दुमका(DUMKA):संथाल परगना की धरती पर हड़िया दारू की बिक्री आम बात है. हाट बाजार से लेकर चौक चौराहे तक घर की महिलाएं सड़क किनारे बैठ कर हड़िया दारू बेचते मिल जाएगी. कड़ाके की ठंढ हो या चिलचिलाती धूप हड़िया दारू लेकर महिलाएं सड़क किनारे मिल जाएंगी. कभी कभी ग्राहकों की बदसलूकी का शिकार इन्हें होना पड़ता है, इसके बाबजूद यह अपने काम को बखूबी अंजाम देती है क्योंकि यही इसके जीवकोपार्जन का आधार है.
अगर कोई इन महिलाओं को इस व्यवसाय से दूर रहने की नसीहत दे तो इनका रटा रटाया जबाब रहता है कि इसे छोड़ दें तो परिवार कैसे चलेगा. कोई भी व्यवसाय के लिए पूंजी चाहिए और पूंजी इनके पास नहीं है. लेकिन अब इन महिलाओं का यह बहाना नहीं चलेगा. पूंजी देने के लिए सरकार तैयार है और इसके लिए फूलो झानो आशीर्वाद योजना की शुरुवात की गई है.
जरूरतमंद लोग सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ ले इसके लिए योजना का प्रचार प्रसार जरूरी है. दुमका जिला प्रशासन द्वारा इस योजना का प्रचार प्रसार अनोखे अंदाज में किया जा रहा है. जिला मुख्यालय में सदर अंचलाधिकारी के नेतृत्व में जीएसएलपीएस के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. सीओ के नेतृत्व में जीएसएलपीएस की टोली जुलुश की शक्ल में गांधी मैदान पहुचीं और गांधी मैदान के समीप हड़िया दारू बेचने वाली महिलाओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया. सीओ ने महिलाओं से हड़िया दारू को छोड़कर अन्य व्यवसाय अपनाने की अपील की. महिलाओं को समझाया गया कि स्वरोजगार से जुड़ने के लिए सरकार द्वारा फूलो झानो आशीर्वाद योजना शुरू की गई है. इसके तहत 10 से लेकर 50 हजार रुपये तक सरकार देती है वो भी बगैर इंटरेस्ट के. उन्होंने महिलाओं को हड़िया दारू के दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया.
योजना से प्रभावित होकर लगभग एक दर्जन महिलाओं ने बेचने के लिए लायी हड़िया दारू को नष्ट किया और प्रण लिया कि हड़िया दारू नहीं बेचेंगे. प्रण लेने वाली महिलाओं को प्रसस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. सीओ ने बताया कि इन महिलाओं का कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद योजना का लाभ दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि फूलो झानो आशीर्वाद योजना के तहत लाभुक को बिना सूद के ₹50 हजार तक देने का प्रावधान है.पहली किस्त के रूप में ₹10 हजार, दूसरी क़िस्त ₹15 हजार और तीसरी क़िस्त के रूप में ₹25 हजार दिया जाएगा.इस राशि से लाभुक अपना व्यवसाय शुरू कर सकते है. न्यूनतम क़िस्त की राशि जमा कर कर्ज मुक्त हो सकते है. इससे परिवार की आर्थिक उन्नति होगी.
सचमुच सरकार की यह योजना काफी अच्छी है. जरूरत है इसका बेहतर तरीके से प्रचार प्रसार हो और लाभुक के चयन में पारदर्शिता बरती जाए. लाभुक को भी समझना होगा कि सरकार से उसने कर्ज लिया है. न्यूनतम क़िस्त निर्धारित कर सरकार को राशि वापस करें साथ ही अपनी आर्थिक उन्नति कर एक बेहतर जीवन जी सके.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका