धनबाद (DHANBAAD) : तो क्या घोटालों का रिसर्च सेंटर बन गया है केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान,सिंफर. कम से कम अवकाश ग्रहण करने के बाद दो डायरेक्टरों के खिलाफ सीबीआई में मुकदमा दर्ज होना तो इसी ओर इशारा कर रहे है. देखना है कि जांच आगे बढ़ती है तो कौन-कौन से लोग इसकी जद में आते हैं. फिलहाल लगभग 140 करोड़ के मानदेय घोटाले को लेकर यह संस्थान चर्चे में है. मानदेय घोटाले में केस दर्ज होने के बाद धनबाद के केंद्रीय खनिज एवं अनुसंधान संस्थान की प्रतिष्ठा को गहरा झटका लगा है. यह संस्थान देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार है. लेकिन कई तरह के घोटालों को लेकर यह संस्थान हाल के दिनों में चर्चा के केंद्र में रहा है .
800 से 1000 करोड़ का प्रतिवर्ष नुकसान
इन घोटाले और गड़बड़ियों से इस संस्थान को आर्थिक नुकसान होने की भी संभावना है. सूत्रों के अनुसार कोल सैंपलिंग का काम सिंफर के हाथ से निकल सकता है. अगर ऐसा हुआ तो 800 से 1000 करोड़ का प्रतिवर्ष नुकसान हो सकता है .सिंफर के जिम्मे कोल सैंपलिंग का बड़ा काम है .कोल कंपनियों और पावर प्लांट के बीच कोयले की ग्रेडिंग का निर्धारण थर्ड पार्टी के रूप में करने की जिम्मेवारी सिंफर के पास है. सिंफर की रिपोर्ट के आधार पर ही कोयले की कीमत का भुगतान होता रहा है. फिलहाल कोल सैंपलिंग में भी गड़बड़ी हुई है अथवा नहीं, इसकी भी जांच चल रही है.
सीबीआई में केस दर्ज होना कई संदेह को देता है जन्म
कई तरह के आरोपों से घिरे सिंफर के हाथ से अगर कोल सैंपलिंग का काम छीन जाता है तो यह संस्थान के लिए बड़ा नुकसान होगा. कम से कम 2 डायरेक्टरों के हटने के बाद उनके खिलाफ सीबीआई में केस दर्ज होना कई संदेह को जन्म देता है. फिलहाल डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह एवं अन्य पर केस हुआ है. वह अभी पद से हटने के बाद. इसी तरह पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर अमलेंदु सिन्हा पर भी सीबीआई में पद से हटने के बाद केस हुआ था.इधर, अभी 2 दिन पहले ही 140 करोड़ के घोटाले में सीबीआई ने सिंफर के पूर्व डायरेक्टर डॉ प्रदीप कुमार सिंह के साथ साथ चीफ साइंटिस्ट सह हेड ऑफ रिसर्च ग्रुप डॉ अशोक कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.
प्रोजेक्ट में गड़बड़ी करने का आरोप
इसके पहले 23 फरवरी 2018 को सीबीआई ने पूर्व डायरेक्टर डॉ अमलेंदू सिन्हा, चीफ साइंटिस्ट डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह सहित चार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. इन लोगों पर 4.37 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में गड़बड़ी करने का आरोप है. बाहर हाल जो भी हो लेकिन भ्रष्टाचार के इन मामलों के उजागर होने के बाद संस्थान की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. लोगों के विश्वास पर यह संस्थान अब खरा नहीं रहा. देखना है यह घोटाला किन-किन लोगों को अपनी जद में लेता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो