता लगा रहें है.अभी आईएएस पूजा सिंघल से जुड़े मनरेगा घोटाले की आग राज्य में ठंडा भी नहीं हुआ है कि फिर एक बार साहिबगंज जिले के बोरियो प्रखंड से आये घोटाले की मामले ने अधिकारियों की पोल खोल दी है.
अवैध रूप से आदिवासी लाभुक के बैंक खाते से योजना की राशि निकासी कर ली गई
आपको बताये कि बोरियो प्रखंड क्षेत्र में स्थित जेटके कुम्हरजोरी पंचायत के चालधोवा गांव में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना के तहत तालाब निर्माण का कार्य वर्ष 2019-20 में कराया जाना था. इसके लिए गांव के एक आदिवासी परिवार को लाभुक बना दिया गया,इस परिवार के दो सदस्यों को बिना जानकारी दिए ही तालाब निर्माण के लिए लाभुक आवंटित कर दिया गया.दोनों लाभुक मंगल सोरेन और जेठा सोरेन रिश्ते में पिता पुत्र हैं.मनरेगा योजना के तहत दोनों लाभुकों को 4-4 लाख रुपए से अधिक रूपए तालाब निमार्ण कार्य के लिए आवंटित किया गया था,लेकिन प्रखंडकर्मियों की मिली-भगत से बिचौलियों ने एक ही तालाब का निमार्ण करवाया था.जेठा सोरेन को आवंटित तालाब अनियमितता के साथ पूरी तो कर दी गई, लेकिन मंगल सोरेन को आवंटित तालाब का निमार्ण नहीं करवाया.इसके बावजूद अवैध रूप से बिना जानकारी दिए आदिवासी लाभुक के बैंक खाते से योजना की राशि निकासी कर ली गई.
पैसे की निकासी गांव के ही दो बिचौलियों भूतु साह और जोगिंदर साह ने करवाया है
वहीं लाभुक के अनुसार उनके जॉब कार्ड से पैसे की निकासी गांव के ही दो बिचौलियों भूतु साह और जोगिंदर साह ने करवाया है,इसी परिवार की पुत्रवधु तालाकुड़ी हेंब्रम को आवंटित जलछाजन का कार्य भी नहीं कराया गया और योजना के पैसों की निकासी कर ली गई.वहीं दो समतलीकरण की योजना भी इसी परिवार के सदस्यों को आवंटित की गई है,लेकिन योजना का कार्य धरातल पर किया ही नहीं गया,और अवैध रूप से इन्हीं दोनों बिचौलियों ने पैसों की निकासी कर लिया.लाभुक आदिवासी परिवार के अशिक्षित होने की वजह से उन्हें इन योजनाओं की जानकारी तक नहीं हुई,और सारा घोटाला,प्रखंड के मनरेगा कर्मचारी रोजगार सेवक पंचायत सचिव,जेई,लेखा सहायक,कम्प्यूटर ऑपरेटर और अन्य बीपीओ,पंचायत के मुखि या और मनरेगा बिचौलियों के मिली-भगत से कर दिया गया है.
धरातल पर नहीं हुआ काम, लेकिन नर्माण कार्य का जियो टैग कर दिया गया
इस मामले में गौर करनेवाली बात है कि आख़िर कैसे बिना कार्य हुए ही मनरेगा योजना के तालाब निर्माण का जियो टैग प्रखंड के मनरेगा जेई ने कर दिया.जब धरातल पर काम हुआ ही नहीं तो आख़िर किस सरकारी नियम के अनुसार निर्माण कार्य का जियो टैग किया गया. पंचायत से लेकर प्रखंड तक लुटेरों की मजबूत पकड़-चालधोवा पंचायत से घोटाला का मामला सामने आने के बाद पंचायत सचिव और रोजगार सेवक के मंशा पर सवाल उठना लाजमी है. इस मामले में ऐसा प्रतित होता है कि बिना किसी मिलीभगत के इतने बड़े घोटाले का अंजाम देना बेहद मुश्किल काम है.
