लोहरदगा(LOHARDAGA):आज झारखंड राज्य गठन के लगभग 24 साल हो चुके है, इन 24 सालों में राज्य के शहरी ईलाकों का तो विकास तेजी से हुआ है, लेकिन आज भी इसी झारखंड के कुछ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आधारभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी सड़क, स्कूल और अस्पताल के लिए भी तरस रहे है, जनप्रतिनिधियों और नेताओं को इन लोगों की याद पांच साल में एक एक बार आती है, वो भी जब उन्हे इन लोगों की वोट की जरुरत होती है, आज विश्व जल दिवस है, इस दिन पानी के महत्व को समझा और समझाया जाता है, लेकिन सी पापीन का महत्व यदि सच में आपको जानना है, तो आप लोहरदगा के ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों से पूछिए, क्योंकि इनसे ज्यादा इसका महत्व कोई नहीं बता सकता है, जिनको पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता है.
बर्षों से खराब पड़े है कई हैंडपंप,लेकिन विभाग को नहीं है परवाह
दरअसल लोहरदगा जिला के रामपुर गांव में कई हैंडपंप वर्षो से खराब पड़े हुए हैं, विश्व आज भले जल दिवस मना रहा है, लेकिन देश में पेयजल संकट की उत्पत्ति धीरे धीरे दिखाई पड़ रही है.पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के द्वारा सदर प्रखंड के रामपुर गांव में लगाए गए दर्जनों चापाकल आज दम तोड़ चुके है,तो कई ख़राब पड़े हुए हैं, लेकिन इस ओर जल विभाग का ध्यान बिल्कुल नहीं जा रहा है.
पढ़ें क्या बोल रहे है ग्रामीण
वहीं इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि खराब और बेकार पड़े चापाकल को कई बार ठीक करने की गुहार लगाई गई है, लेकिन विभाग इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है, राशि की निकासी मरम्मती के नाम पर हो जाती है लेकिन रिजल्ट बिल्कुल शून्य है.यानी कहीं ना कहीं मरम्मती के नाम पर पैसों की लूट जरुर हो रही है,वही विभागीय अभियंता का कहना है कि यह बात गलत है कि खराब पड़े चापाकल को वर्षो से नहीं बनाया गया है. इन्होंने कहा कि गर्मी को लेकर विशेष ड्राइव मार्च माह में चलाया जाता है, ऐसे में जिला में पेयजल संकट को दूर करने के लिए विभाग गंभीर है.
रिपोर्ट-गौतम लेनिन