मुखिया देवेंद्र मालतो के जिम्मेवारी पर भ्रष्ट होने की बू आती है
वहीं जेटके कुम्हारजोरी पंचायत के मुखिया रहे देवेंद्र मालतो के जिम्मेवारी पर भ्रष्ट होने की बू आती है.पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्रामीण इलाकों के विकास की जिम्मेवारी सरकारी बाबुओं के साथ जनप्रतिनिधियों की है.मुखिया या पंचायत के अन्य प्रतिनिधियों की जिम्मेवारी है कि गांव में हो रहे विकास कार्य की निगरानी रखना धांधली को रोकना,आदिवासी मूलवासी परिवारों को बिचौलियों और ठगों से संरक्षण देना, लेकिन इस घोटाले के सामने आने के बाद बात साफ है कि इस पंचायत के मुखिया रहे देवेंद्र मालतो के संरक्षण में ही गांव के बिचौलियों ने इतने बड़े पैमाने पर आदिवासी परिवार को लाभुक बनाकर अवैध रूप से सरकारी धन को लूटा है.गांव के बिचौलियों ने मनरेगा के तहत इस गांव में कई योजनाओं को अवैध रूप से आवंटित करवाकर करोड़ों की निकाशी कर ली है,और अवैध निकाशी का एक बड़ा हिस्सा प्रखंड मुख्यालय में बैठे सरकारी कर्मचारियों और पदाधिकारियों के टेबल तक पहुंच रहा था.
मनरेगा कर्मचारियों और पदाधिकारियों को लगभग 30 से 40 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है
सूत्रों के मुताबिक यह ख़बर सामने आई है कि हेमन्त सोरेन सरकार बनने के बाद राज्य सरकार के कई बड़े अधिकारियों के टेबल तक मनरेगा योजना में हुए घोटालों की अवैध कमाई पहुंचाई जाती थी, अवैध रूप से हुए घोटालों का एक बड़ा हिस्सा कमीशन के तौर पर प्रखंड के लेखा सहायक के टेबल से होते हुए राज्य के बड़े अधिकारियों तक पहुंचती थी. प्रखंड के सभी मनरेगा कर्मचारियों और पदाधिकारियों को लगभग 30 से 40 प्रतिशत कमीशन मनरेगा बिचौलियों के माध्यम से दिया जाता था.उस के बाद कई मनरेगा योजना के कार्य हुए बिना ही अवैध रूप से मनरेगा लाभुकों के खाते से निकाशी कर ली जाती थी.राज्य में हुए मनरेगा योजना में घोटाले की जांच पूजा सिंघल से लेकर कई बड़े अधिकारियों के ऑफिस तक पहुंची है.शायद बोरियो प्रखंड में हुए मनरेगा योजना घोटाले की कहानी भी यही है.
मनरेगा योजनाओं के लेखा सहायक प्रीतम भगत की भूमिका बेहद संदिग्ध बताई जा रही है
बोरियो प्रखंड मुख्यालय में कार्य कर रहे मनरेगा योजनाओं के लेखा सहायक प्रीतम भगत की भूमिका बेहद संदिग्ध बताई जा रही है.बता दें कि उक्त लेखा सहायक का तबादला भी बीच में हुआ था,लेकिन दोबारा वह बोरियो प्रखंड मुख्यालय में पदस्थापित हो गए और आज भी कार्य कर रहें हैं,क्षेत्र के कई लोगों को कहते सुना जाता है कि इसी लेखा सहायक के टेबल से मनरेगा योजनाओं का सारा खेल किया जाता है.हालांकि यह जांच के बाद स्पष्ट हो पायेगा की दोषी कौन है और जिले के शीर्ष अधिकारियों के कब तक करवाई की जाती है.वहीं मामला सामने आने के बाद जिले के उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा कि मामले में गंभीरता से जांच कराई जाएगी,जांच के बाद यदि मामला सत्य पाया गया तो संबंधित अधिकारियों पर मामला दर्ज कर आगे की करवाई की जाएगी.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर